यहां लगता है दुनिया का अजब-गजब मेला, जहां दूल्हा बिकता है अकेला

Update:2016-08-16 14:06 IST
यहां लगता है दुनिया का अजब-गजब मेला, जहां दूल्हा बिकता है अकेला
  • whatsapp icon

मधुबनी(बिहार): हमारे कई प्रांत और कई पंरपराएं है और यहां की होने वाली शादियों की बात भी अद्भुत होती है। अगर पूरे देश की बात करें तो शादियों का रिवाज बिल्कुल अलग है। कहीं कुछ रिवाज है तो कहीं कुछ। कहीं दुल्हन ससुराल जाती है तो कहीं दूल्हा, कहीं शादी के लिए लड़की की खोज होती है तो कहीं लड़के की बोली लगती है। वैसे लड़के की बोली पर आपको बता दे कि कुछ जगह सच में दूल्हा बाजार लगता है जहां दूल्हों की बोली लगती है। मतलब कहने का कि यहां दूल्हा बिकता है।

मधुबनी के सौराठ नामक स्थान पर मैथिल ब्राह्मणों का अनोखा मेला लगता है जिसमें विवाह योग्य दूल्हे की तलाश दुल्हन के घरवाले करते हैं। ये 22 बीघा जमीन पर लगता है। पुराने समय से चली रही मैथिल ब्राह्मणों की परंपरा को आज के युवा नहीं मानते है। पहले इस मेले में लोगों की भीड़ लगती थी, अब नहीं।

मेले की खासियत

*सौराठ सभा या मेले का नाम महाराष्ट्र के सौराष्ट्र से जुड़ा हुआ है। कहते हैं मुगलों के डर से आक्रमण के सौराष्ट्र से आकर दो ब्राह्मण यहां बसे और उन्हीं के नाम से इसे सौराठ कहा जाने लगा।

*अब मेले में दहेज की मांग होती है, पहले यहां दूल्हा पक्ष दहेज नहीं मांगता था पर अब दहेज मांगा जाता है।

*दूल्हों का लगने वाला ये अनूठा मेला अब अपनी चमक खो चुका है। पहले सौराठ में ब्याह होना सम्मान की बात मानी जाती थी पर अब ऐसा नहीं है। इस मान-प्रतिष्ठा के चक्कर में मिथिलांचल की एक ऐतिहासिक परंपरा अवनति की ओर है।

बिहार के मेले में बिकता है दूल्हा

मेला आज से नहीं, कई सौ सालों से लगता आ रहा है। इस मेले की शुरूआत साल 1310 ई. से हुई। इस मेले में लड़की के मां-बाप, बेटी के योग्य वर ढूंढ़ते है। शादी तय करने से पहले लड़का और लड़की पक्ष पहले एक-दूसरे की पूरी जानकारी हासिल करते हैं, फिर सहमति से दोनों पक्ष रजिस्ट्रेशन कराकर शादी कराते है।

दहेज-प्रथा को रोकने के लिए शुरुआत

कहा जाता है कि इस मेले की शुरूआत दहेज-प्रथा को रोकने के लिए हुआ था। मिथला नरेश हरि सिंह देव ने सन् 1310 ई. में की थी,लेकिन अब इस तरह के मेले का वजूद मिट रहा है। आज की लाइफ स्टाइल में अब लोग ऐसे मेले को कम महत्व देते है। हां एक बात है कुछ जगहों पर जहां मेले लगते हैं वहां हर तरह के दूल्हे राज मिल जाते है। सड़क छाप से ऑफिसर तक, कहने का मतलब हर केटेगरी का दूल्हा, वाजिब दाम में मिलता है। यहां आने वाले लोग ज्यादातर मध्यम तबके के होते है। गजब है दुनिया, गजब है लोग, जहां रिश्तों की शुरुआत, होती बाजार से, लगती है बोली, बिकता दूल्हा, खरीदते है मां-बाप, तब मिलता है बेटी को उसका ससुराल....

Tags:    

Similar News