एस्ट्रो टिप्स: इन योगों में करेंगे शुभ काम, नहीं पड़ेगा अशुभ प्रभाव

Update:2017-11-16 09:48 IST

जयपुर: दैनिक जीवन में किसी भी कार्य के शुभारंभ के लिए मुहूर्रत और योग का होना जरूरी होता है, जिससे कि सही योग और सही समय पर काम हो सके और उनके परिणाम हमेशा शुभ रहे।ज्योतिष के अनुसार विशेष कार्याे के लिए विशेष योगों का वर्गीकरण किया गया कि किस कार्य को किस योग में आरंभ करना चाहिए। आमलोगों को बहुत कम पता होता है कि किस योग में कौन सा काम करना चाहिए, इसलिए किसी शुभ कार्य को शुरू करने से पहले इन योगों का रखेंगे ध्यान तो आपके सभी काम फलीभूत होंगे।

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ज्योतिषाचार्य के अनुसार हर काम को शुरू करने के लिए एक योग की जरूरत होती है। योग के अनुसार किए गए काम हमेशा सकारात्मक परिणाम देते है। पंडित जी के अनुसार जानें कौन से हैं शुभ योग।

अमृत योग

जब रविवार को हस्त नक्षत्र हो, सोमवार को मृगशिरा नक्षत्र, मंगलवार को अश्विनी नक्षत्र, बुधवार को अनुराधा नक्षत्र, गुरुवार को पुष्य नक्षत्र, शुक्रवार को रेवती नक्षत्र और शनिवार को रोहिणी नक्षत्र होने पर अमृत सिद्ध योग बनता है जो सभी प्रकार के कुयोगों का नाश करता है। इसमें किए गए सारे कार्य सिद्ध होते हैं।

सिद्ध योग

मंगलवार को यदि जया तिथि (तृतीया, अष्टमी, त्रयोदशी), बुधवार को भद्रा तिथि (द्वितीया, सप्तमी, द्वादशी), शुक्रवार को नंदा तिथि (प्रतिपदा, षष्ठी, एकादशी), शनिवार को रिक्ता तिथि (चतुर्थी, नवमी, चतुर्दशी), गुरुवार को पूर्णा तिथि (पंचमी, दशमी, पूर्णिमा) हो तो सिद्ध योग बनता है। सिद्ध योग में किए गए सभी कार्य सिद्ध होते हैं।

रवि पुष्य योग

अगर पुष्य रविवार को आ जाता है तो रवि पुष्य योग होता है, इसमें तंत्र साधना, मंत्र साधना, दीक्षा ग्रहण, औषधि निर्माण और उपासना शीघ्र फलदायी होती है।

 

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गुरु पुष्य योग

पुष्य नक्षत्र गुरुवार को पड़ने से गुरु पुष्य योग होता है,ये योग नए प्रतिष्ठान, आर्थिक विनिमय, लेन-देन, व्यापार, उद्योग निर्माण, गुरू दर्शन और मंदिर निर्माण और यज्ञादि कर्म के लिए सर्वश्रेष्ठ है। पुष्य नक्षत्र उर्ध्वमुखी नक्षत्र है। इस कारण इसमें किए गए कार्य पूर्णता तक पहुंच जाते हैं। इस नक्षत्र में भवन निर्माण, ध्वजारोहण, मंदिर, स्कूल और औषधालय निर्माण विशेष फलदायक होता है। इसके साथ ही इस नक्षत्र में शपथ ग्रहण, पदभार ग्रहण, वायु यात्रा और तोरण बंधन विशेष यश दिलाता है

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