Varanasi Famous Temples: बाबा भोलेनाथ, हनुमान और बुद्ध तीनों तीर्थ बनारस में
Varanasi Famous Temples: भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में गंगा नदी के किनारे स्थित वाराणसी एक ऐसा शहर है जहां दुनिया के हर कोने से लोग मोक्ष की प्राप्ति और शुद्धिकरण के लिए आते हैं।
Varanasi Famous Temple: भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में गंगा नदी के किनारे स्थित वाराणसी एक ऐसा शहर है जहां दुनिया के हर कोने से लोग मोक्ष की प्राप्ति और शुद्धिकरण के लिए आते हैं। यह जगह खासकर हिंदुओं के लिए ज्योतिर्लिंग दर्शन के लिए बहुत महत्व रखता है। 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक काशी विश्वनाथ मंदिर के दर्शन करने के लिए हर साल लाखों संख्या में लोग यहां आते हैं। भक्तों का मानना है कि शिवलिंग के दर्शन मात्र से आत्मा शुद्ध हो जाती है। सात पवित्र शहरों में से वाराणसी है। जिसे काशी भी कहा जाता है।
नए कॉरिडोर से बढ़ी भव्यता
यह एक बहुत ही प्रसिद्ध तीर्थस्थल है। नए कॉरिडोर के निर्माण से काशी विश्वनाथ मंदिर की भव्यता और बढ़ गई है। ऐसा माना जाता है की यह जगह भगवान शिव के त्रिशूल पर स्थित है। यहां आकर लोग मुक्ति की कामना करते हैं। भक्त इस मंदिर में गंगाजल लाकर अभिषेक कर सकते हैं। भक्तों के लिए एक सुबह मंगला आरती होती है । फिर शाम 4.30 से 7 बजे तक स्पर्श दर्शन के दौरान भक्त शिवलिंग को स्पर्श कर उसका अभिषेक कर सकते हैं। अभी पर्यटकों के लिए खास टिकट पर भी दर्शन की व्यवस्था है।
प्रसिद्ध बनारसी साड़ी की बाजार
यहां आकर प्रसिद्ध बनारसी साड़ी की खरीदारी हर पर्यटक करना चाहता है। इसके अलावा पूरी दुनिया में बनारस के निकट भदोही की बनी कारपेट मशहूर है। वाराणसी मंदिरों के अलावा घाटों और अन्य कई लोकप्रिय स्थानों के चलते लाखों पर्यटकों के लिए आकर्षक जगह है। भगवान शिव को समर्पित काशी विश्वनाथ मंदिर सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। काशी विश्वनाथ मंदिर के अलावा यहां अन्य जगह भी है जहां पर्यटन का आनंद लिया जा सकता है।
अस्सी घाट:
कहा जाता है कि यह वह स्थान है जहां कवि तुलसीदास का निधन हुआ था। यह जगह अस्सी और गंगा नदियों के संगम पर स्थित है। पर्यटक गंगा में सूर्यास्त और सूर्योदय के दृश्य का आनंद लेने के लिए यहां आते हैं। यहां एक पीपल के पेड़ के नीचे शिवलिंग स्थापित है जहां भक्तगण जल अर्पित करते हैं। इस जगह पर सुबह की आरती देखने श्रद्धालु पहुंचते हैं और अपने को इस घाट की सैर कर धन्य मानते हैं।
रामनगर किला:
1750 ईस्वी में उस समय के बनारस के राजा बलवंत सिंह के आदेश पर बलुआ पत्थर से बनाया गया था। इस किले के अंदर एक संग्रहालय है जिसमें अमेरिकी कारों के दुर्लभ संग्रह, हाथी दांत के बने समान, मध्यकालीन वेशभूषा और एक विशाल खगोलीय घड़ी रखी गई है।
संकट मोचन हनुमान मंदिर :
भगवान राम और हनुमान को समर्पित यह मंदिर अस्सी नदी के किनारे स्थित है। इसे पंडित मदन मोहन मालवीय ने बनवाया था। हर मंगलवार को हनुमान भक्त इस मंदिर के दर्शन कर मंदिर में चढ़ाए जाने वाले मशहूर प्रसाद बेसन के लड्डू अपने साथ जरूर ले जाता है। इस मंदिर में भारी तादाद में आपको बंदरों के झुंड मिल जायेंगे।
बीएचयू का नया विश्वनाथ मंदिर:
यह मंदिर बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के परिसर में स्थित है और रोजाना सकड़ों पर्यटकों का यहां दर्शन के लिए आना-जाना लगा रहता है। इस मंदिर का निर्माण भारत के प्रसिद्ध बिड़ला परिवार ने करवाया था। इस मंदिर में सात अलग-अलग मंदिर हैं जिसे मिलाकर एक बड़ा धार्मिक परिसर दिखता है।
दशाश्वमेध घाट:
ऐसी मान्यता है कि इस जगह ब्रह्मा जी ने दशा अश्वमेध यज्ञ किया था। इस घाट पर कई तरह के धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं। इस घाट पर हर शाम गंगा जी की आरती होती है और हर दिन सैकड़ों की तादाद में लोग इसे देखने आते हैं। उस आरती के अद्भुत क्षण को शब्दों में नहीं बताया जा सकता वो एक आलौकिक दृश्य होता है और उसकी अनुभूति वहां मौजूद लोग कर पाते हैं।
तुलसी मानसा मंदिर :
भगवान राम को समर्पित इस मंदिर का निर्माण 1964 में किया गया था। इस मंदिर का नाम तुलसी दास के नाम पर रखा गया है। सावन के महीने में इस मंदिर में मेला लगता है और उसका एक अलग अनुभव होता है।
मणिकर्णिका घाट :
काशी में स्थित मणिकर्णिका घाट विश्व विख्यात शमशान भूमि है जहां अंतिम संस्कार करना मोक्ष की प्राप्ति माना जाता है । हर इंसान इस जगह आकर अपने आपको मोह माया से थोड़ी देर अलग पाकर भावुक हो जाता है।
सारनाथ:
भगवान बुद्ध ने अपना पहला उपदेश इसी जगह दिया था। बौद्ध धर्म का यह प्रसिद्ध स्थल पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र रहता है।
कैसे पहुंचें ?
वाराणसी देश के हर प्रमुख हवाई अड्डे से जुड़ा है। रेल मार्ग भी इसे देश के हर कोने से जोड़े हुए है। वाराणसी में तीन स्टेशन हैं काशी, वाराणसी कैंट और बनारस। सड़क मार्ग से भी आप बनारस पहुंच सकते हैं। अक्टूबर से मार्च तक का मौसम सुहावना रहता है इसमें सर्दी और बसंत ऋतु का आनंद लिया जा सकता है। वैसे श्रावण के महीने में काफी भक्तगण शिवलिंग पर जल चढ़ाने आते हैं। आप भी अपने समय अनुसार इस जगह का आलौकिक आनंद ले सकते हैं।
( लेखिका वरिष्ठ पत्रकार हैं ।)