Rajgarh Kila Ka Itihas: बहुत खास है महाराष्ट्र का ऐतिहासिक राजगढ़ किला, जानें इसका इतिहास और महत्व के बारे में

Rajgarh Fort History Wiki in Hindi: राजगढ़ किला महाराष्ट्र की ऐतिहासिक धरोहरों में से एक है। इसका निर्माण भारत के मध्यकालीन काल में हुआ, जिसे पहले मुरुमदेव के नाम से भी जाना जाता।;

Written By :  Shivani Jawanjal
Update:2025-01-13 14:18 IST

Rajgarh Fort History Wikipedia in Hindi (Photo - Social Media)

Rajgarh Kile Ka Itihas Kya Hai: महाराष्ट्र राज्य के पुणे जिले (Pune) में स्थित ‘राजगढ़ क़िला’ (Rajgarh Fort) भारत और महाराष्ट्र के इतिहास का एक अभिन्न हिस्सा है। यह किला सह्याद्री पर्वत श्रृंखला के भीतर, 1,376 मीटर मीटर की ऊंचाई पर स्थित (Rajgarh Kila Kaha Sthit Hai) है और पुणे से लगभग 56 किलोमीटर दूर है। यह किला मराठा साम्राज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज (Chhatrapati Shivaji Maharaj) से जुड़ा हुआ है। इसीलिए इसका ऐतिहासिक महत्त्व (Historical Importance) अधिक है।

राजगढ़ किला छत्रपति शिवाजी महाराज (Chhatrapati Shivaji Maharaj) के शासनकाल में बहुत महत्वपूर्ण था। इस किले का इतिहास मराठा साम्राज्य के विकास और उनकी रणनीतिक योजनाओं से जुड़ा हुआ है। राजगढ़ किला सह्याद्री पर्वत श्रृंखला में स्थित होने के कारण यह किला प्राकृतिक रूप से बहुत मजबूत था और दुश्मनों से सुरक्षा प्रदान करता था। यह किला शिवाजी महाराज के साम्राज्य का एक मुख्यालय था। यहां से उन्होंने कई महत्वपूर्ण युद्धों की योजना बनाई।

राजगढ़ किला एक प्रमुख ऐतिहासिक स्थल होने के साथ महाराष्ट्र के प्रमुख पर्यटन स्थलों (Maharashtra Famous Tourist Places) में से एक है।

राजगढ़ का प्रारंभिक इतिहास (Rajgarh Fort History In Hindi)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

महाराष्ट्र की ऐतिहासिक धरोहरों में से एक 'राजगढ़' का इतिहास भी अद्भुत है। यह किला शिवाजी के पुत्र राजाराम (Rajaram) के जन्म, शिवाजी की रानी सई भोसले (Sai Bhonsale) की मृत्यु, आगरा से शिवाजी की वापसी और अफज़ल खान की पराजय जैसी ऐतिहासिक घटनाओं से जुड़ा है। 1665 में हुई पुरंदर की संधि के तहत, राजगढ़ किला सहित 23 किले मुगलों को सौंप दिए गए थे। यह किला उस समय के संघर्षों और घटनाओं का गवाह है और भारतीय इतिहास (Indian History) में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए जाना जाता है।

इतिहासकारों के अनुसार, राजगढ़ किले (Rajgarh Kila) का निर्माण भारत के मध्यकालीन काल में हुआ, जिसे पहले मुरुमदेव के नाम से भी जाना जाता।

1646 – 1647 के मध्य छत्रपति शिवाजी महाराज ने तोरणा किले के साथ-साथ राजगढ़ किले पर भी आदिलशाह से नियंत्रण हासिल करते हुए कब्ज़ा किया। जिसके बाद राजगढ़ किला करीब 26 सालों तक छत्रपति शिवाजी महाराज के नियंत्रण में था। इस दौरान ये किला कई ऐतिहासिक घटनाओं का साक्षी बना।

