CWG 2022: जूडो की फाइनल में पहुंची सुशीला देवी लिकमाबाम, एक और मेडल हुआ पक्का

CWG 2022: भारतीय जुडो खिलाड़ी सुशीला देवी लिकमाबाम ने भारत के लिए एक और मेडल पक्का कर दिया। उन्होंने जूडो के 48 किलोग्राम भारवर्ग के फाइनल में जगह बना ली।

Written By :  Aakash Mishra
Update:2022-08-01 20:24 IST

Shushila Devi Likmanam (Image credit: Twitter)

Commonwealth Games 2022: भारत की सुशीला देवी (Shushila Devi Likmanam) ने जूडो के 48 किलोग्राम भारवर्ग के फाइनल में जगह बना ली हैं। उन्होंने इसी के साथ देश के लिए एक और पदक पक्का कर लिया है। उन्होंने सेमीफाइनल में मॉरिशस की प्रिसिल्ला मोरांद को हराया। अब फाइनल में उनका मुकाबला साउथ अफ्रीका की मिचेल से होगा। सुशीला इससे पहले भी कॉमनवेल्थ गेम्स में मेडल जीत चुकी हैं। उन्होंने 2014 कॉमनवेल्थ गेम्स में भी जुडो में भारत को सिल्वर जिताया था। वह जुडो में भारत के लिए मेडल जीतने वाली पहली महिला बनी थीं। इसके अलावा वह 2019 साउथ एशियन गेम्स में 48 किलोग्राम भारवर्ग में भी स्वर्ण पदक जीत चुकी हैं।


मैरीकॉम को मानती हैं आदर्श 

सुशीला मणिपुर की है, उनका जन्म 1 फरवरी 1995 को हुआ था। उनके घर में सभी कोई खेल से जुड़े रहे हैं, जिस वजह से उन्हें बचपन से ही जूडो का शौक था। सुशीला के बड़े भाई जुडो की ट्रेनिंग करते थे। उनके चाचा भी जुडो खेलते थे। उन्हीं को देखकर सुशीला ने भी जुडो खेलना शुरू किया था। उन्होंने 2007 से 2010 तक मणिपुर स्थित स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया में ट्रेनिंग की। जिसके बाद साल 2010 से पटियाला में ट्रेनिंग कर रही हैं।

टोक्यो ओलिंपिक में सुशीला जूडो में भारत की तरफ से एकलौती खिलाई थीं। हालाँकि, वह पहले ही दौर में बाहर हो गई थी। सुशीला दिग्गज भारतीय बॉक्सर मैरीकॉम (Mary Kom) को अपना आदर्श मानती हैं। उनकी चाहत है कि वह मैरीकॉम की तरफ ही वर्ल्ड चैंपियनशिप और ओलंपिक में मेडल जीते।

भारत का 8वां मेडल हुआ पक्का 

सुशीला निश्चित रूप से इस बार अपने मेडल का रंग बदला चाहेंगी। उन्होंने कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में भारत के लिए 8वां मेडल पक्का कर लिया है। इससे पहले भारत ने अभी तक 6 मेडल वेटलिफ्टिंग में जीते हैं और 7वां मेडल आज ही लॉन बॉल टीम ने फाइनल में पहुंचकर पक्का किया है। भारत ने अब तक तीन गोल्ड, दो सिल्वर और एक ब्रॉन्ज मेडल जीता हैं। तीन गोल्ड मेडल वेटलिफ्टर मीराबाई चानू, जेरेमी लालरिनुंगा और अचिंत शिवली ने जीते हैं। वहीं संकेत सरगर और बिंद्यारानी देवी ने सिल्वर मेडल जीते हैं। जबकि गुरुराज पुजारी ने ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया

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