इस चाइनामैन बॉलर का होम ग्राउंड से नहीं होगा डेब्यू, सिलेक्टर्स ने फिर बढ़ाया इंतजार
कानपुर: न्यूजीलैंड के खिलाफ 22 सितंबर से शुरू हो रही टेस्ट सीरीज के लिए टीम इंडिया का ऐलान सोमवार को हुआ। सीरीज का पहला मैच कानपुर के ग्रीन पार्क स्टेडियम में खेला जाएगा और सिलेक्शन से पहले एक बार फिर कानपुर के चाइनामैन बॉलर कुलदीप यादव के नाम की चर्चा जोरों पर थी, जो काफी वक्त से अपने डेब्यू का इंतजार कर रहे थे, लेकिन सिलेक्टर्स ने एक बार फिर उनका इंतजार बढ़ा दिया।
सिलेक्शन से एक दिन पहले newztrack.com ने कुलदीप के पिता राम सिंह यादव से फोन पर बातचीत की। उन्होंने कहा था, ''मेरी बस भगवान से यही प्रार्थना कि इस बार मेरे बेटे का टीम में सिलेक्शन हो जाए। उसने यहां तक पहुंचने के लिए काफी मेहनत की है और वो टीम इंडिया में शामिल होने का हकदार है। मैं बस यही चाहूंगा कि सिलेक्टर्स एक बार फिर उसे मौका दें, ताकि वो खुद को साबित कर सकें। उसकी गेंदबाजी में काफी वेरिएशन है। अगर बेटे का डेब्यू होम ग्राउंड से होता है तो इससे अच्छी बात और क्या होगी।''
सिलेक्शन न होने पर नहीं होता निराश: राम सिंह
राम सिंह यादव ने बताया,''मेरे बेटे का सपना है कि वो टीम इंडिया के लिए खेले। हर दिन वो इस सपने के साथ जीता है और पूरी मेहनत करता है। जब कभी उम्मीद के बावजूद टीम में सिलेक्शन नहीं होता तो वो कभी दिल छोटा नहीं करता, बल्कि पहले से और ज्यादा मेहनत करता है इस विश्वास के साथ कि आज नहीं तो कल सिलेक्टर्स का ध्यान उसके प्रदर्शन पर जरूर जाएगा।''
दबाव में निखरता है यह गेंदबाज: कोच
कुलदीप के कोच कपिल पांडे के मुताबिक,''सिलेक्टर्स ने वेस्टइंडीज के खिलाफ कुलदीप यादव को टीम में सिलेक्ट किया था, लेकिन उसे खेलने का मौका नहीं मिला था। मुझे पूरी उम्मीद है कि एक बार फिर सिलेक्टर्स उस पर भरोसा दिखाएंगे और न्यूजीलैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज में शामिल करेंगे। कुलदीप बहुत की मेहनती खिलाड़ी है और उसे खुद को साबित करने का एक मौका मिलना चाहिए। दिलीप ट्रॉफी में वो अब तक 14 विकेट निकाल चुका है और अच्छी फॉर्म में भी चल रहा है।''
'कुलदीप ने नहीं सीखा आराम करना'
कपिल पांडे ने बताया, ''अक्सर खिलाड़ी एक सीरीज खत्म करने के बाद 2-3 दिन का आराम करते हैं, लेकिन कुलदीप के साथ ऐसा नहीं है। दिलीप ट्रॉफी खत्म करते ही जैसे ही वो लौटेगा दोबारा प्रैक्टिस शुरू कर देगा और अगर न्यूजीलैंड के खिलाफ सिलेक्ट हो गया तो फिर मेहनत दोगुनी होगी। ऐसा बहुत की कम खिलाड़ियों में देखने को मिलता है। क्रिकेट के लिए वो पूरी तरह से समर्पित है और कभी हार न मानने वाला खिलाड़ी है।''
दिलीप ट्रॉफी में खेल रहे हैं कुलदीप
कुलदीप यादव इस वक्त इंडिया रेड टीम की तरफ से दिलीप ट्रॉफी के फाइनल मैच में खेल रहे हैं। यह मैच ग्रेटर नोएडा स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स ग्राउंड में चल रहा है। कुलदीप इस ट्रॉफी में अब तक 14 विकेट चटका चुके हैं। इंडिया ग्रीन के खिलाफ हुए पहले मैच की पहली पारी में जहां इस गेंदबाज ने चार बल्लेबाजों को अपना शिकार बनाया तो वहीं दूसरी पारी में 6 विकेट निकालकर इंडिया ग्रीन की कमर तोड़ दी। इसके बाद इंडिया ब्लू के खिलाफ भी कुलदीप ने चार विकेट अपनी झोली में डाले। उनके मौजूदा प्रदर्शन को देखकर ही यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि इस बार सिलेक्टर्स कुलदीप का सपना पूरा कर सकते हैं।
दिग्गज हैं कुलदीप के मुरीद
सुनील गावस्कर, राहुल द्रविड़, संजय मांजरेकर और सचिन तेंदुलकर जैसे दिग्गज खिलाड़ियों को बहुत कम वक्त में चाइनामैन बॉलर कुलदीप यादव ने अपना कायल बना लिया था। उसकी बॉलिंग देखने के बाद तारीफों की ऐसी झड़ी लगी कि लगने लगा था अब टीम इंडिया में एंट्री दूर नहीं, लेकिन सेलेक्टर्स की निगाहें इस गेंदबाज पर नहीं पड़ी और इंतजार बढ़ता चला गया।
क्या होती है चाइनामैन बॉलिंग
जब कोई लेफ्ट आर्म स्पिनर गेंद को ठीक उसी तरह स्पिन कराए जैसा एक सीधे हाथ का ऑफ स्पिनर, तो इस तरह की गेंदबाजी को चाइनामैन गेंदबाजी कहते हैं। इस तरह की गेंद को खेलना बल्लेबाजों के लिए काफी मुश्किल भरा होता है। इसे लेफ्ट ऑर्म अनऑर्थोडॉक्स स्पिन बॉलिंग भी कहते हैं। क्रिकेट इतिहास में इस तरह की गेंद सबसे पहले साल 1933 में इंग्लैंड और वेस्टइंडीज के बीच खेले गए टेस्ट मैच में फेंकी गई थी।
ये मुकाबला मैनचेस्टर के ओल्ड ट्रैफर्ड में खेला गया था। वेस्टइंडीज के एलिस पुस एकॉन्ग लेफ्ट ऑर्म ऑर्थोडॉक्स स्पिनर थे। उन्होंने उस वक्त क्रीज पर खड़े वॉल्टर रॉबिंस को एक सरप्राइज डिलीवरी से स्टंप्ड कर दिया। रॉबिंस ने पवेलियन जाते वक्त कहा कि उनका विकेट एक सिरफिरे चाइनामैन ने लिया है। ऐसा उन्होंने इसलिए कहा कि एकॉन्ग मूल रूप से चीन के थे। इसी के बाद से दुनिया में चाइनामैन बॉलिंग की शुरुआत हुई।