पूँजी ,सृष्टि ,सभ्यता का निर्माण है विश्व किताब दिवस

सभ्य समाज की कल्पना बिना साहित्यकार के और साहित्य के करना बहुत ही असंभव सा होता हैं इसीलिए मानव के जीवन में पुस्तकों का बहुत महत्व है क्योंकि यही पुस्तकें मनुष्य की बौद्धिक क्षमता को ,विज्ञान को ,ज्ञान बढ़ाने वाली होती है।

Written By :  rajeev gupta janasnehi
Published By :  Monika
Update:2021-04-23 14:25 IST

विश्व किताब दिवस (सांकेतिक) फोटो : सोशल मीडिया  

सभ्य समाज की कल्पना बिना साहित्यकार के और साहित्य के करना बहुत ही असंभव सा होता हैं इसीलिए मानव के जीवन में पुस्तकों का बहुत महत्व है क्योंकि यही पुस्तकें मनुष्य की बौद्धिक क्षमता को ,विज्ञान को ,ज्ञान बढ़ाने वाली होती है। अगर पुस्तकें नहीं होती तो मानव सभ्यता का रूप भी अलग होता |यह पुस्तक ही हैं जो साहित्यकारों व लेखकों द्वारा भूत भविष्य वर्तमान की कल्पना करके उस चीज को लिपिबद्ध करता है ताकि आने वाली पीढ़ियां उसको पढ़कर ज्ञान अर्जित करें और अपने जीवन के मार्ग को प्रशस्त करने में सहायक होती हैं । पुस्तकें विश्व के इतिहास को ,साहित्य को ,संस्कृति को ,सभ्यता को ,मानवता को ,ज्ञान को विज्ञान को नाटकों को उल्लेखित करने वाली होती हैं| अगर पुस्तकें ना होती मानव का स्वरूप जो आज है वह ना होता । इसीलिए आज का दिवस *विश्व पुस्तक व कॉपीराइट दिवस * एक बहुत ही महत्वपूर्ण दिवस के रूप में मनाया जाता है।

विश्व पुस्तक दिवस क्या है 

विश्व पुस्तक एवं कॉपीराइट दिवस एक वार्षिक कार्यक्रम है जो पढ़ना,पढ़ने में रुचि , प्रकाशन और प्रकाशन व लेखक के अधिकार को पूरी दुनिया में लोगों के बीच में बढ़ावा देने के लिए यूनेस्को द्वारा सालाना रूप में आयोजित किए जाने वाला एक महत्वपूर्ण दिवस है। *यूनाइटेड किंगडम में मार्च के पहले गुरुवार * को इसे मनाया जाता है जबकि पूरे विश्व में यूनेस्को द्वारा 23 अप्रैल 1995 में पहली बार विश्व पुस्तक दिवस के रूप में शुरुआत की गई अर्थात किसी लेखक ,चित्रकार ,साहित्यकार, प्रकाशक आदि लोगों के बीच में पढ़ने को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है साथ ही किसी भी लेखक द्वारा लिखे गए साहित्य की चोरी ना हो उस पर भी कॉपीराइट के तहत मंथन किया जाता है । विश्व में सबसे बड़ी लेखन चोरी है। ये लोगों को नये विचार को खोजने और अपने ज्ञान को फैलाने में सक्षम बनाता है। किताबें विरासत का ख़जाना, संस्कृति, ज्ञान की खिड़की, संवाद के लिये यंत्र, संपन्नता का स्रोत आदि हैं।यह विश्व स्तर पर 100 से ज़्यादा देशों के समर्थन से बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।

विश्व पुस्तक दिवस का इतिहास 

विश्व पुस्तक दिवस और प्रकाशनाधिकार ( कॉपी राइट ) दिवस को मनाने के लिए यूनेस्को द्वारा 1995 में पहली बार विश्व पुस्तक दिवस के रूप में 23 अप्रैल को मनाने का फैसला पेरिस में किया ।यह तारीख़ चुनने के पीछे भी दिलचस्प कहानी है क्योंकि, ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, विलियम शेक्सपियर, व्लादिमीर नबोकोव, मैमुएल सेजिया वैलेजो का जन्म और मृत्यु वर्षगांठ, मीगुअल डी सरवेंटस (22 अप्रैल को मृत्यु और 23 अप्रैल को दफनाए गए), जोसेफ प्ला, इंका गारसीलासो डी ला वेगा का मृत्यु वर्षगाँठ और मैनुअल वैलेजो, मॉरिस द्रुओन और हॉलडोर लैक्सनेस का जन्म वर्षगाँठ होता है।

