नई दिल्ली : दुनिया में ना जाने कितने ही किस्से और कहानियां हैं जिनके बारे मे आप सभी ने सुना होगा, पढ़ा होगा, देखा भी होगा, लेकिन आज हम जिस किस्से के बारे मे आपसे जिक्र करने जा रहे हैं, वह ना आपने पढ़ा होगा, न सुना होगा, ना ही देखा होगा।
जी हाँ, एक ऐसा किस्सा जो आपको हैरानी मे लाकर खड़ा कर देगा। दरअसल हम बात कर रहें हैं एक ऐसे पिता की जिन्होनें अपनी नवजात बेटी को बचाने के लिए उसे स्तनपान कराया।
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यह थी वजह –
मैक्समिलन ने अपनी बेटी को स्तनपात कराने की वजह का खुलासा भी किया। उन्होंने कहा कि, ‘उनकी पत्नी अप्रिल ने बेटी को जन्म दिया, लेकिन कॉम्प्लिकेशन की वजह से वो बच्ची को तुंरत ब्रेस्टफीड नहीं करा सकती थीं। फिर नर्स ने उन्हें बच्चे को फिजिकल टच की जरूरत से अवगत कराया और बेबी फीडिंग कराने की बात कही। जिसपर पहले तो वह थोड़ा हिचकिचाए लेकिन फिर बच्ची के लिए इसकी अहमियत को समझते हुए उन्होंने ये जिम्मेदारी संभाल ली।‘
इस बीमारी से पीड़ित थी पत्नी -
मैक्समिलन ने बताया कि, ‘उनकी पत्नी अप्रिल पोलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम से पीड़ित थी, जिसकी वजह से उनकी प्रेग्नेंसी में काफी कॉम्प्लिकेशन थी। इसके चलते डिलीवरी के बाद वह अपने बच्चे के साथ स्कीन टच नहीं बना पाई और उसे स्तनपान भी नहीं करवा सकी। जिसके बाद अस्पताल की नर्स ने पिता को नवजात से स्किन टु स्किन कॉन्टैक्ट के लिए कहा।
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ऐसे करवाया स्तनपान -
स्तनपान डोर काउंटी मेडिकल सेंटर की नर्स ने मैक्स को सप्लीमेंटल नर्सिंग मेथड के जरिये स्तनपात करवाने का तरीका बताया। नर्स की मदद से उन्होंने अपनी बेटी को ब्रेस्टफीडिंग करवाई। मैक्समिलन ने खुद इस तस्वीर को सोशल मीडिया पर डाला, जिसके बाद इस तस्वीर को यूजर्स ने 30 हजार से ज्यादा बार शेयर किया।
क्या है पॉलिसिस्टक ओवेरियन सिंड्रोम
पॉलिसिस्टक ओवेरियन सिंड्रोम (पीसीओएस) भी एक ऐसी ही बीमारी है, जिसने पिछले दस साल में महिलाओं को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है। हॉर्मोन डिसबैलेंस के कारण होने वाली इस बीमारी से महिलाओं में कई गंभीर दिक्कतें पैदा हो रही हैं, जिनमें से एक है इंफर्टिलिटी।
लड़कियों की ओवरी में आमतौर पर कोई सिस्ट नहीं होती। हर महीने ओवरी एग रिलीज करती है, जिसे आम बोलचाल में महीना आना या मेडिकली मेंस्टुरल साइकल बोलते हैं। जब किसी फीमेल के शरीर में मेल हॉर्मोन और फीमेल हॉर्मोन का बैलेंस बिगड़ता है तो शरीर में बढ़े हुए मेल हॉर्मोन एंड्रोजन ओवरी में अंडे को सप्रेस कर छोटी छोटी सिस्ट या गांठों में बदल देते हैं।
इससे ओव्यूलेशन की प्रक्रिया गड़बड़ा जाती है। एग रिलीज नहीं होता, जिससे पीरियड्स अनियमित हो जाते हैं। कई बार तो पीरियड्स होने ही बंद हो जाते हैं। इससे आगे जाकर महिलाओं में बांझपन होने की आशंका बढ़ जाती है।