लखनऊ: शिव को प्रिय सावन मास को लेकर लोगों में कई सवाल रहते है कि कैसे भोले भंडारी को प्रसन्न किया जाए? किस तरह पूजा-पाठ करेंगे तो शिव की कृपा उनके भक्तों पर बरसेगी। वेसे तो शिव भगवान को भोले भंडारी कहते है जो सिर्फ भाव के भूखे है। वे श्रद्धा भाव से साधारण तरीके से की गई पूजा से भी खुश हो जाते है। फिर भी हम आपको सावन में शिव की पूजा की सरल विधि बता रहे है।
सावन में शिवशंकर की पूजा
सावन में महादेव की पूजा अभिषेक से की जाती है। भोले भंडारी को जल, दूध दही, घी, शक्कर,गंगाजल, गन्ना रस से अभिषेक किया जाता है। अभिषेक के बाद बेलपत्र, समीपत्र, दूब, कुशा, कमल, नीलकमल,ऑक मदार, जंवाफूल कनेर, राई फूल आदि चढ़ा कर प्रसन्न किया जाता है। इसके साथ ही भोग में धतूरा ,भांग और श्रीफल महादेव को चढ़ाया जाता है।
महादेव का अभिषेक
महादेव का अभिषेक करने के पीछे एक पौराणिक कथा का उल्लेख है कि समुद्र मंथन के समय हलाहल विष निकलने के बाद जब महादेव इस विष का पान करते हैं तो वह मूर्च्छित हो जाते हैं। उनकी दशा देखकरसभी देवी देवता भयभीत हो जाते हैं और उन्हें होश में लाने के लिए निकट में जो चीजें उपलब्ध होती हैं, उनसे महादेव को स्नान कराने लगते हैं। इसके बाद से ही जल से लेकर तमाम उन चीजों से महादेव का अभिषेक किया जाता है।
बेलपत्र और समीपत्र भगवान शिव को भक्त प्रसन्न करने के लिए बेलपत्र और समीपत्र चढ़ाते हैं। इस संबंध में एक पौराणिक कथा के अनुसार जब 89 हजार ऋषियों ने महादेव को प्रसन्न करने की विधि परम पिता ब्रह्मा से पूछी तो ब्रह्मदेव ने बताया कि महादेव सौ कमल चढ़ाने से जितने प्रसन्न होते हैं, उतना ही एक नीलकमल चढ़ाने पर होते हैं। ऐसे ही एक हजार नीलकमल के बराबर एक बेलपत्र और एक हजार बेलपत्र चढ़ाने के फल के बराबर एक समीपत्र का महत्व होता है।
बेलपत्र ने दिलाया वरदान
बेलपत्र महादेव को प्रसन्न करने का सुलभ माध्यम है। बेलपत्र के महत्व में एक पौराणिक कथा के अनुसार एक भील डाकू परिवार का पालन-पोषण करने के लिए लोगों को लूटा करता था। सावन महीने में एक दिन डाकू जंगल में राहगीरों को लूटने के इरादे से गया। एक पूरा दिन रात बीत जाने के बाद भी कोई शिकार नहीं मिलने से डाकू परेशान हो गया।
इस दौरान डाकू जिस पेड़ पर छुपकर बैठा था, वह बेल का पेड़ था और परेशान डाकू पेड़ से पत्तों को तोड़कर नीचे फेंक रहा था। डाकू के सामने अचानक महादेव प्रकट हुए और वरदान मांगने को कहा। अचानक हुई शिव कृपा जानने पर डाकू को पता चला कि जहां वो बेलपत्र फेंक रहा था उसके नीचे शिवलिंग स्थापित है। इसके बाद से बेलपत्र का महत्व और बढ़ गया।