21 अक्टूबर : जानिए क्यों हो रहा है विधानसभा की इन 11 सीटों पर उपचुनाव?

रामपुर जिले की इस सदर सीट से समाजवादी पार्टी का कब्जा रहा है। मुस्लिम बाहुल्य इस सीट से मो आजम खां लगातार 9 बार विधायक बन चुके हैं।2017 के विधानसभा चुनाव में मो आजम खां को यहां पर आधे से अधिक वोट मिले थें।

Update:2023-07-27 07:54 IST

श्रीधर अग्निहोत्री

लखनऊ: आगामी 21 अक्टूबर को प्रदेश की 11 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने जा रहे है जिसे लेकर सभी दल जमकर पसीना बहाने में जुटे हुए है। लेकिन समाज का एक वर्ग ऐसा भी है जो यह नहीं समझ पा रहा है कि यह कौन से चुनाव हो रहे है और क्यों हो रहे है?

राजनीतिक समझ न रखने वाले मतदाताओं को ‘न्यूजट्रैक बता रहा है कि आखिर इन विधानसभा सीटों पर फिर से चुनाव कराने के पीछे क्या कारण है।

यहां यह बताना जरूरी है कि इन सभी 11 सीटों पर साल 2017 के फरवरी और मार्च महीने में चुनाव हुए थें और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में प्रदेश में सरकार का गठन भी हो गया था लेकिन ढाई वर्षो की बहुमत वाली भाजपा सरकार में कई सीटे ऐसी है जहां किसी न किसी कारण से विधानसभा की सीटे रिक्त हो गयी है।

अब इन्ही सीटों को भरने के लिए यहां फिर से चुनाव कराया जा रहा है।

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आईए जानते हैं इन विधानसभा सीटों के बारे में

गंगोह

सहारनपुर जिले की गंगोह सीट 2012 में बनी नई सीट है। प्रदीप चौधरी 2012 में कांग्रेस से विधायक हुए। इसके बाद वह भाजपा में आ गए और फिर 2017 के विधानसभा चुनाव में यहां से विधायक हुए।

इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में वह सहारनपुर से सांसद बन गए जिसके कारण यह सीट खाली हुई है।

रामपुर

रामपुर जिले की इस सदर सीट से समाजवादी पार्टी का कब्जा रहा है। मुस्लिम बाहुल्य इस सीट से मो आजम खां लगातार 9 बार विधायक बन चुके हैं।

2017 के विधानसभा चुनाव में मो आजम खां को यहां पर आधे से अधिक वोट मिले थें। मो आजम खां 2019 के लोकसभा चुनाव में रापपुर से सांसद हो गये। जिसके कारण यहां पर चुनाव हो रहा है।

इगलास (आरक्षित)

हाथरस जिले की इगलास (आ) सीट कभी चौ अजित सिंह की पार्टी रालोद के प्रभाव वाली सीट हुआ करती थी। लेकिन 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के राजबीर सिंह दिलेर यह सीट रालोद से छीनकर भाजपा की झोली में डाल दी। इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने उन्हे टिकट दिया तो राजबीर सिंह दिलेर यहां से सांसद बन गए। जिसके कारण इस सीट पर चुनाव हो रहा है।

लखनऊ कैण्ट

यह सीट शुरू से भाजपा के गढ़ वाली विधानसभा सीट रही है। लेकिन 2012 में वह कांग्रेस ने इस सीट पर कब्जा किया और डा रीता बहुगुणा जोशी विधायक बनी। इसके अलावा जब 2017 का विधानसभा चुनाव आया तो रीता जोशी भाजपा के टिकट पर इसी सीट से चुनाव जीती लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में इलाहाबाद से सांसद बनी जिसके कारण इस सीट पर चुनाव कराना पड रहा है।

गोबिन्द नगर

कानपुर की इस विधानसभा सीट पर लगातार कांग्रेस का कब्जा रहा है पर 2012 के विधानसभा चुनाव के पहले हुए परिशीमन के बाद यह सीट दो हिस्सों में बंट गयी जिसके कारण यह सीट कांग्रेस के हाथ से निकल गयी और यहां पर भाजपा के सत्यदेव पचौरी चुनाव जीते। इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में वह चुनाव जीते और अब यह सीट खाली है।

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मनिकपुर

बांदा जिले की मानिकपुर सीट पर काफी समय से बहुजन समाज पार्टी का प्रभाव रहा है। इस सीट पर इसी दल का प्रत्याशी जीतता रहा है। पर 2017 में यहां पर भाजपा की जीत हुई और आरके पटेल यहां से विधायक बने। पर 2019 के लोेकसभा चुनाव में आरके पटेल बांदा से सांसद चुने गए। जिसके कारण इस सीट पर चुनाव कराना पड रहा है।

प्रतापगढ

2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा अपना दल के गठजोड के चलते यह सीट अपना दल को मिली तो अपना दल के प्रत्याशी संगमलाल गुप्ता यहां से विधायक बनकर विधानसभा पहुंचे लेकिन 2019 के चुनाव में भाजपा ने संगमलाल को प्रतापगढ लोकसभा सीट से संगमला को अपना प्रत्याशी बना दिया तो वह इस सीट से चुनाव जीत गए। इसके बाद रिक्त हुई विधानसभा सीट के लिए चुनाव कराया जा रहा है।

जैदपुर (आरक्षित)

बाराबंकी जिले की जैदपुर विधानसभा सीट 2017 में उपेन्द्र रावत ने कांग्रेस के पूर्व सांसद पीएल पुनिया के पुत्र तनुज पुनिया को चुनाव में पटकनी दी और भाजपा की झोली में यह सीट डाली। उपेन्द्र रावत के भाजपा के टिकट पर सांसद बनने के कारण अब यहां चुनाव कराया जा रहा है।

जलालपुर

अम्बेडकर नगर की जलालपुर सीट 2017 के विधानसभा चुनाव में पूर्व सांसद राकेश पाण्डेय के पुत्र रीतेश पाण्डेय ने जीती। लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने एक बार फिर रीतेश पाण्डेय पर विश्वास जताते हुए उन्हे अम्बेडकर नगर से टिकट दिया तो रीतेश ने यह सीट जीतकर बसपा की झोली में डाली। इसके बाद रिक्त हुए जलालपुर सीट पर विधानसभा का चुनाव कराना पड रहा है।

बलहा (आरक्षित)

बहराइच जिले की इस सीट पर 2012 में सावित्री बाई फूले भाजपा के टिकट पर विधायक बनी। इसके बाद उनके 2014 में सांसद बनने के कारण इस सीट पर उपचुनाव हुआ तो सपा ने यह सीट अपने कब्जे में कर ली।

फिर 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के अक्षयवर लाल गौड चुनाव जीते लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में वह सांसद बन गए जिसके कारण इस सीट पर चुनाव हो रहा है।

घोसी

मऊ जिले की घोसी विधानसभा सीट पर 2017 के चुनाव में फागू चौहान चुनाव जीते। उन्होंने यहां पर बाहुबली मुख्तार अंसारी के पुत्र अब्बास अंसारी को चुनाव हराया और एक बार फिर विधानसभा पहुंच गए लेकिन 2019 में अचानक भाजपा हाईकमान ने उन्हे गर्वनर बनाकर बिहार की जिम्मेदारी सौंप दी जिसके कारण यह सीट रिक्त हो गयी है।

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