Mystery Of Kuldhara Village : राजस्थान का रहस्यमयी गांव

Mystery Of Kuldhara Village; राजस्थान का एक गांव है कुलधारा जो भारत ही नहीं दुनिया में भूतों के गांव के नाम से मशहूर है। पिछले करीब 200 सालों से यह गांव वीरान पड़ा है और भूतिया जगहों में गिना जाता है।

Update:2024-09-28 22:45 IST

Kuldhara Village ( Pic- Social- Media)

Mystery Of Kuldhara Village: राजस्थान राज्य अपने किलों, महलों के अलावा कई अद्भुत गांव के लिए भी मशहूर है। ऐसा ही राजस्थान का एक गांव है कुलधारा जो भारत ही नहीं दुनिया में भूतों के गांव के नाम से मशहूर है। पिछले करीब 200 सालों से यह गांव वीरान पड़ा है और भूतिया जगहों में गिना जाता है। राजस्थान सरकार ने इसे पर्यटन स्थल का दर्जा दे दिया है, जिससे यहां हर रोज हज़ारों की संख्या में देशी और विदेशी पर्यटक आते हैं। 12वीं शताब्दी के अंतिम दौर में पालीवाल ब्राह्मणों द्वारा बसाया गया यह गांव जैसलमेर से करीब 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।


इस गांव को मूल रूप से ब्राह्मणों ने बसाया था, जो पाली जिले से जैसलमेर आकर कुलधारा गांव में बस गए थे। पाली ब्राह्मणों को पालीवाल कहा जाता था। प्राचीन काल के एक कथा अनुसार पाली के एक कधान नामक ब्राह्मण ने इस गांव में अपना घर बना कर एक तालाब खोदा था, जिसका नाम उधनसर रखा था।19वीं शताब्दी में पानी के अभाव में पूरा गांव नष्ट हो गया। कुछ लोगों का कहना है कि इस गांव के विनाश में जैसलमेर राज घराने के महामंत्री सलीम सिंह का गांव वालों पर अत्याचार मुख्य कारण है। ऐसा कहा जाता है कि सलीम सिंह यहां के गांव के प्रधान की बेटी को चाहने लगा था और गांव वालों के विरोध करने पर कर वसूलने की धमकी देने लगा। इस पर गांव वालों ने अपनी जान बचाने के साथ-साथ अपनी बेटी की इज्जत बचाने के लिए मुखिया समेत रातों-रात इस गांव को वीरान छोड़कर किसी दूसरी जगह पर चले गए।


गांव छोड़कर जाते समय गांववाले इस गांव को श्राप भी दे गए जिस कारण यह गांव शापित गांव के नाम से भी जाना जाता है।कभी खुशहाल रहने वाला और पूरी तरह बसा हुआ यह गांव आज खंडहर में तब्दील हो चुका है , जो उस जमाने की गवाही देता है। वहां के खंडहर उस युग की वास्तुकला की उत्कृष्टता का एक बेहतरीन नमूना है। आज यह जगह फोटोग्राफर और फिल्म निर्माताओं को अपनी गलियों की ओर आकर्षित करता है। यह गांव अब राज्य पुरातत्व विभाग के तहत एक संरक्षित स्मारक और ऐतिहासिक धरोहर के रूप में है।एक विशाल क्षेत्र में फैले हुए इस गांव में लगभग 85 छोटी बस्तियां हैं जहां पर्यटक घूम सकते हैं और उस दौरान की झलकियां देख सकते हैं।


वैसे तो कुलधरा गांव के सभी घर खंडहर में तब्दील हो चुके हैं।इस गांव में एक देवी मंदिर भी है, जो खंडहर हो चुका है। लेकिन मंदिर के अंदर के शिलालेख पुरातत्वविदों को इस गांव और इसके निवासियों के बारे में जानकारी निकालने में मदद करता है।इस गांव में पर्यटक सुबह 8 बजे से शाम 6 बजे तक घूम सकते हैं। हालांकि यह जगह भूतिया माना जाता है इसलिए यहां के स्थानीय लोग सूर्यास्त के बाद अपने द्वार बंद कर देते हैं। इस जगह आप कार से घूम सकते हैं जिसमें प्रवेश के लिए प्रति व्यक्ति एंट्री फीस देनी पड़ती है।


घूमने का समय :

राजस्थान में होने की वजह से यहां अत्यधिक गर्मी पड़ती है। इसलिए पर्यटकों के लिए यहां घूमने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च के बीच है। इस बीच सर्दियों का मौसम होने से पर्यटक धूप में रेगिस्तान में घूमने का आनंद ले सकते हैं।


कैसे पहुंचे ?

हवाई मार्ग से इस गांव तक पहुंचने के लिए निकटतम हवाई अड्डा जैसलमेर हवाई अड्डा है जो शहर से 5 किमी की दूरी पर स्थित है । यह हवाई अड्डा नई दिल्ली, जयपुर और जोधपुर से हवाई मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। हालांकि इस हवाई अड्डा का प्रबंधन भारतीय वायु सेना द्वारा किया जाता है। इसलिए यहां कुछ समय की पाबंदी रहती है।

यहां पहुंचने के लिए दूसरा विकल्प लगभग 285 किमी की दूरी पर स्थित जोधपुर हवाई अड्डा है। इसके अलावा दिल्ली का भी निकटतम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है। यहां पहुंच कर टैक्सी के माध्यम से इस गांव तक पहुंचा जा सकता है।


रेल मार्ग से जैसलमेर का रेलवे स्टेशन निकटतम स्टेशन है जो शहर से 2 किमी पूर्व में है। यह शहर जोधपुर, आगरा, जयपुर, नई दिल्ली और मुंबई जैसे देश के अन्य प्रमुख शहरों से रेल द्वारा अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। यहां पहुंच कर इस गांव की यात्रा की जा सकती है।

सड़क मार्ग द्वारा इस जगह राजस्थान राज्य सड़क परिवहन निगम द्वारा जैसलमेर से प्रतिदिन बसें उपलब्ध हैं। जैसलमेर गुजरात और राजस्थान के शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। टैक्सी, बस या अपने साधन से भी इस जगह पहुंचा जा सकता है।

( लेखिका वरिष्ठ पत्रकार हैं।)

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