काशी में अब बोलेंगी पत्थर की मूर्तियां, सुनाएंगी अपना इतिहास

Update:2016-07-29 17:28 IST

वाराणसीः कहते है की पत्थरों से आवाज नहीं आती लेकिन अब पत्थर बोलेंगे भी और इतिहास के पन्नों को भी सुनाएंगे। सुनने में अजीब लगा होगा आपको लेकिन ऐसा होने जा रहा है धर्म नगरी काशी में जहां कबीरचौरा स्थित कबीर मठ मूलगादी परिसर में स्थापित कबीर और उनके समकक्ष संतों की पत्थर की मूर्तियां अब बोलेंगी।

लिया जा रहा है आधुनिकता का सहारा

कबीर मठ जहां कबीर दास जी के साथ अन्य संतो की खूबसूरत प्रतिमाएं लगी हुई है, जो मठ की विशेष खूबसूरती कहलाती है। यहां आने वाले पर्यटक भी इसे काफी पसन्द करते है। अब पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए इन मूर्तियों को बेहतर तरीके से सजाया संवारा जा रहा है। इसमें आधुनिकता का सहारा भी लिया जा रहा है।

दूर-दूर से आते है लोग

मठ परिसर में संत कबीर के अलावा रैदास, गोरा कुम्हार, मीराबाई, कमाली, अमर शाह और भजन मंडली की पत्थर की मूर्तियों के अलावा गाय, शेर और अन्य पशुओं की पत्थर की मूर्तियां स्थापित है। इन मूर्तियों को देखने के लिए काफी दूर-दूर से लोगों का आना होता है। अब इन मूर्तियों को सजीव दर्शाने का प्रयास मठ की ओर से किया जा रहा है। बारिश का मौसम खत्म होते ही इस पर काम शुरू कर दिया जाएगा। इससे मठ में पर्यटकों की संख्या में बढ़ोत्तरी होगी।

लगाए जाएंगे सेंसर

कबीर मठ मूलगादी के सभी मूर्तियों में सेंसर लगाया जाएगा। ये सेंसर कंप्यूटर से जुड़े रहेंगे। इन्हीं सेंसरों के जरिए मूर्तियों में से आवाज निकलेगी। इसके लिए अमेरिका से बीस सेंसर मंगाए गए हैं। एक सेंसर की कीमत बीस डालर है। सेंसर लगने के बाद किसी भी मूर्ति से दो मीटर की दूरी से ही आवाज निकलने लगेगी।

मूर्तियों से आएगी आवाज

ख़ास बात ये रहेगी की इन मूर्तियों में से वही धुन सुनाएंगी जिसके लिए वो मूर्तियां प्रसिद्ध हैं, जैसे मीरा बाई की मूर्ति से उनकी प्रिय भजन " पायो जी मैंने प्रेम रतन धन पायो " रैदास की मूर्ति से " प्रभु जी तुम चन्दन हम पानी " तो वही भजन मंडली की मूर्तियों से कबीर जी के दोहे सुनाई देंगे तो कमाली की प्रतिमा से पानी पीने की आवाज आएगी।

कबीर के अनुयाइयों में है खुशी

अब कबीर मठ में हों रहे इस नए तकनीक से कबीर अनुयाइयों में काफी ख़ुशी है। उनका कहना है कि इस तकनीक से हम उनके उद्देश्यों को जान सकते है। इससे हमें लाभ पहुंचेगा जो युवाओ को भी आकर्षित करेगा। बरसात खत्म होते ही इन सभी मूर्तियों में सेंसर लगा दिया जाएगा और जल्द ही ये पत्थर की मूर्तियां जीवित हो उठेंगी। कबीर अनुयाइयों के साथ अब पूरे काशी को भी इन जीवित मूर्तियों के बोलने का इंतजार है जो काशी के पर्यटन में पहली बार होगा।

 

Tags:    

Similar News