Cyber Crime: बिना ओटीपी कैसे उड़ जाते हैं खाते से लाखों रुपये? बैंक वाले, सिम वाले सब जुड़े थे इस ठगी गैंग से
Cyber Crime : यूपी पुलिस ने चेक कलोनिंग र्गैंग का भंडाफोड़ किया है। ये गैंग साइबर ठगी को फिल्मी अंदाज में अंजाम देता था। इसमें विक्टिम को पता ही नहीं चलता था कि उसके बैंक खाते से लाखों रुपये उड़ा लिए गए हैं
Cyber Crime: साइबर ठगी के नए-नए मामले हर दिन सामने आ रहे हैं, जहां साइबर ठग भोले-भाले लोगों को शातिर तरीके से चूना लगा रहे हैं। इन साइबर ठगों के ठगी का अंदाज ऐसा है कि जब पुलिस ने सुना तो वह भी दंग रह गई। पुलिस ने एक ऐसे ही शातिर गैंग का भंडाफोड़ किया है जो एकदम फिल्मी अंदाज में लोगों को चूना लगा रहे थे और लोगों को इसका पता भी नहीं चलता था कि कब उनके बैंक से रुपये उड़ा लिए गए। ये गैंग कस्टमर की चेकबुक, साइन, मोबाइल नंबर और अन्य डॉक्यूमेंट को बड़े ही आसानी से एक्सेस कर लेता था। इसके बाद विक्टिम को लाखों रुपये का चूना लगा देता। हैरानी की बात यह है कि विक्टिम को ना तो कोई ओटीपी देना पड़ा और ना वह किसी लिंक पर क्लिक करता। इसके बावजूद उसकी नाक के नीचे से साइबर ठग रुपये उड़ा ले जाते हैं।
आइए यहां इसके बारे में विस्तार से जानते हैं-
आपने साइबर ठगी के कई मामले सुने और पढ़े होंगे, लेकिन इन साइबर ठगों के शातिर अंदाज के बारे में आपने शायद ही कहीं सुना या पढ़ा हो। आपने हॉलीवुड की फिल्म कैच मी इफ यू कैन देखी होगी। इस फिल्म में लियोनार्डियो डिकैपिर्यो भी हैं। इस अंग्रेजी फिल्म में 1960 के दशक में लोगों को ठगने का काम किया जाता था। उसने करोड़ों डॉलर का चूना लगाया था। ऐसे ही एक शातिर गैंग का भंडाफोड़ यूपी पुलिस ने किया है।
पुलिस ने 10 लोगों को किया गिरफ्तार
उत्तर प्रदेश की पुलिस ने 10 लोगों के एक गैंग को गिरफ्तार किया है, जो अपने शातिराना चाल से भोले-भाले लोगों को चूना लगा चुके हैं और करोड़ों रुपयों की ठगी कर चुके हैं। इस गैंग ने ठगी के मामलों को एकदम फिल्मी स्टाइल में अंजाम दिया, जहां बैंक कस्टमर को यह पता ही नहीं चलता था कि कब उनके अकाउंट से रुपये कट गए।
बुलंदशहर पुलिस ने दबोचा इन ठगों को
यूपी के बुलंदशहर जिले की पुलिस ने शनिवार को ऐसे लोगों को गिरफ्तार किया, जो पूरे देश में शातिर अंदाज में साइबर ठगी के मामलों को अंजाम दे चुके थे। इसके लिए ये लोग क्लोनिंग चेक का इस्तेमाल करते थे। यह जानकारी एक न्यूज एजेंसी को सीनियर सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस श्लोक कुमार ने दी।
ऐसे चोरी करते थे डेटा और अन्य डिटेल्स
एसएसपी ने बताया कि जो लोग गिरफ्तार हुए हैं, उसमें से कुछ बैंक के जनरेटर ऑपरेटर थे, जिन्होंने डेटा लीक किया। इसके अलावा टेलीकॉम कंपनियों के एजेंट भी थे, जो ओटीपी तक को ट्रांसफर करते थे। वहीं कुछ लोग ऐसे थे, जिनके बैंक अकाउंट में रुपये डिपॉजिट कराए जाते थे।
चेकबुक से ऐसे करते थे चोरी
