Prayagraj news: डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या की बढ़ सकती हैं मुश्किलें, मामले की सुनवाई को कोर्ट तैयार

यूपी के डीप्टी सीएम केशव प्रसाद कि मुश्किलें बढ़ने वाली है, कोर्ट ने उनपर एक फर्जी डिग्री के मामले में सुनवाइ के आदेश दिए हैं।

Report :  Network
Published By :  Rahul Singh Rajpoot
Update: 2021-08-11 17:17 GMT

केशव प्रसाद मौर्या (सोर्स-सोशल मीडिया)

Prayagraj news:  उत्तर प्रदेश की आज (बुधवार) की सबसे बड़ी खबर संगम नगरी प्रयागराज से है, ये खबर किसी और की नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या से जुड़ी है, एसीजेएम नम्रता सिंह ने डिप्टी सीएम केशव मौर्य के खिलाफ कथित फर्जी डिग्री मामले में प्रारंभिक जांच के आदेश दिए हैं, यह आदेश बीजेपी नेता और आरटीआई कार्यकर्ता की याचिका पर अदालत ने दिया है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 25 अगस्त को मुकर्रर हुई है।


केशव प्रसाद मौर्या फाइल फोटो (सोर्स-सोशल मीडिया)

 एसएचओ कैंट को जांच का आदेश

आरटीआई एक्टिविस्ट और वरिष्ठ भाजपा नेता दिवाकर त्रिपाठी की याचिका पर सुनवाई करते हुए एसीजेएम नम्रता सिंह ने एसएचओ कैंट को जांच का आदेश देते हुए एक सप्ताह में रिपोर्ट तलब की है। याचिकाकर्ता दिवाकर त्रिपाठी का आरोप है कि उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य फर्जी डिग्री पर चुनाव लड़े और पेट्रोल पंप हासिल किये हैं। जिस पर कोर्ट ने एसएचओ कैंट को जांच के लिए आदेश दिया है।


फाइल फोटो सीएम योगी व केशव मौर्या (सोर्स-सोशल मीडिया)


 सुप्रीम कोर्ट की व्यवस्था के तहत जांच के आदेश

एसीजेएम नम्रता सिंह की कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई व्यवस्था के तहत मामले में प्रारंभिक जांच काे जरूरी बताते हुए यह आदेश दिया। अब इस मामले की अगली सुनवाई 25 अगस्त को होगी। एसएचओ कैंट इस मामले की जांच कर अपनी रिपोर्ट कोर्ट में पेश करेंगे। बता दें आरटीआई कार्यकर्ता और वरिष्ठ बीजेपी नेता दिवाकर त्रिपाठी ने कोर्ट में अर्जी दाखिल कर केशव प्रसाद मौर्य की डिग्री को फर्जी बताते हुए चैलेंज किया था। उनका आरोप था कि उन्होंने फर्जी डिग्री लगाकर पांच अलग-अलग चुनाव लड़े। इसके अलावा पेट्रोल पंप भी हासिल किया। इस मामले में बीते छह अगस्त को कोर्ट ने सुनवाई पूरी कर निर्णय सुरक्षित रखते हुए 11 अगस्त को फैसले की तारीख मुकर्रर की थी।

 शैक्षिक प्रमाण पत्र में अंकित है अलग-अलग वर्ष

शैक्षिक प्रमाण पत्र में अंकित है अलग-अलग वर्ष अर्जी में यह भी आरोप लगाया गया है कि शैक्षणिक प्रमाण पत्र में अलग-अलग वर्ष अंकित है। इनकी मान्यता नहीं है। दिवाकर ने बताया कि उन्होंने स्थानीय थाना, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से लेकर उत्तर प्रदेश, सरकार भारत सरकार के विभिन्न अधिकारियों मंत्रालयों को प्रार्थना पत्र दिया पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। मजबूर होकर कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा। अदालत से मांग की है कि इस प्रकरण में कैंट थाना के प्रभारी को आदेशित किया जाए कि प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कर विधि अनुसार विवेचना करें।

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