विवाह से उठ गया विश्वास तो न हो हताश, एक बार फिर दें इस मैरिज को चांस
शादी कभी भी दो अलग लोगों का मिलन नहीं होता है। बल्कि ये दो परिवारों का मिलन होता है। देश में लव मैरिज करने वाले ज्यादातर इंटरकास्ट मैरिज करते है लेकिन समाज के कुछ लोग इसे सही नहीं मानते हैं। ऑनर किलींग करते हैं। देश में आज ओनर किलिंग एक बड़ी समस्या बन गई है।
लखनऊ: शादी कभी भी दो दिलों का मिलन नहीं होता है। बल्कि ये दो परिवारों का मिलन होता है। देश में लव मैरिज करने वाले ज्यादातर इंटरकास्ट मैरिज करते है लेकिन समाज के कुछ लोग इसे सही नहीं मानते हैं। ऑनर किलींग करते हैं। देश में आज ओनर किलिंग एक बड़ी समस्या बन गई है। इंटर कास्ट मैरिज या रिलेशनशिप के मामले में दोनों ही पक्षों पर दबाव होता है। अंत में ये सारा दबाव उस कपल को पड़ता है जो इस रिश्ते के लिए तैयार है। लेकिन हम कुछ तरीकों के बारे में बता रहे हैं जो इंटरकास्ट व इंटररिलीजन रिलेशनशिप के प्रेशर को मैनेज करने में मदद करेंगे।
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शादी के बाद ऐसे निभाएं
*जब दूसरी संस्कृति वाले किसी शख्स से शादी करते हैं, तो असल में अनदेखी दुनिया में कदम रखते हैं। इन बदलावों के हिसाब से खुद को ढालने का सबसे अच्छा तरीका यही है कि इन बदलावों को उसी तरह स्वीकार किया जाए जिस तरह वे आपकी जिंदगी में आ रहे हैं।
*भाषा -हो सकता है कि शुरुआत में आपको इसकी जरूरत का अहसास न हो, लेकिन अगर आप अपने कल्चर से बाहर शादी कर रहे हैं तो भाषा अलग होना भी एक समस्या बन सकती है। इसका समाधान इसी बात में है कि आप एक-दूसरे की भाषा को लिखना और बोलना सीखें।
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*कभी भी ये उम्मीद न रखें कि चीजें एकदम से बेहतर और सामान्य हो जाएंगी। आप दोनों को ही इस संबंध में कोशिश करनी होगी कि कल्चर की बाधा आपके रिश्ते या शादीशुदा जिंदगी के दरमियान न आने पाए।
*पैरेंट होने के नाते, कभी भी नहीं चाहेंगे कि बच्चा सिर्फ आपका या किसी एक के कल्चर को फॉलो करे। कंफ्यूजन से बचने और हर किसी को खुश रखने के लिए सिर्फ उन्हीं महत्वपूर्ण कल्चरल चीजों को फॉलो करें जिन्हें करना बेहद अनिवार्य हो।
*आप अपने पार्टनर की वैल्यूज और संस्कृति को समझने की कोशिश करें। उसके बारे में ज्यादा से ज्यादा और करीब से पता करने की कोशिश करें। अपने पार्टनर के बचपन के दिनों के बारे में बात करें, उनकी परवरिश के अनुभवों, उनके परिवार और उनकी रिलेशनशिप के बारे में जानने और बात करने की कोशिश करें।
इंटरकास्ट मैरिज के फायदे
* दूसरी जाति में शादी करने वाले ही अपने समाज के साथसाथ दूसरे समाज के प्रति भी सब्र के साथ अपने विचार रखते हैं।
* सामाजिक विरोध का सामना करने के लिए ऐसे पति-पत्नी को बहुत मजबूत होना पड़ता है। एकदूसरे का साथ देते हुए जिंदगी में आगे बढ़ते हुए यह रिश्ता मजबूत होता चला जाता है।भारत को धर्मनिरपेक्ष बनाने के लिए समाज में ऐसी शादियां खुशी से स्वीकार कर लेनी चाहिए।
* लड़का-लड़की दोनों ने अपनी मर्जी से शादी की होती है, इसलिए वे रिश्ता निभाने में कोई भी कसर नहीं छोड़ते। दोनों ही यह सोचते हैं कि उन्हें ही एक-दूसरे का साथ देना है। परिवार वालों से कोई उम्मीद नहीं होती और किसी को अपने फैसले का मजाक उड़ाने का मौका नहीं देना होता है। पति-पत्नी ज्यादा ईमानदारी से यह रिश्ता निभाने की कोशिश करते हैं।
* इन के बच्चे भी हर धर्म का आदर करना सीख जाते हैं। दोनों धर्मों के बुरे रीति-रिवाज छोड़ कर पति-पत्नी अपनी सुखी शादीशुदा जिंदगी के लिए नई दुनिया बसा कर केवल सुखदायी बातों पर ही ध्यान देते हैं।
* समाज में फैले अंधविश्वास, पाखंड, आडंबर जैसी कुरीतियों को मिटाने के लिए ऐसी शादियां बड़ी फायदेमंद साबित होती हैं।
* दूसरी जाति में शादी के चलन को अपना कर समाज में छोटी मानी जाने वाली जातियों को भी ऊपर उठने का मौका दिया जा सकता है।
* ऐसी कामयाब शादियां आने वाली पीढ़ी को भी धार्मिक पाखंडों और आडंबरों से छुटकारा दिलाने में मददगार होती हैं।
*सामाजिक भेदभाव, एकदूसरे के धर्म को नीचा दिखाना, यह सब रोकने के लिए समाज को दूसरी जाति में शादी स्वीकार करने में कोई हिचकिचाहट नहीं होनी चाहिए।
* दोनों धर्मों के त्योहारों का मजा ले कर जिंदगी में एक जोश सा बना रहता है, मिलजुल कर एकदूसरे के रंग में रंग कर जीने का मजा ही कुछ और होता है।
* आजकल के बच्चे तो गर्व से अपने दोस्तों को बताते हैं कि उन के मम्मीपापा ने दूसरी जाति में शादी की है। ऐसे लोग अपने माता-पिता को आदर से देखते हैं। उन के माता-पिता ने यह रिश्ता जोड़ने के लिए कितने सुखदुख झेले हैं, यह बात उन्हें भावनात्मक रूप से मजबूत बनाती है।
* जहां ऑनर किलिंग जैसी शर्मनाक बातें समाज को गिरावट की ओर ले जाती हैं, वहीं ऐसी शादियों के समर्थन में उठे कदम उम्मीद की किरण बन कर राह भी दिखाते हैं।
* दूसरी जाति में शादी करने वालों के बच्चों में भी दूसरों के मुकाबले ज्यादा मजबूत जींस होते हैं। ये बच्चे एक ही जाति के पतिपत्नी के बच्चों से ज्यादा होशियार होते हैं।
* ऐसी शादियों का एक बड़ा फायदा यह भी है कि दहेज प्रथा का यहां कोई वजूद नहीं रहता।
* जहां एक ओर अपनी जातबिरादरी में शादी तय करते समय लड़की की बोली लगाई जाती है, वहीं दूसरी तरफ ऐसी शादी सिर्फ प्यार, विश्वास और समर्पण पर टिकी होती है। दहेज, रुपएपैसे से इन्हें कोई मतलब नहीं होता। मिलजुल कर घर बसाते हैं।