PHOTOS : गोरखनाथ मंदिर में CM योगी ने की मां कालरात्रि की पूजा-अर्चना
योगी आदित्यनाथ भले ही वह यूपी के सीएम बन गए हैं। लेकिन, उससे पहले वह एक मठ पीठाधीश्वर भी हैं और शायद यही वजह है कि वह दोनों जिम्मेदारियों को बड़ी गंभीरता से निभाते हैं।
गोरखपुर: योगी आदित्यनाथ भले ही वह यूपी के सीएम बन गए हैं। लेकिन, उससे पहले वह एक मठ पीठाधीश्वर भी हैं और शायद यही वजह है कि वह दोनों जिम्मेदारियों को बड़ी गंभीरता से निभाते हैं।
शारदीय नवरात्र में चल रहे दुर्गा पूजन के अवसर पर बुधवार सुबह सप्तमी को मां कालरात्रि का पूजन हुआ और विधिवत् आरती गोरक्षपीठाधीश्वर महंत योगी आदित्यनाथ द्वारा संपन्न हुई।
नाथ परंपरा के अनुसार, हवन अष्टमी में शाम के समय होता है। इसलिए बुधवार शाम से अष्टमी लगने के कारण गोरक्षपीठाधीश्वर महंत योगी आदित्यनाथ द्वारा गौरी गणेश पूजन, वरूण पूजन, पीठ पूजन, यंत्र पूजन, स्थापित मां दुर्गा पूजन, भगवान राम-लक्ष्मण-सीता का पूजन, भगवान कृष्ण और गोमाता का पूजन, नवग्रह पूजन, विल्व अधिष्ठात्री देवता पूजन, शस्त्र पूजन, द्वादस ज्योर्तिलिंग-अर्धनारीश्वर एवं शिव-शक्ति पूजन, बटुक भैरव, काल भैरव, त्रिशूल पर्वत पूजन दुर्गा सप्तसती के पाठ एवं वैदिक मंत्रों के साथ किया। इसके बाद वेदी पर उगे (जमे) जई (जौ के पौधे) को गोरक्षपीठाधीश्वर एवं आचार्यगण द्वारा वैदिक मंत्रों के बीच काटा गया। बाद में हवन वेदी पर ब्रह्मा, विष्णु, रूद्र और अग्नि देवता का आह्वान एवं पूजन किया गया। इसके बाद दुर्गा सरस्वती के सम्पूर्ण पाठ के साथ हवन किया गया।
बलि के रूप में नारियल, गन्ना, केला, जायफर आदि का सात्विक बलि देकर योगी द्वारा शक्ति आराधना का कार्य सम्पन्न हुआ। अंत में आरती एवं क्षमायाचना के बाद प्रसाद वितरण हुआ। रात में अष्टमी की विशेष महानिशा पूजा विधिविधान से गोरक्षपीठाधीश्वर द्वारा सम्पन्न की गई। इस अवसर उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए योगी ने कहा कि शारदीय नवरात्र शक्ति संग्रह का महापर्व है। इस नवरात्र में विधि पूर्वक महाकाली, महालक्ष्मी, महा सरस्वती की समष्ठी रूप, अष्टभुजा दुर्गा के प्रत्यक्ष रूप से विधि पूर्वक पूजन करने का विधान शास्त्रों में बताया गया है। महाष्टमी का महानिशा पूजा एवं सात्विक पंचबलि से न केवल शारीरिक एवं मानसिक क्लेश दूर होते है अपितु शक्ति संचय के साथ-साथ यश एवं ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
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