Bharat Ka Khooni Registan: भारत के दक्षिण में मौजूद है एक खूनी रेगिस्तान... जहां फैली हुई है लाल रंग की रेत
Theri Kaadu Tamil Nadu: तमिलनाडु के थूथुकुडी जिले में ‘थेरीकाड’ नाम का लाल रेगिस्तान पर्यटकों के लिए रोचकता का विषय बना हुआ है। आइए जानते हैं इस रेगिस्तान के बारे में डिटेल में।;
Red Desert of Tamil Nadu: लाल रेगिस्तान के बारे में बात करें तो अरबी रेगिस्तान के मध्य हिस्से में स्थित अद-दहना रेगिस्तान की रेत थोड़ी लाल रंग की होती है। वहीं अरबी प्रायद्वीप में स्थित अन-नफ़ूद रेगिस्तान की रेत भी लाल रंग की है। अफ़्रीका और एशिया के बीच स्थित एक नमकीन समुद्र के तौर पर लाल रंग का सागर मौजूद है। जो कि हिंद महासागर (Indian Ocean) का एक हिस्सा है। इस सागर तट के पास भी लाल रेत का रेगिस्तान है।
बात भारत की करें तो तमिलनाडु के थूथुकुडी जिले में ‘थेरीकाड’ (Theri Kaadu) नाम का लाल रेगिस्तान पर्यटकों के लिए रोचकता का विषय बना हुआ है। यह रेगिस्तान 12,000 एकड़ में फैला है।यह फिल्मों की शूटिंग का प्रसिद्ध स्थल है और अपनी अनोखी रेत, काजू-ताड़ के पेड़ों के लिए प्रसिद्ध है।
फिल्मों की शूटिंग के लिए पसंदीदा जगह है यह
लाल रंग की रेत से पटे इस रेगिस्तान पर जब सूरज की किरणें पड़ती हैं तो खून से जमीन का रंग लाल हो गया हो ऐसा दिखाई पड़ता है। थेरिकाड रेगिस्तानी इलाके के साथ ही साथ एक खूबसूरत प्राकृतिक स्थान भी है। दक्षिण भारतीय फिल्म निर्माताओं के लिए दृश्यों की शूटिंग के लिए भी खास महत्व रखता है। लाल रेत का यह अनोखा क्षेत्र फिल्मों को असाधारण दृश्य देने के लिए प्रसिद्ध है। विशाल अभिनीत तमिल फिल्म ‘थमिराभारनी’ का अंतिम लड़ाई दृश्य इसी रेगिस्तान में फिल्माया गया था।
इसके अलावा, सुपरहिट फिल्में जैसे ‘सिंघम’ और ‘असुरन’ के भी कई महत्वपूर्ण सीन इसी जगह पर शूट हुए हैं। इस रेगिस्तान का परिदृश्य एक तरफ सुंदरता से भरपूर है, तो दूसरी तरफ इसके सूखे और गर्म वातावरण में जीवन कठिन होता है। थेरीकाड की लाल रेत इसे तमिलनाडु के बाकी हिस्सों से अलग बनाती है। यह तिरुचेंदूर के पास स्थित है। इसके आसपास के कस्बे नलुमावाडी, पुदुकुडी, सोनाकनविलाई, कयामोझी, और परमानकुरिची हैं।
वैज्ञानिकों ने सुलझाया दुनिया के सबसे बड़े ‘लाल’ रेगिस्तान का रहस्य
वैज्ञानिकों ने दुनिया के सबसे बड़े ‘लाल’ रेगिस्तान का रहस्य सुलझा लिया है। इसकी उम्र को लेकर चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। यह रेगिस्तान सहारा मरुस्थल का हिस्सा है और अफ्रीका के मोरक्को में है। इसे मोरक्को में लाला ललिया का टीला भी कहा जाता है।
पृथ्वी के इसे सबसे बड़े और सबसे जटिल रेगिस्तान की उम्र की गणना वैज्ञानिकों द्वारा की गई। यह रेगिस्तान करीब 100 मीटर ऊंचा और 700 मीटर चौड़ा है। इसकी उम्र को लेकर वैज्ञानिकों का कहना है कि यह रेगिस्तान करीब 13 हजार साल पहले बना था। शुरुआत के 8 हजार साल में यह जैसे बने थे, वैसे ही थे। लेकिन उसके बाद इनका आकार तेजी से बढ़ने लगा था। वैज्ञानिकों ने इसकी उम्र जानने के लिए ल्यूमिनसेंस डेटिंग नामक तकनीक का इस्तेमाल किया।
मंगल ग्रह पर भी होते हैं ऐसे रेगिस्तान
एबरिस्टविथ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ज्योफ डुलर ने बिर्कबेक विश्वविद्यालय में प्रोफेसर चार्ल्स ब्रिस्टो के साथ रेगिस्तान पर एक शोध प्रकाशित किया था। शोध के अनुसार, रेगिस्तान का नाम लाला ललिया इसके आकार को देखकर रखा गया। इस तरह के रेगिस्तान अफ्रीका, एशिया और उत्तरी अमेरिका के अलावा मंगल ग्रह पर भी होते हैं।
इनका निर्माण दिशा बदलने वाली विपरीत हवाओं के कारण होता है। लाला ललिया को मोरक्को की स्थानीय भाषा में सर्वोच्च न्याय पवित्र बिंदु कहते हैं। रिसर्च में सामने आया है कि यह रेगिस्तान प्रति वर्ष लगभग 50 सेंटीमीटर की स्पीड से रेगिस्तान में घूम रहा है।