कट्टरपंथी औरंगजेब ने भगवान के चमत्कार के बाद करवाया मंदिर निर्माण

Update: 2016-07-11 09:04 GMT

चित्रकूट: देश के इतिहास में कई ऐसी घटनाएं घटी है जो यहां की गुलामी की व्यथा की गवाह है। यहां बारी- बारी से कई वंशों ने शासन किया । अपने-अपने तरीके से शासन करते और देश की संपदा को लुटते रहे। मुगल शासकों ने यहां शासन किया और यहां कई तरह की शिल्पकला का विकास किया। कुछ दिया तो कुछ लिया। इसमें कुछ अच्छे शासक भी हुए तो कुछ की क्रूरता की बात ही अलग थी, यहां अकबर महान हुए तो औरंगजेब जैसा अत्याचारी शासक भी रहा।

वैसे तो मुगल शासक औरंगजेब हिंदुओं के मंदिर तुड़वाने और धार्मिक कट्टरता के लिए बदनाम रहा, लेकिन भगवान श्रीराम की तपोस्थली चित्रकूट के मंदाकिनी तट पर 'बालाजी मंदिर' बनवाकर उसने धार्मिक सौहार्द की मिसाल भी कायम की थी। इतना ही नहीं, हिंदू देवता की पूजा-अर्चना में कोई बाधा न आए, इसलिए उसने इस मंदिर को 330 बीघा बे-लगानी कृषि भूमि भी दान की थी।

औरंगजेब ने 333 साल पहले इस मंदिर में राजभोग और पूजा के लिए धन जमा करने का फरमान दिया था लोगों को 8 गांवों के लोगों का एक रुपए के चांदी के सिक्के को जमा करने का फरमान जारी किया था। आज भी उस फरमान की प्रति मंदिर में है। इलाहाबाद सूबे के कालिंजर परगना के अंतर्गत चित्रकूट पुरी के संत बालक दास जी को श्री ठाकुर बालाजी के सम्मान में उनकी पूजा और राज भोग के लिए आठ गांव जिनमें हिनौता, चित्रकूट, देवखरी, रौद्र, गोंडा, देवारी, जरवा, मानिकपुर का पुरवा दान में दिया गया है।

मंदिर निर्माण के पीछे की कहानी

कहा जाता है कि जब औरंगजेब ने चित्रकूट में मंदिर तोड़वाने के लिए अपने सिपाहियों को आदेश दिया तो उसी रात उनके पेट में दर्द शुरू हो गया । तब बादशाह खुद इससे निजात पाने के लिए वहां से संत बाबा बालक के आश्रम में गए और सिपाहियों के जीवन की भीख मांगी। कहा जाता है कि बाबा ने उस वक्त उसे मंदिरों को तोडऩा बंद करने को कहा। जब औरंगजेब ने उनको वचन दिया तो बाबा के उपचार के बाद सभी सैनिक ठीक हो गए । इस चमत्कार के बाद उसने वहां मंदिर बनवाया। यही मंदिर बालाजी के मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है।

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