केरल-असम के चुनाव में ये होगा सबसे बड़ा मुद्दा, BJP को हो सकता है नुकसान

बतातें चलें कि जिस समय सीएए बिल लोकसभा में आया था उस दौरान भी अन्य राज्यों की तुलना में सबसे अधिक विरोध इन्ही दो राज्यों में हुआ था।

Update: 2021-02-15 05:23 GMT
सुनील अरोड़ा ने कहा कि चुनाव के दौरान नियमों का पालन जरुरी होगा। घर-घर संपर्क के लिए भी नियम होंगे। घर-घर चुनाव प्रचार के लिए 5 लोगों के साथ में जाने की अनुमति होगी।

श्रीधर अग्निहोत्री

नई दिल्ली: केरल और असम में होने वाले चुनाव में नागरिक संबोधन कानून (सीएए) एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बनने जा रहा है। एक तरफ केन्द्र सरकार जहां इसे लागू कराने की बात कह रही है। वहीं केरल और आसाम में इसके विरोध के स्वर मुखर होने लगे हैं। के कई विरोधी दलों ने इसके खिलाफ अपनी लड़ाई तेज कर दी है।

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''हम दो हमारे दो'' कान खोलकर सुन लो कि सीएए लागू नहीं होगा

बतातें चलें कि जिस समय सीएए बिल लोकसभा में आया था उस दौरान भी अन्य राज्यों की तुलना में सबसे अधिक विरोध इन्ही दो राज्यों में हुआ था। हाल ही में कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने अपने असम दौरे में साफ कहा कि सीएए को किसी भी कीमत पर यहां लागू नहीं होने देंगे। उन्होंने साफ कह दिया है कि चाहे कुछ भी हो जाए सीएए नहीं होगा। उन्होंने शरीर पर पड़े उस गमछे को भी दिखाया जिस पर सीएए लिखा था और उस पर क्रॉस लगा था। साथ ही वो यह भी कह चुके हैं कि ''हम दो हमारे दो'' कान खोलकर सुन लो कि सीएए लागू नहीं होगा।

elections (PC: social media)

यह कानून संविधान के आधारभूत मूल्यों और सिद्धांतों के विरोधाभासी है

जबकि केरल में मुख्यमंत्री पिनराई विजयन कई बार कह चुके है कि 'यह कानून संविधान के आधारभूत मूल्यों और सिद्धांतों के विरोधाभासी है।' विजयन ने कहा, 'देश के लोगों के बीच चिंता को देखते हुए केंद्र को सीएए को वापस लेने के कदम उठाने चाहिए और संविधान के धर्मनिरपेक्ष नजरिए को बरकरार रखना चाहिए।'

CAA के खिलाफ़ पिछले साल असम में विरोध प्रदर्शनों का दौर चलता रहा

यहां यह भी बताना जरूरी है कि सीएए के खिलाफ़ पिछले साल असम में विरोध प्रदर्शनों का दौर चलता रहा, जो कोरोना लॉकडाउन की वजह से थम गया था, लेकिन इसके फिर शुरू होन के संकेत हैं। अगर सीएए मुद्दा उठता है, तो यह असमिया हिंदू मतदाताओं के बीच भाजपा को इसका नुकसान हो सकता है। वहीं दूसरी तरफ हिन्दू वोटरों का ध्रुवीकरण हो सकता है।

असमिया बोलने वाले मतदाताओं को लुभाने के लिए असम जातीय परिषद, राइजर दल और आंचलिक गण मोर्चा जैसे नए जातीय दल अस्तित्व में आए हैं। असम जातीय परिषद का गठन ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन द्वारा किया गया है।

केरल में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं

उल्लेखनीय है कि केरल में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं लेकिन विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में नागरिकता संशोधन विधेयक यानी सीएए को लेकर सियासी घमासान देखने को मिल रहा है। एक ओर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह कोरोना टीकाकरण के बाद देश में नागरिकता संशोधन कानून लागू करने की बात कह रहे हैं वहीं अब केरल के सीएम पिनराई विजयन का कहना है कि केरल में सीएए लागू नहीं होगा।

CAA (PC: social media)

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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में कहा कि कोरोना टीकाकरण अभियान खत्म होने के बाद नागरिकता प्रदान करने का काम किया जाएगा केन्द्र और राज्य के इस टकराव की आहट सुनाई पड़ने लगी है। इससे साफ है कि कुछ महीनों बाद होने वाले इन राज्यों के चुनाव में अन्य मुद्दे गौण हो जाएगें और सीएए के मुद्दे के आसपास ही चुनाव होगा।

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