What is Deep Fake: कहीं आप भी 'डीप फेक' वीडियो का शिकार तो नहीं! यदि ऐसा तो डरने की नहीं जरूरत बस करें ये काम
What is Deep Fake : रश्मिका मंदाना का डीप फेक वीडियो सोशल मीडिया पर जब से वायरल हुआ है। इसे लेकर काफी ज्यादा चर्चा हो रही है। चलिए आज आपको इस डीप फेक के बारे में सब कुछ बताते हैं और इससे बचने के तरीके भी जानते हैं।
What is Deep Fake : एक्ट्रेस रश्मिका मंदाना का एक वीडियो जब से सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है तब से हर जगह डीप फेक की चर्चा हो रही है और कई लोगों ने इस पर चिंता जताई है। इस वायरल वीडियो के बाद बॉलीवुड इंडस्ट्री के कई कलाकारों को और अन्य लोगों को भी अपना रिएक्शन देते हुए देखा है। रश्मिका के बाद अब कटरीना कैफ को भी इस डीप फेक वीडियो के जाल में फंसते हुए देखा गया। उनकी टाइगर 3 के फाइटिंग सीन की कुछ तस्वीरों को कपड़ों के साथ छेड़छाड़ कर सोशल मीडिया पर वायरल किया जा रहा है। चलिए आज हम आपको डीप फेक क्या है। इससे किस तरह से बचा जा सकता है और यह किस तरह से चलता है इस बारे में जानकारी देते हैं।
क्या है डीपफेक
आपको बता दें कि इस डीप फेक वीडियो का शिकार कोई भी हो सकता है। अगर आपको डीप फेक वीडियो की पहचान करनी है तो इसके लिए आप कुछ पॉइंट्स के जरिए आसानी से पता कर सकते हैं कि ये वीडियो पूरी तरह से फेक है। इसके लिए व्यक्ति के चेहरे और बॉडी पोश्चर पर ध्यान देना जरूरी है। जब भी किसी व्यक्ति का चेहरा किसी वीडियो या फोटो पर लगाया जाता है तो उसमें हल्का सा स्किन कलर डिफरेंट भी दिखाई देता है। अगर ध्यान से देखेंगे तो इसमें आपको कलरिंग भी हल्की सी अलग नजर आएगी। इस तरह के वीडियो में आप देख पाएंगे की बहुत देर तक किसी शख्स ने अपनी आंखें नहीं झपकाई है तो यह भी इसके फेक होने का एक बड़ा सबूत है। फेक वीडियो की पहचान करने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि आप व्यक्ति के चेहरे और उसके शरीर के हाव-भाव को देखें। जिस तरह से व्यक्ति की बॉडी काम करती है वैसे एक्सप्रेशन उसके चेहरे पर भी दिखाई देते हैं। अगर इनमें सामान्य नहीं है तो जाहिर सी बात है कि यह एक फेक वीडियो है।
कैसे करें पहचान
अगर आपको डीप फेक वीडियो की पहचान करनी है तो इसके लिए आप कुछ पॉइंट्स के जरिए आसानी से पता कर सकते हैं। इसके लिए व्यक्ति के चेहरे और बॉडी पोश्चर पर ध्यान देना जरूरी है। अगर ध्यान से देखेंगे तो इसमें आपको कलरिंग भी हल्की सी अलग नजर आएगी। इस तरह के वीडियो में आप देख पाएंगे की बहुत देर तक किसी शख्स ने अपनी आंखें नहीं झपकाई है तो यह भी इसके फेक होने का एक बड़ा सबूत है।
कैसे रहें सुरक्षित
अगर आप डीप फेक से खुद को सुरक्षित रखना चाहते हैं तो आपको सोशल मीडिया के कुछ नियमों को जान लेना चाहिए। सबसे पहले तो आप टू फैक्टर ऑथेंटिकेशन को इस्तेमाल करें। अगर आप कोई भी जानकारी ऑनलाइन शेयर कर रहे हैं तो इस पर थोड़ा गौर करने की जरूरत है। डीप फेक कंटेंट की रिपोर्ट आप संबंधित प्लेटफार्म और सरकारी अथॉरिटी से करेंगे तो ही बेहतर होगा। अपने फोन की प्राइवेसी सेटिंग में जल्दी-जल्दी बदलाव करना भी बहुत जरूरी। यूनिक पासवर्ड का इस्तेमाल करना चाहिए और इस बदलते रहना चाहिए और किसी के साथ शेयर ना करें तो बेहतर होगा। सोशल मीडिया अकाउंट को पब्लिक रखने की जगह प्राइवेट रखेंगे तो अच्छा होगा ताकि आप गलत लोगों की नजर से सुरक्षित रह सके। आजकल सोशल मीडिया के बढ़ते इस्तेमाल के जरिए लोगों के जितने रियल लाइफ फ्रेंड नहीं होते हैं, उससे कई ज्यादा वर्चुअल लाइफ फ्रेंड होते हैं। सोशल मीडिया पर हम कई तरह के लोगों से मिलते हैं और उनमें से कुछ तो अच्छे निकलते हैं लेकिन कुछ हमारे सामने अच्छे होने का दावा करने के बावजूद भी बुरे निकाल सकते हैं जो हमारे लिए नुकसानदायक है। सोशल मीडिया पर अपना अकाउंट प्राइवेट रखना ही सिर्फ बचने का तरीका नहीं है बल्कि आप किन लोगों की रिक्वेस्ट एक्सेप्ट कर रहे हैं। आप उन्हें कितना जानते हैं और आपकी फ्रेंड लिस्ट में जो लोग हैं वो किस तरह के हैं ये जानना हर व्यक्ति के लिए जरूरी है।
सरकार के कानून
AI लोगों के लिए जितना सुविधाजनक बन गया है, ये सुविधा उतना ही लोगों के लिए नुकसानदायक बनती जा रही है। हालांकि, इससे दुष्परिणामों से बचने और शिकार हुए लोगों को बचाने के लिए हमारे संविधान में डीपफेक के लिए कानून शामिल है जो आईटी एक्ट की धारा 66 डी के तहत आता है। इसके तहत व्यक्तिगत और गैर व्यक्तिगत डेटा के उल्लंघन पर दंड देने का प्रावधान है। अगर किसी व्यक्ति का मजाक उड़ाया जाता है या फिर उसे फ्रॉड की तरह इस्तेमाल किया जाता है तो आईटी एक्ट की धारा के तहत इंटरनेट पर तस्वीरों को प्रकाशित या प्रसारित करने पर गोपनीयता को भंग करने के लिए सजा हो सकती है। जो भी व्यक्ति इसका शिकार होता है वो नजदीकी पुलिस के पास जाकर भी इस संबंध में सहायता मांग सकता है और साइबर थाने के जरिए भी सहायता मांगी जा सकती है।