ट्रूकॉलर जैसी सुविधा लाने की ट्राई की तैयारी, केवाईसी आधारित होगा कॉलर आईडी
TRAI Truecaller: स्मार्टफोन इस्तेमाल करने वाले ढेरों लोग ट्रूकॉलर ऐप अपने फोन में रखते हैं ताकि कोई कॉल आने पर उस व्यक्ति का नाम पता चल जाये।
TRAI Truecaller स्मार्टफोन इस्तेमाल करने वाले ढेरों लोग ट्रूकॉलर ऐप अपने फोन में रखते हैं ताकि कोई कॉल आने पर उस व्यक्ति का नाम पता चल जाये। हालांकि इस ऐप के बारे में प्राइवेसी को लेकर काफी मसले गिनाए जाते हैं लेकिन ये ऐप बहुत लोकप्रिय बना हुआ है।
अब भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ट्रूकॉलर जैसे एक कॉलर आईडी सिस्टम पर काम कर रहा है। इससे यूजर के फोन पर उन कॉलर का नाम दिखाई देगा जिनका नो योर कस्टमर (केवाईसी) हो चुका है। ट्राई ने इस मामले पर अपना शोध पूरा कर लिया है, और जल्द एक परामर्श पत्र लाया जाएगा।
ट्राई ने दुनिया भर से डेटा एकत्र किया है और इस पर परामर्श पत्र जल्द ही सार्वजनिक किया जाएगा। पिछले कुछ महीनों से इस पर एक अध्ययन किया जा रहा था और दुनिया भर से डेटा एकत्र किया गया। सिस्टम के निहितार्थ को समझने के लिए ट्राई कर्मचारी सिंगापुर गए थे।
सरकार द्वारा पेश किये जाने वाले आईडी सिस्टम में उपयोगकर्ता के फोन पर केवाईसी-आधारित नाम दिखेगा। नियामक संस्था का मानना है कि यह प्रणाली पूरी तरह से नई होगी, ट्रूकॉलर से अलग और अधिक प्रामाणिक होगी।ट्रूकॉलर असली नाम नहीं बल्कि एक प्रोफ़ाइल नाम दिखाता है। इसका मतलब है कि यह फीचर प्रोफाइल नेम को दिखाता है जो आपका असली नाम या नकली नाम, कुछ भी हो सकता है।
ट्राई की आईडी प्रणाली में, यह आपका केवाईसी नाम दिखाएगा, जो निश्चित रूप से एक वास्तविक प्रोफ़ाइल होगा। स्टडी के दौरान ट्राई के अधिकारी को कई फीडबैक मिले, जिसमें कई लोगों ने कहा कि स्क्रीन पर असली नाम दिखाना सही नहीं है। वहीं, कई लोगों का मानना था कि यह फीचर उनकी प्राइवेसी से समझौता करेगा।
परामर्श पत्र तैयार होने के बाद टिप्पणियां या जवाबी टिप्पणियां प्राप्त की जाएंगी। उसके बाद इस सेवा के बारे में फाइनल किया जाएगा। ये सेवा मुफ्त होगी या पेड, यह अभी तय नहीं है।
वर्तमान में, ट्रूकॉलर अपने उपभोक्ताओं को समान सेवाएं प्रदान करता है और भारत उसके सबसे बड़े बाजारों में से एक है। ट्रू कॉलर चूंकि यूजर की जानकारी हासिल करता है सो इसे लेकर प्राइवेसी की चिंताएं हैं।