MTCR में भारत की एंट्री तय, बेच सकेगा मिसाइलें, खरीद सकेगा अटैक ड्रोन

Update: 2016-06-07 23:05 GMT

वॉशिंगटनः प्रमुख मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (एमटीसीआर) के सदस्यों ने भारत को भी इसमें शामिल करने पर सहमति जता दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिकी यात्रा के संदर्भ में इसे बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है। एमटीसीआर में शामिल होने के बाद भारत चुनिंदा मिसाइलें बेच सकेगा और उसे नई तकनीकी भी मिल सकेगी।

किसी भी सदस्य देश ने नहीं जताई आपत्ति

मिसाइल बनाने वाले 34 देशों के समूह में भारत को शामिल करने के प्रस्ताव पर किसी भी सदस्य देश ने आपत्ति नहीं जताई। भारत के इस समूह में शामिल होने से अमेरिका से प्रीडेटर जैसे हमलावर ड्रोन विमान खरीदने और नई तकनीकी वाली मिसाइलों का भारत निर्यात कर सकेगा। इनमें 250 किलोमीटर तक मार करने वाली पृथ्वी-1 और ब्रह्मोस मिसाइल शामिल हैं।

ओबामा ने किया था समर्थन

इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने एमटीसीआर और तीन अन्य निर्यात नियंत्रण व्यवस्था- ऑस्ट्रेलिया समूह, परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) और वासेनार समझौते में भारत की सदस्यता का खुलकर समर्थन किया था। भारत के एनएसजी का सदस्य बनने के मामले में ओबामा प्रशासन फिलहाल सब अच्छा रहने की ही कामना कर रहा है, क्योंकि चीन इस समूह में भारत की सदस्यता का खुलकर विरोध कर रहा है।

क्या है एमटीसीआर?

अप्रैल 1987 में स्थापित ऐच्छिक एमटीसीआर का मकसद उन बैलिस्टिक मिसाइलों और दूसरे ऐतिहासिक आपूर्ति तंत्रों के प्रसार को सीमित करना है, जिनका इस्तेमाल रासायनिक, जैविक और परमाणु हमलों के लिए किया जा सकता है। एमटीसीआर अपने सदस्यों से अपील करता है कि 500 किलोग्राम के पेलोड को कम से कम 300 किलोमीटर तक ले जा सकने वाली मिसाइलों और संबधित प्रौद्योगिकियों को और सामूहिक तबाही वाले किसी भी हथियार की आपूर्ति बंद करें।

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