लखनऊः आज विश्व पर्यावरण दिवस है। इस मौके पर यूपी पर नजर गड़ाएं, तो यहां हालात ठीक नहीं दिखते। पिछले साल वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) ने दुनिया के 20 सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों की लिस्ट जारी की थी। इनमें भारत के 13 में से 5 शहर यूपी के भी थे। कुल मिलाकर कहना होगा कि सूबे की आबोहवा को बेहतर बनाने में अभी कसर बाकी बची है।
क्या कहती है रिपोर्ट?
-डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट में लखनऊ, कानपुर, आगरा, फिरोजाबाद और इलाहाबाद का नाम था।
-यहां प्रदूषण की वजह से कैंसर और अस्थमा के मरीजों की तादाद में बढ़ोतरी बताई गई थी।
-कैंसर और अस्थमा से हर साल 3 लाख से ज्यादा लोगों की जान यूपी में जाती है।
यूपी सरकार नहीं उठा रही ठोस कदम?
-विकास के कामों की वजह से ग्रीन बेल्ट में कमी हो रही है।
-ग्रीन बेल्टों के लिए बजट में भी बहुत कम प्रावधान होता है।
-एक दिन में 10 लाख पौधे रोपने का किया गया काम।
-पौधे रोपने के बाद भी शहरों में कम नहीं हुआ प्रदूषण।
क्या हैं लखनऊ के हाल?
-राजधानी लखनऊ में 17 वर्ग किलोमीटर ग्रीनकवर बढ़ा है।
-2005 में 302 वर्ग किलोमीटर में था ग्रीनकवर।
-2013 में ग्रीनकवर घटकर 237 वर्ग किलोमीटर हो गया था।
-2016 में अभी तक 321 वर्ग किलोमीटर हुआ है ग्रीनकवर।
मानक से भी कम है ग्रीनकवर
-शहरी इलाके में ग्रीनकवर 33 फीसदी होना चाहिए।
-लखनऊ में अभी महज 12.2 फीसदी पर ही है ग्रीनकवर।
-कुकरैल वन क्षेत्र, मूसाबाग और आम पट्टी हैं बड़े ग्रीनकवर।
-बाकी शहरों में दिनों दिन घट रही है हरियाली।
ताजमहल भी पड़ा पीला
-आगरा में प्रदूषण अभी भी कम नहीं हो रहा है।
-ताजमहल के सफेद संगमरमर पीले होते जा रहे हैं।
-रोक के बावजूद कूड़ा-करकट जलाने से हो रही है समस्या।