लखनऊ: रामायण का जिक्र हो और उसमें रावण और उसकी लंका की चर्चा नो हो तो सबकुछ अधूरा है। कहा जाता है कि रावण की पूरी लंका सोने की बनी थी। रावण ने अपनी लंका की खूबसूरती में चार चांद लगाने के लिए सीता जी को हर कर लाया था। वैसे तो सब जानते है कि रावण ने सोने की लंका बनाई थी, और हनुमान जी ने लंका को जलाया था। लेकिन क्या आपको पता है कि सोने की इस लंका को हनुमान जी ने नहीं, बल्कि मां पार्वती ने जलाया था।
ईर्ष्या में फंसकर पार्वती ने बनवाई लंका
एक पौराणिक मान्यता के एक बार लक्ष्मी जी और विष्णु जी भगवान शिव-पार्वती से मिलने के लिए कैलाश पर गए और कैलाश से जाते वक्त उन्होंने मां पार्वती और शिवजी को बैकुण्ठ आने का न्योता दिया।
जब मां पार्वती लक्ष्मीजी से मिलने बैकुण्ठ धाम गई तो वहां का वैभव देखकर उनमें ईर्ष्या की भावना घर कर गई। इसके बाद मां पार्वती ने भगवान शिव से महल बनवाने का हठ किया। उसके बाद भगवान शिव ने पार्वती जी को भेंट करने के लिए कुबेर से दुनिया का अद्वितीय महल बनवाया।
रावण ने मांगी भीख में लंका
जब रावण की नजर महल पर पड़ी तो वो उसे लेना चाहा। सोने का महल लेने की इच्छा को लेकर रावण ब्राह्मण का रूप धारण कर अपने इष्ट देव भगवान शिव शंकर के पास गया और भिक्षा में उनसे सोने के महल की मांग की। भगवान शिव को भी पता था कि रावण उनका बड़ा भक्त है। द्वार आए अतिथि को खाली हाथ लौटाना धर्म शास्त्रों में गलत बताया गया। इससे अतिथि का अपमान होता है।
मां पार्वती ने लिया प्रण
जब भगवान शिव ने रावण को सोने की लंका को दान में दे दिया। जब ये बात मां पार्वतीको अच्छी नहीं लगी। वो खिन्न हो गई। भगवान शिव ने मां पार्वती को मनाने की कोशिश की। लेकिन मां पार्वती ने इसे अपना अपमान मानकर प्रण लिया कि अगर ये सोने का महल उनका नहीं हो सकता तो किसी और का भी नहीं हो सकता।
मां पार्वती बनी हनुमान जी की पूंछ
त्रेता युग में जब शिव ने हनुमान जी के रूप में रूद्रावतार लिया। रामायण में जब सभी पात्रों का चयन हो गया और तब भगवान शिव ने मां पार्वती को कहा कि आप अपनी इच्छा पूरी करने के लिए हनुमान की पूंछ बन जाना। जिससे वो स्वयं लंका का दहन कर सकती हैं। अंत में यही हुआ कि हनुमान जी ने सोने की लंका को अपनी पूंछ से जलाया। पूंछ के रूप में मां पार्वती थीं। इस तरह मां पार्वती ने भगवान शिव की बनाई लंका को खुद जलाई थी ।