Uttar Pradesh Famous Temple: इस मंदिर में दर्शन किए बिना काशी भ्रमण है अधूरा, जरूर जाए यहां

Varanasi Famous Temple: ऐसी मान्यता है कि काशी दर्शन तब तक पूरा नहीं माना जाता है जबतक कि आप व्यास काशी का दर्शन नहीं कर लेते। चलिए जानते है इस मंदिर के बारे में...

Written By :  Yachana Jaiswal
Update:2024-05-12 11:00 IST

Vedvyas Mandir In Varanasi: धार्मिक राजधानी वाराणसी में भगवान शिव की कई कथाएं प्रचलित हैं। जिससे संबंधित मंदिर और धार्मिक स्थान भी आपको यहां देखने को मिलते हैं। दशाश्वमेध घाट से लेकर काशी विश्वनाथ मंदिर तक सब भगवान शिव से जुड़े है। लेकिन फिर भी ऐसी मान्यता है कि काशी दर्शन तब तक पूरा नहीं माना जाता है जबतक कि आप व्यास काशी का दर्शन नहीं कर लेते। वाराणसी के करीबी शहर चंदौली में एक प्रमुख मंदिर है। जिसके बारे में हम आपको यहां बताने जा रहे है।

चंदौली में स्थित इस मंदिर से होता है काशी दर्शन पूरा

वेद व्यास मंदिर यूपी के चंदौली जिले में स्थित है। वैदिक पाठ या लोक कथाओं के अनुसार यह एक ऐतिहासिक स्थान है। वेद व्यास जी, जिन्होंने महाभारत की रचना की थी। जिन्होंने वेदों का संकलन किया था, ने यहां आकर तपस्या की थी। भक्तों की भीड़ को रोकने के लिए क्षेत्र का आकार बड़ा है। 

नाम: वेद व्यास 

लोकेशन: वेद व्यास मंदिर, साहूपुरी, चंदौली, उत्तर प्रदेश 

समय: सुबह 4 बजे से शाम के 5 बजे तक



यात्रा का समय

जनवरी महीने में लेकिन अगर आप भीड़ का सामना नहीं करना चाहते हैं तो जनवरी को छोड़कर आप पूरे साल यहां आएं। काशी के सारे जानकार माघी पूर्णिमा के दिन व्यास काशी जाकर विशेष प्रकार के शिव आराधना करते हुए वहीं पर भोजन बनाकर खाते हैं। यहां पर दर्शन करना आपके वाराणसी दर्शन को पूरा करता है।

कैसे पहुंचे यहां?

व्यास काशी पहुंचने का सीधा रास्ता है आप गंगा नदी के विपरीत दिशा रामनगर और मुगलसराय रोड के तरफ है। इस मंदिर पर आप आराम से पड़ाव चौराहे से ऑटो लेकर या टैक्सी बुक करके पहुंच सकते है। या फिर रामनगर के दूसरी तरफ से भी आप ऑटो लेकर आ सकते है। यह मंदिर अपने क्षेत्र में काफी प्रसिद्ध है जिससे आप आसानी से यहां पहुंच सकते है।

बनारस के चंदौली में व्यास काशी

चंदौली जिले के पड़ाव क्षेत्र साहूपुरी में स्थित प्राचीन महर्षि वेद व्यास मंदिर या वेद व्यास महादेव मंदिर की अपनी अलग मान्यता और पहचान है। ऐसा माना जाता है कि महाभारत युद्ध की समाप्ति के बाद महर्षि वेद व्यास काशी आये थे। उस समय उन्होंने बाबा विश्वनाथ के दर्शन किये, लेकिन भगवान भोले से उन्हें कोई उत्तर नहीं मिला। वह कई दिनों तक भूखा-प्यासा वहीं पर पड़ा रहा। इससे क्रोधित होकर उन्होंने काशी विश्वनाथ को श्राप दिया कि उनका दर्शन-पूजन उनके भक्तों के लिए निष्फल साबित होगा। उसके बाद, वह साहुपुरी क्षेत्र में सुंदरवन में स्थित हो गए और तपस्या करने लगे। 

मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा

व्यास ऋषि ने इस क्षेत्र को व्यास काशी बनाने का संकल्प लिया। जब भगवान विश्वनाथ अपनी समाधि से उठे तो, उन्हें व्यास मुनि का स्मरण आया। उन्होंने तुरंत देवी मां अन्नपूर्णा को व्यास मुनि के पास भेजा। देवी अन्नपूर्णा भेष बदलकर आईं और 56 प्रकार के प्रसाद बनाकर वेद व्यास को भोग के रूप में अर्पित किया। ऋषि ने उनकी दिव्यता को पहचान लिया और प्रसाद वापस लौटा दिया। बाद में, अपने पिता को श्राप से मुक्त करने के लिए, भगवान गणेश ने तपस्या की जिससे अंततः ऋषि का गुस्सा शांत हुआ। इसके बाद उन्होंने भगवान विश्वनाथ को श्राप से मुक्त कराया। उसी समय, भगवान गणेश को महाभारत की रचना में सहायता करने के लिए कहा गया। तभी से भोजन बनाकर व्यास मुनि को अर्पित करने की परंपरा शुरू हुई।

मंदिर के अंदर बिना नंदी के शिवलिंग

इस मंदिर में एक व्यास शिवलिंग स्थापित किया गया था जिसके बाहर अजीब बात है कि कोई नंदी नहीं है। इसी प्रकार यह भी माना जाता है कि काशी विश्वनाथ जी के दर्शन के बाद महर्षि वेद व्यास जी के दर्शन के बाद ही उनका दर्शन पूर्ण माना जाता है। श्रावण माह में प्रत्येक सोमवार को यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।



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