यह वाक़या सरदार पटेल से ही जुड़ा हुआ है। रन फॉर यूनिटी के आयोजन से ही इस वाकये का सीधा रिश्ता है।बात साल 2013 की है।उस समय आज के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री हुआ करते थे।उन्होंने सरदार बल्लभ भाई पटेल की भव्य मूर्ति बनाने के लिए गाँव गाँव से लोहा एकत्रित करने का अभियान चलाया था।
सरदार पटेल की पुण्य तिथि पर समूचे भारत में रन फॉर यूनिटी का आयोजन किया गया था।इस आयोजन के लिए उनके कुछ अफ़सर उत्तरप्रदेश भी आये थे। डाली बाग़ स्थित नर्मदा गेस्ट हाउस में वे रुके हुए थे।मुझे गुजरात में तैनात मेरे प्रशासनिक अफ़सर मित्र ने भी इस आयोजन की सफलता में हाथ बँटाने तथा गुजरात से आए हुए अफ़सरों की मदद करने को कहा था।
मेरे ज़िम्मे आयोजन की सफलता और उसके मीडिया प्रबंधन का काम था। मैं चूँकि पत्रकार था इसलिए हमें इस काम के लिए भाजपा के एक चेहरे की ज़रूरत थी। मैंने विजय पाठक से बात की। वह तैयार हो गये। उनको तैयार होना ही था। उस साल के आयोजन में भाजपा के नेताओं की शिरकत बहुत कम थी। हालाँकि लोगों ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। आयोजन सफल हुआ। होना ही था। मैं युवा अवस्था से ही महात्मा गांधी ,सरदार पटेल, डॉ. लोहिया, सुभाष बाबू, आज़ाद, भगत सिंह के प्रति ज़्यादा आकर्षित रहा करता था। इसलिए यह काम मेरे को भाने वाला था।
हमें इस आयोजन की रूपरेखा और तैयारियों के बंदोबस्त ने भीतर तक प्रभावित किया। इससे ज़्यादा प्रभाव मुझ पर यह था कि किसी राज्य की नौकरशाही अपने मुख्यमंत्री के प्रति कितनी जवाबदेह है। कितना अनुराग रखती है। हालाँकि इसके कई दृश्य हमने उत्तर प्रदेश में भी देखे थे। पर यह तभी संभव था जब जिस जाति के मुख्यमंत्री हो उसी जाति का अफ़सर हो। पर मोदी जी ने जिन अफ़सरों को भेजा था उनमें जोशी, सिंह,अग्रवाल आदि थे। उनकी जाति का कोई अफ़सर नहीं था।
हमने नेशनल दुनिया में काम करने के दौरान २९-११-२०१२ को पहले पेज पर एक खबर लिखी थी।जिसके मुताबिक़ संघ किस तरह नरेंद्र मोदी को राष्ट्रीय फलक पर लाकर पहले प्रचार प्रमुख फिर प्रधानमंत्री बनाने की योजना पर काम कर रहा है। इसमें यह भी लिखा था कि मोदी के बाद आनंदी बेन पटेल मुख्यमंत्री बनेंगी।इस खबर के बाद से ही मेरे लिए नरेंद्र मोदी रुचि और जिज्ञासा विषय हो गये थे। मैं जब जागरण के दिल्ली ब्यूरों में काम कर रहा था तब गुजरात भी देखता था। उस समय कई बार नरेंद्र मोदी जी से भी मुलाक़ातें हुई थी।
एक बार मेरे घर पर संघ के रामचंद्र जी ,जो उस समय अफ़्रीका में संघ का काम देख रहे थे, और मेरे मित्र राजेश्वर सिंह नाश्ते पर थे। वह भाजपा का पराभव काल था। रामचंद्र जी ने हमसे जानना चाहा भाजपा की सरकार कैसे बनेगी तो हमने कहा कि नरेंद्र मोदी जी को सामने लाया जाना चाहिए।प्रधानमंत्री का उम्मीदवार घोषित करें सरकार बन जायेगी।