1649 में किले की मरम्मत शुरू हुई और शामराव नीलकंठ रांझेकर को पेशवा नियुक्त किया गया।

1654 में किले का नाम बदलकर ‘राजगढ़’ रखा गया और किले का निर्माण कार्य शुरू हुआ ।

5 सितंबर, 1659 को महाराज की पत्नी महारानी सईबाई का निधन राजगढ़ किले में हुआ।

जनवरी, 1662 में राजगढ़ किले का निर्माण कार्य पूरा हुआ।

1665 में हुई पुरंदर की संधि के तहत, 23 किलों सहित राजगढ़ किला भी मुगलों को सौपा गया ।

24 फरवरी, 1670 को शिवाजी महाराज के पुत्र राजाराम का जन्म राजगढ़ किले में हुआ।

6 जून, 1674 को शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक राजगढ़ किले पर हुआ।

जून, 1689 में मुगलों ने किले पर पुनः कब्जा किया।

1692 में शंकरजी नारायण ने मुगलों से किले पर पुनः नियंत्रण हासिल किया।

1697 में राजाराम महाराज ने किले को अपनी नई राजधानी बनाया।

18 फरवरी, 1704 को किला औरंगज़ेब को सौंपा गया जिसके बाद औरंगजेब ने किले का नाम बदलकर ‘नबीशाहगढ़’ रखा ।

29 मई, 1707 को गुणाजी सावंत ने पुनः किले पर कब्जा किया।

1818 में ब्रिटिशों के शासन के दौरान किला ब्रिटिशों के कब्जे में चला गया।

राजगढ़ किले की वास्तुकला (Architecture of Rajgarh Fort)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

राजगढ़ किला महाराष्ट्र राज्य के पुणे जिले में स्थित एक ऐतिहासिक किला है। यह किला सह्याद्री पर्वत श्रृंखला के भीतर, समुद्र तल से 1,376 मीटर (4,514 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है और पुणे से लगभग 56 किलोमीटर दूर है। यह पुणे के दक्षिण-पश्चिम में लगभग 60 किमी (37 मील) और सह्याद्रि में नासरपुर से लगभग 15 कि.मी. (9.3 मील) दूर स्थित है। किले के आधार का व्यास लगभग 40 किमी (25 मील) है, इस कारण इतिहास में इसपर घेराबंदी करना मुश्किल बना दिया था। तोरणा किले से प्राप्त खजाने का उपयोग इस किले के निर्माण और उसे और मजबूत करने के लिए किया गया था, जो किले के रणनीतिक महत्त्व को और बढ़ाता है।

यह किला मुरुमादेवी डोंगर (देवी मुरुम्बा का पर्वत) नामक पहाड़ी पर बनाया गया इसलिए प्राचीन काल में इसे मुरुमदेव (Murumdev) के नाम से भी जाना जाता था। किले में विशाल दीवारें हैं और यह अपनी मजबूती के लिए प्रसिद्ध है। किले के भीतर कई प्राचीन अवशेष जैसे महल, खंडहर और विशाल कुंड (जलाशय) मौजूद हैं, जो किले की ऐतिहासिक और वास्तुकला की महत्ता को दर्शाते हैं।

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

राजगढ़ किला बालेकिल्ला, संजीवानी माची, सुवेला माची और पद्मावती माची जैसे चार प्रमुख भागों में विभाजित किया गया है, जो किले की संरचना और सुरक्षा को और मजबूत बनाते हैं।

बालेकिल्ला (Bali Fort):- बालेकिल्ला राजगढ़ किले का सबसे ऊंचा हिस्सा है, जो किले का मुख्य भाग भी है। यहाँ पानी की एक खाई भी मौजूद है। बालेकिल्ला में महल, गुफाएँ और अन्य संरचनाएँ स्थित हैं, जो किले की ऐतिहासिक महत्ता को दर्शाती हैं। बालेकिल्ला का प्रवेश द्वार महाद्वार के नाम से जाना जाता है, जो किले का प्रमुख प्रवेश बिंदु है। इस भाग से किले का संपूर्ण दृश्य देखा जा सकता है, और यह एक महत्वपूर्ण रणनीतिक स्थान है।

