58 साल पहले अगर ये सैनिक नहीं होता तो दलाई लामा शायद आज इस दुनिया में ना होते

तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा 58 साल बाद असम राइफल्स के उस रिटायर्ड हवलदार से मिलकर भावुक हो गए जिसने 58 साल पहले उनकी जान बचाई। दलाई लामा गुवाहाटी में चल रहे नमामि ब्रह्मपुत्र फेस्टिवल के दौरान असम राइफल्स के रिटायर्ड हवलदार नरेन चंद्र दास से मिलकर भावुक हो गए।

Update:2017-04-03 12:53 IST

गुवाहाटी: तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा असम राइफल्स के उस रिटायर्ड हवलदार से मिलकर भावुक हो गए जिसने 58 साल पहले उनकी जान बचाई। दलाई लामा गुवाहाटी में चल रहे नमामि ब्रह्मपुत्र फेस्टिवल के दौरान असम राइफल्स के रिटायर्ड हवलदार नरेन चंद्र दास से मिलकर भावुक हो गए।

दरअसल, 31 मार्च, 1959 में तिब्बत पर चीन के कब्जे के बाद दलाई लामा अपने समर्थकों के साथ भारत आए थे, तब नरेन चंद्र दास समेत असम राइफल्स के 5 जवानों ने उन्हें सुरक्षा प्रदान की थी। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरेन रिजिजू ने भी दलाई लामा और नरेन चंद्र दास की फोटोज ट्वीटर पर शेयर की हैं। रिजिजू ने लिखा, 'आंसू नहीं रूकते। 58 साल पहले खुद को सुरक्षा देने वाले जवान से गले मिलते दलाई लामा।'



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दलाई लामा बोले- अब मैं बूढ़ा हो गया हूं

दलाई लामा जब 58 साल बाद नरेन चंद्र से मिले तो बोले कि आप के चेहरे की तरफ देखकर मुझे भी महसूस हो रहा है कि मैं भी बूढ़ा हो गया हूं। नरेन चंद्र दास आर्मी पर्सनल्स के उस ग्रुप के आखिरी जीवित शख्स हैं जिनकी वजह से दलाई लामा आज भारत में हैं। दास उस वक्त करीब 20 साल के थे जब वे दलाई लामा से पहली बार मिले थे। दलाई की उम्र उस वक्त 23 साल थी।



दास ने यह भी बताया कि वह 2 साल पहले ही 1957 में असम राइफल्स में शामिल हुए थे। दलाई लामा के भारत आगमन के दौरान नरेन दास अपनी ट्रेनिंग पूरी करने के बाद अरुणाचल प्रदेश के तवांग इलाके के लुंगला पास में पोस्टेड थे।

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