पुलिस ने बताया है कि यह गैंग सबसे पहले बैंक कस्टमर की बड़ी ही चालाकी से चेकबुक को उड़ाता था। वे चेकबुक को बैंक में पहुंचने से पहले ही गायब कर देते थे। इसके बाद जब कस्टमर इसकी बैंक में शिकायत दर्ज कराता था तो पुरानी चेकबुक को कैंसिल कर दिया जाता और नई चेकबुक को जारी कर दिया जाता था। इसके बाद गैंग नई चेकबुक की डिटेल्स डिलिवरी होने से पहले चुरा लेता।
चेकबुक में ऐसे करते थे साइन और लूटते थे रुपये
पुलिस ने बताया कि यह शातिर गैंग एक खास केमिकल का इस्तेमाल करके चेकबुक से पुरानी डिटेल्स को रिमूव कर देता और नई चेकबुक की डिटेल्स को प्रिंट कर देता था। इसके साथ ही कस्टमर के फर्जी साइन का इस्तेमाल करते और रुपये निकाल लेते थे।
स्थानीय केस की जांच और पकड़ा गया गैंग
एसएसपी ने बताया कि उन्होंने इस मामले की जांच तब शुरू की, जब एक स्थानीय व्यक्ति के साथ 15 लाख रुपये की साइबर ठगी का मामला सामने आया। साइबर ठगों ने बड़े ही चालाकी से कस्टमर को भनक लगे बिना उसके चेक का इस्तेमाल करके 15 लाख रुपये उड़ा लिए। पुलिस ने बताया कि शिकायतकर्ता ने कहा कि उसे बैंक की तरफ से कोई मैसेज नहीं मिला कि उसके बैंक से रुपये कट गए हैं। कस्टमर ने जब पासबुक को अपडेट कराया तो उसे पता चला कि उसके बैंक अकाउंट से 15 लाख रुपये उड़ा लिए गए हैं
ऑर्गनाइज तरीके से काम करता हैं
यह एक ऑर्गनाइज गैंग है और इसके सदस्य एक टीम की तरह काम करते हैं। ये गैंग ऐसे काम करता था, जो किसी कंपनी या ऑफिस में करते हैं। ये लोगों को ठगने के लिए बड़े ही सिस्टम से काम करते थे। पुलिस ने बताया कि पहले वे बैंक से उस व्यक्ति कि डिटेल्स का इंतजाम करते। इसके बाद वे उस व्यक्ति के नाम से सिम कार्ड हासिल करते, जिसके लिए वे फर्जी डॉक्यूमेंट का इस्तेमाल करते हैं।साइबर ठग दिखाते हैं कि उस व्यक्ति का स्वर्गवास हो चुका है। इसके बाद उस नंबर को नए व्यक्ति के नाम से खरीदा जाता है। इसके बाद उसे बैंक डिटेल्स आदि रिसीव होती हैं। इसके बाद वह ओटीपी आदि का इस्तेमाल करके रुपये ट्रांसफर कर लेते थे।
कई अकाउंट में कर दिए जाते हैं ट्रांसफर
इसके बाद लूटे हुए रुपयों को अलग-अलग बैंक अकाउंट में ट्रांसफर कर दिया जाता है, जिसकी मदद से उसे ट्रैक करना मुश्किल हो जाता है और रिकवर करने में भी परेशानी होती है। यहां एक ऐसा ग्रुप होता था, जो ठगी में लूटे गए रुपये से जमीन आदि खरीदता। यह जानकारी पुलिस ने दी।
गैंग से जब्त किया ये सामान
पुलिस ने इस शातिर साइबर गैंग के पास से 42 मोबाइल फोन बरामद किए हैं। इनके पास से 33 सिम कार्ड, 12 चेकबुक, 20 पासबुक, 14 खुले चेक को जब्त किया गया है। इसके अलावा पुलिस ने एक कार भी जब्त किया है, जिसके डैशबोर्ड पर दिल्ली पुलिस की कैप रखी थी। इसकी मदद से वे सिक्योरिटी चेकिंग आदि से बच जाते थे। पुलिस ने उनके पास से वॉकी-टॉकी को भी जब्त किया है। यह गैंग दिल्ली, मध्य प्रदेश, हरियाणा, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश समेत देश के कई हिस्सों में सक्रिय था।