विश्व पुस्तक दिवस कैसे मनाया जाता है 

विश्व पुस्तक दिवस मनाने के लिए विश्व भर के प्रकाशकों द्वारा साहित्यकारों द्वारा अनेक पुस्तक मेलों का आयोजन किया जाता है। ताकि लोगों को पुस्तक पढ़ने के प्रति रुचि जागृत की जा सके ।कई प्रकाशकों द्वारा छूट देकर पढ़ने के लिए और किताब खरीदने के लिए लोगों को ध्यान आकर्षित किया जाता है । इंटरनेट के कारण आने वाली जनरेशन में पढ़ने की आदत कम हो रही है इन सब कार्यक्रमों के माध्यम से पढ़ने की आदत में आसानी से ना बढ़ावा दिया जाता है बल्कि कॉपीराइट का प्रयोग करके बौद्धिक संपत्ति का अधिकार भी प्रकाशकों और साहित्यकारों को दिया जाता है। यूनेस्को द्वारा पूरे विश्व भर में प्रकाशक और साहित्यकारों के अधिकार को सुरक्षित रखने के लिए हर संभव प्रयास किया जाता है । विश्व साहित्य के लिए 23 अप्रैल एक महत्वपूर्ण तारीख साबित हुई है क्योंकि 23 अप्रैल कई महान हस्तियों की जन्म व मृत्यु की वर्षगांठ है। इसी कारण लेखकों को श्रद्धांजलि देने के लिए ,विश्व भर के लोगों का ध्यान खींचने के लिए सामाजिक और सांस्कृतिक ,विभिन्न क्रिया-कलाप जैसे दृश्यात्मक कला, नाटक, कार्यशाला कार्यक्रम ,भी किए जाते हैं। अनेक नई पुस्तकों का और नये साहित्यकारों द्वारा अपनी पुस्तकों का विमोचन करा कर उत्सव को व किताब को एक यादगार बनाया जाता है । सभी निजी और सरकारी शिक्षण संस्थान एनजीओ का लोगों का समूह मास मीडिया शिक्षकों लेखकों प्रकाशकों लाइब्रेरियन आदि के द्वारा खासतौर से विश्व पुस्तक और कॉपीराइट दिवस मनाया जाता है। यूनेस्को राष्ट्रीय परिषद यूनेस्को क्लब केंद्रीय संस्थान लाइब्रेरी स्कूल और दूसरे शैक्षिक संस्थानों के द्वारा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं ।

विश्व पुस्तक का महत्व कहते हैं 

किताबों से अच्छा ना दोस्त होता है ना शिक्षक होता है इसलिए हमारी जीवन में किताबों का बहुत महत्वपूर्ण है। हम अपनी शैक्षिकयोगिता व कार्यकुशलता के साथ करके जीवन यापन करना बिना किताबों के संभव नहीं होता।

डॉक्टर अब्दुल कलाम जी कहते है एक किताब 100 दोस्त के बराबर होती है 

शिक्षा के लिये कोई अंत नहीं है। ये ऐसा नहीं है कि आप एक किताब पढ़ रहें हैं, परीक्षा पास होने के लिये, और शिक्षा के खत्म हो जायेगा। पूरे जीवन भर, उस पल से जब आप पैदा हुए और वो क्षण जब आप मरेंगे, सीखने की एक प्रक्रिया है।"- जिद्दू कृष्णमूर्ति

किताब केवल किताब नहीं पूँजी होती हैं

किताब विक्रेता लेखक प्रकाशक सब का सम्मान होना चाहिये क्योंकि हमारे ध्यान ,ज्ञान चरित्र साथी के रूप में सबसे वफ़ादार होता है| जिस घर में किताबों की अलमारी होती है वहाँ सरस्वती का वास होता है ।आगरा में दो वर्ष पूर्व लगे पुस्तक मेल ने पुस्तकों के पाठन में व लेखन को बढ़ावा दिया हैं।आज सभी कमलाकरों को बधाई उनकी कलम से अनेक किताबों का सरजन हो जो चरित्र व समाज का निर्माण करे सभी को बहुत बधाई व शुभकामनाएँ अंत में

जो बातें मैं जानना चाहता हूं वह किताबों में है मेरा परम मित्र वह आदमी होगा जो मुझे वह किताब देगा जो मैंने नहीं पढ़ा होगा 

अब्राहम लिंकन

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