रन फ़ॉर यूनिटी के आयोजन के बाद गांधीनगर में २८-०१-२०१४ को मोदी जी से मिलने का संयोग हासिल हुआ। आज जब रन फ़ॉर यूनिटी का सफल आयोजन देश के कोने कोने में हो रहा है तब मन आनंद से भर उठा है।अतीत याद आने लगा है।
सरदार पटेल की पुण्य तिथि पर समूचे भारत में रन फॉर यूनिटी का आयोजन किया गया था।इस आयोजन के लिए उनके कुछ अफ़सर उत्तरप्रदेश भी आये थे। डाली बाग़ स्थित नर्मदा गेस्ट हाउस में वे रुके हुए थे।मुझे गुजरात में तैनात मेरे प्रशासनिक अफ़सर मित्र ने भी इस आयोजन की सफलता में हाथ बँटाने तथा गुजरात से आए हुए अफ़सरों की मदद करने को कहा था।
मेरे ज़िम्मे आयोजन की सफलता और उसके मीडिया प्रबंधन का काम था। मैं चूँकि पत्रकार था इसलिए हमें इस काम के लिए भाजपा के एक चेहरे की ज़रूरत थी। मैंने विजय पाठक से बात की। वह तैयार हो गये। उनको तैयार होना ही था। उस साल के आयोजन में भाजपा के नेताओं की शिरकत बहुत कम थी। हालाँकि लोगों ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। आयोजन सफल हुआ। होना ही था। मैं युवा अवस्था से ही महात्मा गांधी ,सरदार पटेल, डॉ. लोहिया, सुभाष बाबू, आज़ाद, भगत सिंह के प्रति ज़्यादा आकर्षित रहा करता था। इसलिए यह काम मेरे को भाने वाला था।
हमें इस आयोजन की रूपरेखा और तैयारियों के बंदोबस्त ने भीतर तक प्रभावित किया। इससे ज़्यादा प्रभाव मुझ पर यह था कि किसी राज्य की नौकरशाही अपने मुख्यमंत्री के प्रति कितनी जवाबदेह है। कितना अनुराग रखती है। हालाँकि इसके कई दृश्य हमने उत्तर प्रदेश में भी देखे थे। पर यह तभी संभव था जब जिस जाति के मुख्यमंत्री हो उसी जाति का अफ़सर हो। पर मोदी जी ने जिन अफ़सरों को भेजा था उनमें जोशी, सिंह,अग्रवाल आदि थे। उनकी जाति का कोई अफ़सर नहीं था।
हमने नेशनल दुनिया में काम करने के दौरान २९-११-२०१२ को पहले पेज पर एक खबर लिखी थी।जिसके मुताबिक़ संघ किस तरह नरेंद्र मोदी को राष्ट्रीय फलक पर लाकर पहले प्रचार प्रमुख फिर प्रधानमंत्री बनाने की योजना पर काम कर रहा है। इसमें यह भी लिखा था कि मोदी के बाद आनंदी बेन पटेल मुख्यमंत्री बनेंगी।इस खबर के बाद से ही मेरे लिए नरेंद्र मोदी रुचि और जिज्ञासा विषय हो गये थे। मैं जब जागरण के दिल्ली ब्यूरों में काम कर रहा था तब गुजरात भी देखता था। उस समय कई बार नरेंद्र मोदी जी से भी मुलाक़ातें हुई थी।
एक बार मेरे घर पर संघ के रामचंद्र जी ,जो उस समय अफ़्रीका में संघ का काम देख रहे थे, और मेरे मित्र राजेश्वर सिंह नाश्ते पर थे। वह भाजपा का पराभव काल था। रामचंद्र जी ने हमसे जानना चाहा भाजपा की सरकार कैसे बनेगी तो हमने कहा कि नरेंद्र मोदी जी को सामने लाया जाना चाहिए।प्रधानमंत्री का उम्मीदवार घोषित करें सरकार बन जायेगी।
रन फ़ॉर यूनिटी के आयोजन के बाद गांधीनगर में २८-०१-२०१४ को मोदी जी से मिलने का संयोग हासिल हुआ। आज जब रन फ़ॉर यूनिटी का सफल आयोजन देश के कोने कोने में हो रहा है तब मन आनंद से भर उठा है।अतीत याद आने लगा है।