घर के बाहर मुख्यद्वार के दोनों ओर बनाएं मांगलिक चिन्ह, घर आएंगी खुशियां

Update:2017-11-16 16:26 IST

सहारनपुर: हिंदू धर्म में किसी भी त्योहार और उत्सव पर घर में रंगोली बनाना, स्वास्तिक बनाना और मांडने बनाना आदि का रिवाज है। ये प्रतीक चिन्ह जिनमें नदी, इंद्रध्वज, स्वास्तिक, चन्द्रमरू आदि हैं। सभी बहुत शुभ माने जाते हैं। कई खुदाइयों में ऐसे अवशेष मिले, जिनमें तीन से चार हजार सालों पहले भी लोग अपने आवासों में अनेक प्रतीक चिन्ह बनाया करते थे। आज भी हम गांवों में देखते हैं कि मकान कच्चे हों या पक्के, उनकी बाहरी दीवारों को चित्रकला के माध्यम से सजाया जाता है।

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ज्योतिषाचार्य शालिनी मल्होत्रा के अनुसार ये चित्र बेल-बूटे नहीं, बल्कि इनमें मांगलिक चिन्हों का समावेश किया जाता है, मुख्य द्वार के दोनों ओर बना स्वास्तिक चिह्न नकारात्मक ऊर्जा को बाहर फेंककर हमारी रक्षा करता है। आजकल वास्तु दोष निवारण में स्वास्तिक पिरामिड का बहुतायत प्रयोग किया जा रहा है। मांगलिक चिन्हों का प्रयोग घर-मकानों व्यवसायिक स्थलों में परंपरागत रूप से चला आ रहा है। वास्तु निर्माण में पूजा-अर्चना के बाद से ही मांगलिक चिन्ह का प्रयोग आरंभ हो जाता है। ये चिन्ह हमारी धार्मिक भावनाओं से जुड़े होते हैं। इन्हें अपनाकर हम अपने अंदर शक्ति का अनुभव करते हैं।

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ऐसा माना जाता है कि मुख्यद्वार पर इन चिन्हों को लगाने से घर में हर प्रवेश करने वाले व्यक्ति के साथ सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है। इन्हें बनाने या इनको प्रतीक रूप से लगाने से घर में सुख-शांति एवं मंगलकारी प्रभाव उत्पन्न होते हैं। ये मांगलिक चिन्ह हमारी संस्कृति व सभ्यता की धरोहर हैं। संसार हर धर्म, हर संप्रदाय के लोग अपने-अपने धर्म से संबंधित मांगलिक चिन्हों का प्रयोग करते हैं।

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