चुनाव से पहले अब खुलकर कह रहे हैं मुसलमान, बहनजी को दें वोट और अखिलेश को चोट

Update:2017-02-10 17:17 IST

लखनऊ: गरीब नवाज फाउंडेशन, उलेमा काउंसिल और अब दिल्ली की जामा मस्जिद के इमाम, इनकी बहुजन समाज पार्टी को वोट देने की अपील ने समाजवादी पार्टी और कांग्रेस गठबंधन के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं। बात मुस्लिम धर्मगुरुओं की अपील तक ही खत्म नहीं हुई है। हिंदू महासभा के चक्रपाणि गुट ने भी यूपी के लोगों से बसपा को वोट देने का आग्रह किया है।

मायावती ने भी 403 विधानसभा सीटों में 102 मुस्लिम प्रत्याशी उतार कर अपनी मंशा साफ कर दी है।

2007 के विधानसभा चुनाव में मायावती ने दलित-ब्राहम्ण गठजोड़ पर भरोसा जताते हुए पूरे बहुमत की सरकार बना ली थी, लेकिन 2012 के चुनाव में ये दांव काम नहीं आ सका और बसपा 90 के आसपास सीटों पर सिमट गई थी। सपा में आपसी कलह और परिवार में हुए बिखराव पर मायावती ने पैनी नजर रखी और बड़ी चालाकी से इस बार दलित मुस्लिम दांव खेला। इसीलिए उन्होंने 100 से ज्यादा मुस्लिम प्रत्याशी उतार दिए।

कानून-व्यवस्था पर उठाए कई बार सवाल

मायावती अपनी सभाओं में यूपी की कानून व्यवस्था का सवाल उठाती रही हैं। ये सच भी है कि मायावती के शासनकाल में कानून व्यवस्था की हालत इस तरह बेकाबू नहीं थी। यदि मायावती सत्ता में होतीं तो 2013 में मुजफ्फरनगर का दंगा इतना भयानक रूप नहीं लेता। वो आजादी और देश के विभाजन के बाद का सबसे बडा दंगा था, जिसमें 50 हजार से ज्यादा लोगों को शिविरों में रहना पड़ा था । लोग इतने डरे थे कि हालात के सामान्य होने के बाद भी अपने घरों में जाने को तैयार नहीं थे।

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हिंदू धर्म गुरुओं ने भी की बहनजी को वोेट देने की अपील

दिलचस्प है कि मुस्लिम और हिंदू धर्म गुरुओं ने कानून व्यवस्था के सवाल पर ही मायावती को वोट देने की अपील की है। हिंदू महासभा तो उन्हें राजनीति का संत तक मानती है। मायावती को समर्थन का ताजा मामला दिल्ली की जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी का है।

उन्होंने 9 फरवरी को सपा पर जमकर हमला बोलते हुए पार्टी को मुस्लिमों के लिए परेशानी का कारण करार दिया। उन्होंने कहा कि पार्टी के 5 साल के शासन में मुस्लिम सिर्फ परेशान हुए हैं। प्रदेश की कानून व्यवस्था खराब रही। मुस्लिमों से जो भी वादे किए गए थे, वह पूरे नहीं किए गए। मायावती के राज में प्रदेश की कानून व्यवस्था अच्छी थी। उन्होंने मुसलमानों के खिलाफ नाइंसाफी नहीं होने दी।

मुस्लिमों के पास है ताकत दिखाने का मौका: बुखारी

बुखारी ने कहा कि यह मुस्लिमों को अपनी ताकत दिखाने का मौका है। उन्हें राजनीतिक दलों से डरने की जरूरत नहीं है। दलों को यह समझना होगा कि बिना अल्पसंख्यकों के सत्ता नहीं मिल सकती। बुखारी ने दादरी कांड में मृतक अखलाक और ​कुंडा में डीएसपी जियाउलहक की मौत का जिक्र करते हुए कहा कि सपा ने सच्चर कमेटी की रिपोर्ट को लागू करने का वादा भी पूरा नहीं किया।

ये सभी जानते हैं कि मायावती जनसभाओं में भी लिखा भाषण पढ़ती हैं। इसके बावजूद उन्हें सुनने बडी संख्या में लोग आते हैं। वो लुभाने वाली ऐसी कोई बात नहीं करतीं जो सुनने में तो अच्छी लेकिन अविश्वसनीय लगे। वो सीधे मुद्दे पर आती हैं और अपनी बात कह देती हैं। मुस्लिमों के मिल रहे समर्थन ने मायावती को उत्साह से भर दिया है।

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