चेन्नई : तमिलनाडु की सीएम जे जयललिता का सोमवार को अपोलो हॉस्पिटल में 68 की उम्र में निधन हो गया है। जया का जन्म 24 फरवरी 1948 को मैसूर के एक ब्राह्मण परिवार में हुआ। दो साल की उम्र में ही जया के सिर से पिता का साया उठ गया था। गरीबी से लड़ने के लिए मासूम जया ने वर्ष 1961 में 13 साल की उम्र में फिल्मों में काम करना शुरू कर दिया। अभिनेत्री के तौर पर 1964 में कन्नड़ फिल्म आई चिन्नादा गोमबे जिसे कुछ खास सफलता नहीं मिली।
1965 में जयललिता ने “वेन्निरा अदाई” की जो उनकी पहली तमिल फिल्म थी। तमिल सुपरस्टार एमजी रामचंद्रन जिन्हें एमजीआर के नाम से जाना जाता है, उनके साथ पहली बार काम किया। एमजीआर और जयललिता की जोड़ी काफी पसंद की गई। इन दोनों में 28 फिल्मों में एक साथ काम किया।
जया को राजनीति में भी एमजीआर ही लाए। 82 में एआईएडीएमके की सदस्य बनकर जया ने राजनीति में सक्रियता बढ़ा दी। 1984 में एमजीआर ने जया को राज्य सभा भेजा। 1987 में एमजीआर का निधन हुआ तो पार्टी में उत्तराधिकार की लड़ाई में एमजीआर की पत्नी जानकी जयललिता के विरोध में खड़ी हो गयी।
जानकी को एआईएडीएमके के 132 विधायकों में से 97 ने समर्थन दिया और वो 1988 में मुख्यमंत्री बन गयी। लेकिन केंद्र की राजीव गांधी सरकार ने सिर्फ 21 दिन में ही सरकार बर्खास्त कर दी। 1989 में हुए विधान सभा चुनाव में अंदरूनी कलह के चलते एआईएडीएमके को सत्ता से हाथ धोना पड़ा और डीएमके सत्ता पर काबिज हो गई।
इस चुनाव में जयललिता का उदय हुआ और उनके समर्थकों ने 27 सीटें अपने नाम की। वहीँ जानकी समर्थक सिर्फ दो सीटों पर सिमट गए। इसके बाद जानकी राजनीति से दूर हो गयी और जया एमजीआर की राजनीतिक उत्तराधिकारी बन गईं।
25 मार्च 1989, ये वो दिन है जो जयललिता के जीवन में सबसे बड़ा भूचाल लाया। लेकिन इसी दिन ने उनके उज्जवल भविष्य की पहली पायदान का भी काम किया। उस दिन विधान सभा के अंदर जयललिता के साथ अभद्रता की गई। कहा जाता है कि जया ने उस दिन कसम खाई की अब यहाँ तभी आउंगी जब सीएम बन जाउंगी। दो वर्ष बाद एआईएडीएमके और कांग्रेस गठबंधन ने विधानसभा की 234 में से 225 सीटों पर जीत हासिल की और सूबे को मिला जयललिता नाम का मुख्यमंत्री।
सीएम बनने के बाद जयललिता पर आय से अधिक संपत्ति और भ्रष्टाचार के आरोप लगे। इसका नतीजा ये हुआ कि 1996 में जब विधान सभा चुनाव हुए तो पार्टी को सिर्फ चार सीटों पर ही जीत हासिल हुई। मुख्यमंत्री करुणानिधि ने तक़रीबन 48 मामले उनपर दर्ज कराए। जयललिता कई महीने तक जेल में भी रही। 1997 में सुब्रमण्यम स्वामी ने उनपर तक़रीबन 66 करोड़ की आय से अधिक संपत्ति हासिल करने का मामला दर्ज कराया ।
2001 के विस चुनाव में एआईडीएमके ने 196 सीट जीत कर बहुमत साबित किया। मुकदमे के चलते जया चुनाव नहीं लड़ सकी थीं, लेकिन फिर भी पार्टी ने उन्हें अपना सीएम चुन लिया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उन्हें अपना पद छोड़ना पड़ा था। इसके बाद उन्होंने ओ पनीरसेल्वन को अपने स्थान पर सीएम बनाया। इसके बाद 2003 में कोर्ट द्वारा भ्रष्टाचार के कुछ मामलों में बरी होने के बाद उन्हें चुनाव लड़ने की अनुमति मिली और वो एक बाद फिर मुख्यमंत्री बनी। 2006 चुनाव में एक बार फिर उन्हें डीएमके ने मात दी।
धमाकेदार वापसी करते हुए साल 2011 चुनाव में एआईडीएमके ने जया की सरपरस्ती में 203 सीटों पर जीत हासिल की। जयललिता एक बार फिर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर थी। 27 सितंबर 2014 को कोर्ट ने उन्हें आय से अधिक संपत्ति मामले में 4 वर्ष की सजा 100 करोड़ का जुर्माना लगाया। इसके बाद जयललिता को तक़रीबन एक महीने जेल में रही। उनकी जगह पनीरसेल्वम एक बार फिर सीएम बने। 2015 में हाईकोर्ट ने उन्हें आय से अधिक संपत्ति मामले में बरी किया और फिर से जयललिता राज्य की मुख्यमंत्री बन गईं।
साल 2016 जयललिता के लिए काफी अहम रहा। राज्य में हुए विधान सभा चुनाव में उनकी पार्टी ने रिकॉर्ड जीत हासिल की। 32 साल बाद किसी पार्टी को लगातार दूसरी बार बहुमत मिला था।
22 सितंबर को जयललिता को बुखार और डिहाइड्रेशन की शिकायत के बाद चेन्नई के अपोलो हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया था। उन्हें सांस लेने में भी तकलीफ हो रही थी। धीरे-धीरे उनके स्वास्थ्य में सुधार भी हो रहा था। लेकिन 4 दिसंबर, रविवार को उन्हें हार्ट अटैक आया, जिसके बाद उनकी हालत फिर से बिगड़ गई। सोमवार को तड़के सुबह उनकी एंजियोप्लास्टी की गई, जिसके बाद डॉक्टरों ने कहा था कि अगले 24 घंटे उनके लिए काफी अहम होंगे। उन्हें लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया था।