संजीवानी माची (Sanjeevani Machi):- संजीवानी माची किले के पैलेस परिसर के दक्षिण-पश्चिम में स्थित है। इसे तीन परतों में बांटकर एक सुरक्षित किलेबंदी बनाई गई है, जो एक चमत्कारिक सुरक्षा व्यवस्था मानी जाती है। यह भाग लगभग 2.5 किलोमीटर तक फैला हुआ है, और इसमें कई कुंड (जलाशय) स्थित है। संजीवानी माची के निचली परतों को अतिरिक्त सुरक्षा के लिए अलग-अलग द्वारों द्वारा मुख्य किले से अलग किया गया है। यह सुरक्षा के दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, क्योंकि किले की बाहरी दीवार से सीधे जुड़े रास्ते से यह माची जुड़ी हुई है।

सुवेला माची (Suvela Machi):- सुवेला माची राजगढ़ किले के पूर्वी भाग में स्थित है। यह किला संकरी पट्टी के रूप में फैला हुआ है और इसके चारों ओर किलेबंदी बनी हुई है। यह माची किले के शक्तिशाली निष्कर्ष तक पहुंचती है, जिससे किले की सुरक्षा और भी मजबूत होती थी। किले की किलेबंदी से पहले, सुवेला माची में एक हनुमान मंदिर स्थित है, जो किले में धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता था।

पद्मावती माची (Padmavati Machi):- पद्मावती माची का उपयोग किले के सैन्य के आवासीय क्षेत्र के रूप में किया जाता था। यहां सैनिकों और अधिकारियों के रहने के लिए स्थान उपलब्ध था। इस माची में शिवाजी महाराज की पहली पत्नी महारानी सईबाई का मकबरा भी स्थित है, जो राजगढ़ किले के ऐतिहासिक महत्व को और बढ़ाता है। इसके अलावा किले के भीतर दीवानखाना, झील, चोर द्वारजा और घोड टेल, राजवाड़ा, दारू कोथर, पद्मावती मंदिर, गुंजवाणे दरवाजा और पाली दरवाजा भी मौजूद है।

किले का ऐतिहासिक, रणनीतिक और पर्यटक महत्व (Historical, Strategic And Tourist Importance)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

ऐतिहासिक महत्व:- राजगढ़ किला छत्रपति शिवाजी महाराज के शासन के दौरान लगभग 26 वर्षों तक मराठा साम्राज्य की राजधानी रहा।इस किले का उपयोग मराठा साम्राज्य के विस्तार और प्रशासन के लिए किया गया।

रणनीतिक महत्त्व:- यह किला रणनीतिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण था, क्योंकि इसकी ऊँचाई और मजबूती इसे दुश्मनों से बचाने में सहायक थी।किले की संरचना, जैसे कि मजबूत दीवारें, माचियाँ (बालेकिल्ला, संजीवनी, सुवेला, और पद्मावती माची), और तीन-स्तरीय किलेबंदी, इसे युद्ध और सुरक्षा के लिए आदर्श बनाती थीं।

पर्यटक महत्व:- सह्याद्रि की पर्वतमालाओं के बीच स्थित राजगढ़ किला प्राकृतिक सुंदरता और शांति का एक अद्भुत संगम है। यहां से घाटी और आसपास के क्षेत्रों का मनोरम दृश्य देखने को मिलता है। यह किला ट्रेकिंग के शौकीनों के बीच लोकप्रिय है। इस किले पर शिवाजी महाराज के जीवन और शासन की स्मृतियाँ आज भी पर्यटकों को आकर्षित करती हैं।

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