Sourav Ganguly Birthday: फुटबॉलर बनना चाहते थे सौरव गांगुली, टीम इंडिया को सिखाया दादागिरी करना
Sourav Ganguly Birthday: सौरव गांगुली पहले फुटबॉलर बनना चाहते थे मगर बाद में वे क्रिकेट खेलने लगे और इस क्षेत्र में उन्होंने अपनी प्रतिभा का लोहा पूरी दुनिया में मनवाया।
Sourav Ganguly Birthday: क्रिकेट की दुनिया में टीम इंडिया को बुलंदी पर पहुंचने में सौरव गांगुली की प्रमुख भूमिका रही है। प्यार से दादा के नाम से बुलाए जाने वाले सौरव गांगुली टीम इंडिया के सबसे सफल कप्तानों में गिने जाते हैं। उन्होंने टीम इंडिया के कई नए खिलाड़ियों का करियर संवारने के साथ ही टीम को दादागिरी करना भी सिखाया।
उन्होंने 2019 से 2022 तक भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के अध्यक्ष की भूमिका भी निभाई। सौरव गांगुली आज 52 साल के हो गए और जन्मदिन के मौके पर उनके बुलंदी पर पहुंचने की कहानी और उनकी उपलब्धियां को जानना जरूरी है। सौरव गांगुली पहले फुटबॉलर बनना चाहते थे मगर बाद में वे क्रिकेट खेलने लगे और इस क्षेत्र में उन्होंने अपनी प्रतिभा का लोहा पूरी दुनिया में मनवाया।
शुरुआत में फुटबॉलर बनना चाहते थे गांगुली
सौरभ गांगुली का जन्म 8 जुलाई 1972 को कोलकाता के एक बंगाली परिवार में हुआ था। उनके पिता बंगाल क्रिकेट एसोसिएशन के सदस्य थे। इस वजह से उनका ग्राउंड पर आना-जाना था। फुटबॉल का कोलकाता में काफी क्रेज रहा है और सौरव गांगुली भी शुरुआती दिनों में क्रिकेट से ज्यादा फुटबॉल को ही पसंद किया करते थे।
वे आगे चलकर एक फुटबॉलर बनना चाहते थे और दसवीं कक्षा तक उन्होंने खूब फुटबॉल खेला। वे बचपन में खूब शैतानियां भी किया करते थे इस वजह से पिता ने उन्हें अपनी देखरेख में क्रिकेट ग्राउंड भेजना शुरू कर दिया। इस तरह उनकी जिंदगी में क्रिकेट का प्रवेश हुआ और बाद में वे इतने बेहतरीन क्रिकेटर बने कि पूरी दुनिया के दिग्गज खिलाड़ियों में उनकी गिनती होने लगी।
टीम इंडिया को गांगुली ने सिखाई दादागिरी
क्रिकेट जगत में अपनी उपलब्धियों के दम पर सौरव गांगुली यानी दादा भारतीय टीम का स्थायी हिस्सा बन गए। साल 2000 में जब भारतीय क्रिकेट में फिक्सिंग का खुलासा हुआ तो टीम का भविष्य अंधेरे में खोने जा रहा था। सचिन तेंदुलकर ने कप्तानी करने से इनकार कर दिया था। ऐसे में सौरव गांगुली को टीम इंडिया की कप्तानी सौंपी गई।
अपनी कप्तानी में उन्होंने टीम इंडिया के लिए सफलता की नई इबादत लिख दी। दादा की कप्तानी में भारतीय क्रिकेट टीम का नया अध्याय शुरू हुआ। विरोधी टीमों को उनके घरों में मात देकर सौरव गांगुली ने टीम इंडिया को बुलंदी पर पहुंचाया।
दादा ने भारतीय टीम को दादागिरी सिखाई, जिससे टीम बेखौफ होकर खेलने लगी। दादा ने ही वीरेंद्र सहवाग, युवराज और महेंद्र सिंह धोनी जैसे युवा खिलाड़ियों को मौका देकर देश की सर्वश्रेष्ठ टीम की नींव रखी थी।
शर्ट लहराकर फ्लिंटॉफ को दिया था जवाब
क्रिकेट फैंस आज भी सौरव गांगुली की दादागिरी के किस्से याद किया करते हैं।2002 में लॉर्ड्स की बालकनी में सौरव गांगुली के शर्ट लहराकर बनाए गए जश्न को कोई भी भारतीय क्रिकेट प्रशंसक कभी नहीं भूल पाएगा। दरअसल उस दिन टीम इंडिया ने नेटवेस्ट ट्रॉफी के फाइनल मुकाबले में इंग्लैंड के 325 रनों के बड़े स्कोर का सफलतापूर्वक पीछा करते हुए इंग्लिश टीम को मात दी थी। उसके बाद गांगुली ने शर्ट लहराकर इंग्लैंड के एंड्रयू फ्लिंटॉफ के जश्न का उसी अंदाज में बदला लिया था।
गांगुली के टीशर्ट उतारने की वजह एंड्रयू फ्लिंटॉफ ही थे, जिन्होंने भारत के खिलाफ मुंबई वानखेड़े स्टेडियम में खेले गए वनडे मैच में उस समय टीशर्ट हवा में लहराई थी, जब इंग्लैंड ने 6 मैचों की सीरीज को बराबर कर लिया था।
गांगुली ने एक बयान में यह बात स्वीकार की थी कि शर्ट उतार कर उन्होंने फ्लिंटॉफ को जवाब दिया था। हालांकि इस कदम के करीब एक दशक बाद गांगुली ने इस पर अफसोस भी जताया और कहा कि जश्न मनाने का दूसरा तरीका भी हो सकता था।
सौरव गांगुली का क्रिकेट करियर
सौरव गांगुली का क्रिकेट करियर काफी शानदार रहा। उन्होंने 113 टेस्ट मैच में टीम इंडिया का प्रतिनिधित्व किया। इस दौरान उन्होंने 188 पारियों में 7212 रन बनाए हैं। इस दौरान उनके बल्ले से 35 अर्धशतक, 16 शतक और 1 दोहरा शतक निकला है। वनडे मैचों की बात की बात करें तो 311 वनडे मैचों की 300 पारियों में 11363 रन बनाए हैं। इस दौरान उनके बल्ले से 72 अर्धशतक और 22 शतक निकला है।
सौरव गांगुली को टीम इंडिया के सफल कप्तानों में गिना जाता है उन्होंने 49 टेस्ट मैच और 147 वनडे माचो में टीम इंडिया के कप्तानी की। उनकी कप्तानी में ही टीम इंडिया 2003 में वनडे वर्ल्ड कप के फाइनल में पहुंचने में कामयाब रही थी। हालांकि फाइनल में टीम को ऑस्ट्रेलिया से हार का सामना करना पड़ा था।
उनकी कप्तानी में 2002 में टीम इंडिया चैंपियंस ट्रॉफी में संयुक्त विजेता बनी थी। गांगुली गेंदबाजी में भी किया करते थे और उन्होंने इंटरनेशनल क्रिकेट में 132 विकेट भी हासिल किए। बीसीसीआई अध्यक्ष के रूप में अपने 3 साल के कार्यकाल के दौरान उन्होंने क्रिकेट की दुनिया में भारतीय टीम को आगे बढ़ाने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी।