2 साल पहले काशी में हुआ था प्यार, फिर खाई थी कसम, कहीं भी रहें शादी यहीं करेंगे हम

स्वीडन के रहने वाले निकोलस और वहीँ की रहने वाली लड़की टिल्डा का प्यार आज परवान चढ़ गया और दोनों ने पूरे हिन्दू रितिरिवाज से शादी की। अस्सी स्थित एक रेस्तरां से धूमधाम से बैंड और बाजे पर निकली बरात में लोग जमकर झूमे और नाचे ।अपने शादी की ख़ुशी का इजहार करते हुए टिल्डा ने बताया कि निकोलस एक अच्छे इंसान है और हमारी मुलाकात काशी में ही दो साल पहले हुई थी और तभी हमने कसम खाया की हम भारतीय रीतिरिवाज से गंगा के तट पर शादी करेंगे और आज हमें इसकी बहुत ख़ुशी है क्योकि हमारा सपना पूरा हो रहा है।

Update:2016-11-03 16:23 IST

वाराणसी : भारत को यूँ ही धर्म और संस्कृति का देश नहीं कहते।यहां की संस्कृति के चर्चे पूरे जहां में होते है।यूपी में एक ऐसा ही शहर है काशी जिसे अपनी सांस्कृतिक महत्व के लिए देशभर में जाना जाता है।वाराणसी में कई ऐसे विदेशी पर्यटक है जो यहाँ आते तो है भारतीय संस्कृति को जानने के लिए लेकिन इससे इतने प्रभावित होते है कि उसे अपने जीवन में ही उतार लेते हैं। ऐसा ही एक नज़ारा गुरूवार को अस्सी घाट के समीप स्थित शिव मंदिर में देखने को मिला जहां दो विदेशी प्रेमी युगल ने सप्तवदी के सात फेरो के साथ दूसरे को सात जन्मों के बंधन में बांध लिया।इसका गवाह उनके विदेशी और देशी मित्रो और परिजनों के साथ भगवान् शिव और माँ गंगा बनी।

 

2 साल पहले काशी में ही हुई थी पहली मुलाक़ात

स्वीडन के रहने वाले निकोलस और वहीँ की रहने वाली लड़की टिल्डा का प्यार आज परवान चढ़ गया और दोनों ने पूरे हिन्दू रितिरिवाज से शादी की। अस्सी स्थित एक रेस्तरां से धूमधाम से बैंड और बाजे पर निकली बरात में लोग जमकर झूमे और नाचे ।अपने शादी की ख़ुशी का इजहार करते हुए टिल्डा ने बताया कि निकोलस एक अच्छे इंसान है और हमारी मुलाकात काशी में ही दो साल पहले हुई थी और तभी हमने कसम खाया की हम भारतीय रीतिरिवाज से गंगा के तट पर शादी करेंगे और आज हमें इसकी बहुत ख़ुशी है क्योकि हमारा सपना पूरा हो रहा है।

क्या कहना है शादी के आयोजक का ?

इस पुरे शादी का आयोजन कर रहे अजय मिश्रा बताते है कि पांच साल पहले स्वीडन की रहने वाली टिल्डा बनारस रिसर्च करने आई थी और एक साल लगभग हमारे संपर्क में थी।इस दौरान हम लोग उन्हें यहाँ के शादी विवाह के आयोजनों में ले जाया करते रहे जिससे वो काफी प्रेरित हुई।फिर दो साल पहले अस्सी के एक कैफे में जब टिल्डा दुबारा यहाँ आयी तो उनकी मुलाकात निकोलस से हुई और दोनों में प्यार हो गया।दोनों ने अस्सी के इसी घाट पर साथ में कसम भी खाया कि यही हिन्दू रीतिरिवाज से हम शादी करेंगे और ये दोनों सिर्फ अपने उसी वचन को पूरा करने के लिए यहाँ शादी करने आये है जिसमे हमने उनकी पूरी मदद की।

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