समुद्र की लहरों की रानी सर्फर अनीशा नायक

ये लोग विभिन्न देशों की यात्रा करते हैं और बच्चों को सर्फिंग के बारे में जानकारी देकर शिक्षित करके उन्हें सशक्त बनाते हैं। इस प्रोजेक्ट के तहत अनीशा ने श्रीलंका जाकर वहां की महिलाओं को सर्फिंग करना सिखाया है। अनीशा भविष्य में अपना स्कूल खोलना चाहती है और उसका इरादा लोगों को सर्फिंग के बारे में शिक्षित और जागरुक करने के लिए वर्कशाप आयोजित करने का भी है।

Update: 2020-05-21 07:06 GMT

रामकृष्ण वाजपेयी

कोरोनावायरस और लॉकडाउन में जब आप खुद को कुछ हतोत्साहित, कुछ अवसाद के शिकार महसूस कर रहे होते हैं तो अक्सर कुछ बेहतर या कामयाबी की एक छोटी सी खबर भी आपके लिए बड़ी बन जाती है। ऐसे ही समय में कुछ बेहतर पढ़ने की चाहत में मुझे अनीशा नायक की स्टोरी मिली। जिन्होंने 2015 में एशियन सर्फिंग चैंम्पियनशिप में देश का प्रतिनिधित्व किया है और कोयलम पॉइंट सर्फ क्लासिक और इंडियन ओपन ऑफ सर्फिंग में देश का प्रतिनिधित्व किया है।

जब मैने अमीशा नायक के बारे में पढ़ा तो पढ़ता ही चला गया। इसे आप अनीशा नायक का समुद्र में सर्फिंग से या समुद्र से पहला प्यार कह सकते हैं। जब उसने पहली बार मेंगलूर में समुद्र में अपना सर्फबोर्ड लगाया। यह बात अमीशा ने खुद भी कही है। उसने कहा है कि सिंगल मदर होने के कारण मेरी मां ने अकेले ही मेरी परवरिश की लेकिन मां ने लहरों की सवारी करने से कभी नहीं रोका। हर चुनौती के वक्त मां को साथ खड़ा पाया।

लहरों पर सवार

 

अनीशा ने चार साल की उम्र में तैराकी की शुरुआत की और दस साल की उम्र में उसने तैराकी प्रतिस्पर्धाओं में भाग लेना शुरू कर दिया। वर्षों तक तैराकी करने और प्रशिक्षण लेने के बाद अमीशा को जीवन में एकरसता सी लगने लगी और उसने दो महीने के लिए तैराकी से अवकाश ले लिया। लेकिन ब्रेक लेने से पहले उसने सर्फिंग के साथ अपना पहला प्रयास किया। उसके तैराकी कोच ने उसे इस खेल से परिचित कराया, और उसने मंगलुरु के मंत्रा सर्फ स्कूल में सर्फिंग का प्रशिक्षण लिया।

अपने पहले सर्फिंग अनुभव के बारे में अनीशा का कहना है, “मैं पानी में चली गई जहां मुझे कुछ पाने का अहसास हुआ, पूर्णता मिली। इसके अलावा खुद और प्रकृति से जुड़ने का मौका मिला। यह सबसे खूबसूरत एहसास था जो मैंने कभी महसूस नहीं किया था। मुझे तुरंत ही सागर से प्यार हो गया। बाद में मुझे पता चला कि उस दिन की सर्फिंग मेरे जीवन का एक बहुत बड़ा और महत्वपूर्ण हिस्सा बन गई थी। ”

शिक्षा में आया व्यवधान पर यात्रा जारी

 

उस समय से, सर्फिंग में अनीशा का अधिकांश समय लगता रहा। एक समुद्री बच्चे की भांति अनीशा हर दिन कम से कम छह-सात घंटे सर्फिंग करती है। उसने पुर्तगाल और बाली जैसे देशों में बड़े पैमाने पर यात्रा की हैं और अपने कौशल को सर्फ़बोर्ड पर रखा है।

अनीशा ने कक्षा 12 के बाद शिक्षा प्राप्त नहीं की है उसने खुद को सर्फिंग के लिए समर्पित कर दिया और लहरों पर सवार होकर विभिन्न स्थानों की और यात्रा की। अनीशा अपनी सर्फिंग की यात्रा के दौरान समानता के अधिकार को बढ़ावा देती है। वह पैडल पैडल चैरिटी प्रोजेक्ट से जुड़ी हुई है जो कि फ्रांसीसी मैथिल्डे मेटायरे और मैथिव मॉग्रेट द्वारा शुरू किया गया है।

ये लोग विभिन्न देशों की यात्रा करते हैं और बच्चों को सर्फिंग के बारे में जानकारी देकर शिक्षित करके उन्हें सशक्त बनाते हैं। इस प्रोजेक्ट के तहत अनीशा ने श्रीलंका जाकर वहां की महिलाओं को सर्फिंग करना सिखाया है। अनीशा भविष्य में अपना स्कूल खोलना चाहती है और उसका इरादा लोगों को सर्फिंग के बारे में शिक्षित और जागरुक करने के लिए वर्कशाप आयोजित करने का भी है।

लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं

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