गोरखपुर: सहारा प्रमुख सुब्रत राय के सितारे गर्दिश में हैं। पहले सेबी ने उनके कई बैंक खातों को सील कर दिया। उसके बाद सुब्रत रॉय को जेल जाना पड़ा। तभी से वो जेल में ही हैं। सुप्रीम कोर्ट के सेबी को सहारा की 86 संपत्ति बेचने का आदेश देने से उन्हें और बड़ा झटका लगा है।
सुब्रत रॉय ने जहां से सहारा की शुरुआत की, वहां के लोगों की नजर में सुब्रत राय आज भी मेहनतकश इंसान हैं। उन्होंने एक लैम्ब्रेटा स्कूटर से चलकर और एक कमरे के सहारे सहारा को आसमान की बुलंदियों तक पहुंचाया, जिसकी लोग कल्पना भी नहीं कर सकते। आज भी वह अपने पुराने मित्रों और शुभचितकों से उसी अंदाज में मिलते हैं जैसे पहले मिला करते थे।
तुर्कमानपुर स्थित इन्द्रमती निवास में रहे थे सुब्रत
1० जून 1948 में बिहार के अररिया में जन्में सुब्रत राय गोरखपुर के तुर्कमानपुर स्थित इन्द्रमती निवास में रहते थे। 1974 में सुब्रत राय को मोहल्ले व शहर के बहुत से लोगों ने साइकिल व लम्ब्रेटा स्कूटर से चलते देखा होगा। सूरज प्रकाश श्रीवास्तव एडवोकेट आज भले नहीं हैं, लेकिन उनके पुत्र शक्ति प्रकाश श्रीवास्तव बताते हैं कि वह चार साल तक इस मकान में रहे। वह सुब्रत राय की गोद में खेलते हुए बड़े हुए।
1978 के बाद इस मकान के जिस कमरे में वह रहते थे, उसे गेस्ट हाउस बना दिया और गोलघर में एक छोटा सा कमरा लेकर काम शुरू किया। आज वह भले ही जेल में हैं, लेकिन उनके चाहने वाले व उनके ग्राहक उन्हें भगवान की तरह पूजते हैं।
खेलों में थी रूचि
उनके पुराने मित्र हेमचंद्र श्रीवास्तव बताते हैं कि वह शिक्षा-दीक्षा के दौरान हर प्रकार के खेलों में रुचि रखते थे।वे बैडमिंटन के खास शौकीन थे और वह पांच साल तक उनके संपर्क में रहें। इस दौरान जब सुब्रत राय पालिटेक्निक में पढ़ते थे तो वह उनके बैडमिंटन कोच भी रहें। वह कहते हैं कि आज वह भले ही जेल में बंद हैं, लेकिन उनके चाहने वालों के दिलों में वह हमेशा ही एक नेकदिल इंसान है। उनके जेल में होने का सभी को दु:ख है।
2000 रुपए से शुरु की थी कंपनी
होटल व्यवसाई और उनके करीबी रहे पीके लाहिड़ी बताते हैं कि वह काफी सालों से उनके मित्र हैं। उनका सुब्रत राय से पारिवारिक संबंध है। वह कहते हैं कि जब भी कोई बड़ा आयोजन हुआ, वह हमेशा ही उन्हें आमंत्रित करते रहे हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने महज 2००० हजार रुपए से अपनी छोटी सी कंपनी को शुरूकर उसे आसमान की बुलंदियों तक पहुंचाया।
सुब्रत राय आज जेल में हैं। कोर्ट और सरकार का शिकंजा उन पर कसता जा रहा है। आयकर विभाग ने बड़ी छापेमारी कर भारी मात्रा में नकद व गहने भी बरामद किए हैं। इसके बावजूद गोरखपुर में उनके चाहने वाले इस पर विश्वास नहीं कर पा रहे है। वह आज भी गोररखपुरवासियों के लिये वही सुब्रत राय हैं जो 42 साल पहले थे।