राजभर की विदाई, योगी ने अपने फैसले से राजनाथ की याद दिलाई

पिछले एक साल से प्रदेश की राजनीति में छाए संशय के बादलों को साफ करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जब ओमप्रकाश राजभर को मंत्रिमंडल से बर्खास्त किया तो राजनाथ सिंह के मुख्यमंत्रित्व काल में सहयोगी दल के बिजली मंत्री नरेश अग्रवाल को बर्खास्त करने का इतिहास दोहरा दिया गया।

Update: 2019-05-20 08:46 GMT

श्रीधर अग्निहोत्री

लखनऊ : पिछले एक साल से प्रदेश की राजनीति में छाए संशय के बादलों को साफ करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जब ओमप्रकाश राजभर को मंत्रिमंडल से बर्खास्त किया तो राजनाथ सिंह के मुख्यमंत्रित्व काल में सहयोगी दल के बिजली मंत्री नरेश अग्रवाल को बर्खास्त करने का इतिहास दोहरा दिया गया।

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस फैसले से 18 साल पहले भाजपा सरकार के उस फैसले की याद ताजा हो गयी जब 2001 में राजनाथ सिंह प्रदेश के मुख्यमंत्री थें और भाजपा अपनी सरकार नरेश अग्रवाल की पार्टी लोकतांत्रिक कांग्रेस के सहयोग से चला रही थी। तब राजनाथ सिंह सरकार को लोकां के 13 विधायकों का समर्थन हासिल था। लेकिन नरेश अग्रवाल अक्सर सरकार गिराने की धमकी दिया करते थे। नरेश अग्रवाल पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे थे और इसी तरह तत्कालीन मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह ने अचानक नरेश अग्रवाल को मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर सबको चकित कर दिया था।

जहां तक राजभर की बात है तो इसकी संभावना लोकसभा चुनाव के दौरान ही शुरू हो चुकी थी। तब सीटों के बंटवारे को लेकर भाजपा नेतृत्व और ओमप्रकाश राजभर में तल्खी तेजी आ चुकी थी। राजभर पूर्वांचल की दो सीटों पर चुनाव लडना चाहते थें लेकिन भाजपा नेतृत्व चाहता था कि सुहेलदेव समाज पार्टी को एक ही सीट दी जाए। इस बात की शर्त लगा दी गयी कि राजभर की पार्टी का प्रत्याशी भाजपा के कमल निशान से ही चुनाव लडे। लेकिन राजभर इस बात से सहमत नहीं थे जिसके बाद उन्होंने भाजपा को सबक सिखाने के लिए अपनी पार्टी के 39 प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में उतार दिए।

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इस दौरान सुहेलदेव समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने अपनी हर जनसभा में भाजपा की आलोचना कर सबक सिखाने की बात कही। लेकिन हद तो तब हो गयी जब उन्होंने एक जनसभा में भाजपा कार्यकर्ताओं की आलोचना करने के बाद भद्दी गाली दी। यह वीडियो चुनाव के दौरान खूब वायरल हुआ। वायरल होने का असर यह रहा कि वीडियो जब पार्टी के प्रदेश नेतृत्व के पास पहुंचा तो पार्टी नेतृत्व चाहकर भी इस पर कोई कार्यवाही नहीं कर सका। लेकिन 19 मई को आखिरी चरण का मतदान खत्म होने और एक्जिट पोल में भाजपा की बढत को देख इस बात का फैसला कर लिया गया कि अब भाजपा और सुहेलदेव समाज पार्टी के रास्ते अलग कर लिए जाए।

आज सुबह ही योगी आदित्यनाथ ने राजभर की बर्खास्तगी के साथ ही उनके दल के दूसरे सदस्यों, जो विभिन्न आयोग परिषद, निगमों और बोर्डो में पदासीन थें को भी बर्खास्त कर दिया। इसमें उनके एक पुत्र अरविन्द राजभर भी शामिल हैं।

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