उज्जैनः महाकाल की नगरी उज्जैन में 22 अप्रैल से सिंहस्थ मेले की शुरुआत हो गई। यह मेला 21 मई को खत्म होगा। इस साल 2016 में इसका योग बना। पहले दिन इस मौके पर देश-विदेश से भक्तों का जमावड़ा लगा।
श्रद्धालुओं ने शिप्रा में लगाई आस्था की डुबकी
भक्तों ने सिंहस्थ 2016 का पहला शाही स्नान गुरुवार की रात 12 बजे से शुरू हुआ। लाखों श्रद्धालुओं ने शिप्रा में आस्था की डुबकी लगाई। शिप्रा नदी में 22 अप्रैल की सुबह धर्म आध्यात्म और आस्था का संगम देखते ही बनता था। अखाड़ों के संतों, महंतों, साधुओं का दौड़ते हुए शिप्रा में स्नान के लिए आना और अपनी आस्था प्रदर्शित करते हुए जयकारों के साथ सामूहिक स्नान का यह नजारा देखने वालों को सम्मोहित कर रहा था।
जूना अखाड़े द्वारा सुबह 5.11 बजे दत्त अखाड़े पर शाही स्नान का आरम्भ किया गया। इसके बाद अन्य अखाड़ों द्वारा स्नान किया गया। पहले शाही स्नान की सुबह सिंहस्थ के लिए तैयार किए गए शिप्रा के घाटों पर एक अलग ही रौनक थी।
अखाड़ों के नागा साधुओं के स्नान का शिप्रा तट पर एक विशेष आकर्षण था। स्नान में सभी अखाड़ों के प्रमुख-प्रमुख सभी संत, महंत, श्रीमहंत, महामंडलेश्वर, पीठाधीश सम्मिलित हुए। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्री नरेंद्रगिरी महाराज, महामंत्री श्री हरिगिरि महाराज के अलावा जूना अखाड़े के अवधेशानंदगिरिजी महाराज व उनके साथ जोधपुर राजपरिवार, निरंजनी अखाड़े के स्वामी सत्यमित्रानन्दजी, महानिर्वाणी अखाड़े के नित्यानन्दजी के अलावा पायलेट बाबा, स्वामी विश्वात्मानंद सरस्वती आदि शाही स्नान में सम्मिलित हुए।
शाही स्नान में आस्था, अमृत और आत्मा का अनोखा संगम देखने को मिला। इसके सभी दृश्य अलौकिक थे। इस अलौकिकता के साथ ही शिप्रा और उसके घाटों की सुन्दरता ने दृश्य को आकर्षक बना दिया।
साफ, स्वच्छ, बहती शिप्रा में उड़ते फव्वारों के साथ आस्था और आध्यात्म का यह शाही स्नान एक अनोखी ऊर्जा को समेटे हुए था। साधु, सन्तों व श्रद्धालुओं के साथ ही शिप्रा के घाटों पर शासकीय सेवक भी डुबकी लगाने से अपने आपको रोक नहीं सके।
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