Kaliya Naag Mardan Place: श्री कृष्ण ने यहाँ किया था कालिया नाग का मर्दन, जानें पूरी कहानी
Kaliya Nags Mardan Place: काले नाग का संबंध भगवान कृष्ण से बताया जाता है। चलिए आज हम आपको इसी संबंध में जानकारी देते हैं।
Kaliya Nags Mardan Place : महर्षि कश्यप और उनकी कई पत्नियों में से एक पत्नी कडरू की 1000 संतान थी। यह सभी संतान मनुष्य नहीं बल्कि इच्छाधारी नाग थी। महर्षि कश्यप की संतानों में सब बिच्छू और मनुष्य भी शामिल है लेकिन वह सभी महर्षि कश्यप की दूसरी पत्नियों से है। देवी कुदरू के साथ इन 1097 में से तकरीबन 12 लाख बहुत प्रबल और शक्तिशाली थे। इनमें शेषनाग वासु पिंगला कंगाल और कालिया नाग शामिल। कालिया वही ना आ गया जिस पर श्री कृष्ण ने नृत्य किया था और उसका घमंड तोड़ा था। चलिए आपको बताते हैं कि श्री कृष्ण ने कालिया नाग की मर्दन लीला कैसे की थी।
श्री कृष्णा ने यमुना के तट पर किया था कालिया नाग की मर्दन लीला
एक बार श्री कृष्णा अपने सखाओं के साथ यमुना के तट पर खेल रहे थे। खेलते खेलते उनकी गेंद यमुना नदी में चले गई। जब वह नदी के पास पहुंचे तो हमने देखा कि यहां आस-पास के पेड़ जीव और जंतु मर रहे हैं। नदी का पानी पीने के बाद एक गौ माता की भी मृत्यु हो जाती है यह देखकर कृष्णा समझ जाते हैं कि यह कालिया नाग के कारण हुआ है। क्रोधित होकर वह नदी में कूद जाते हैं और दोनों के बीच भयंकर युद्ध होता है। कल नग ने अपनी कुंडली में जकड़ कर उन पर विश डालने की कोशिश करता है लेकिन कृष्ण विराट रूप की मदद से कुंडली से बाहर आ जाते हैं। युद्ध के दौरान कालिया की थूथन से खून आने लगता है। के देख कर उसकी पटिया भी वहां आ जाती हैं और श्री कृष्ण से उसे छोड़ने की विनती करती है। यह सुनकर श्री कृष्ण से छोड़ देते हैं और कहते हैं कि तुम वृंदावन छोड़कर हमेशा के लिए चले जाओ।
यमुना में आया था कालिया नाग
बता दें कि कालिया नाग पहले रमणक नामक द्वीप पर वास करता था। लेकिन एक बार उसने पक्षीराज गरुड़ का भोजन खा लिया था यह देखकर गरुड़ क्रोधित हो गए थे और दोनों में युद्ध शुरू हो गया था। गरुड़ से बचते बजाते कालिया नाग यमुना में पहुंचा था जहां उसका श्री कृष्णा सही युद्ध हुआ।
आज भी जीवित है कालिया नाग
ऐसा कहा जाता है कि कालिया नाम बहुत विषैला थे और वह नागों के राजा थे और सबसे शक्तिशाली थी। वह पन्ना जाति के नाम थे जब अंग्रेजों को पता लगा कि यहां पर एक नाग है जो पन्ना जाति का है तो उन्हें लगा कि इसके नीचे पाना होगा और वैसे तोड़ने की कोशिश करने लगे थे। हालांकि वो ऐसा नहीं कर पाए। जब आक्रांताओं को इस बारे में पता चला तो उन्होंने भी इसका विनाश करने की कोशिश की जिसे यहां काफी नुकसान हुआ। एक प्रचलित मान्यता के अनुसार, कालिया नाग श्री कृष्णा के वैकुण्ठ पधारने के पश्चात ही धरती लोक से पातळ लोक चले गये | किंतु श्री कृष्ण की कालिया नाग मर्दन के पदचिन्ह वाली प्रतिमा लीला के प्रमाण के तौर पर यहीं छोड़ गये |