दुश्मन की गोलियों का, हम सामना करेंगे।
आजाद ही रहे हैं, आजाद ही मरेंगे।।'
लखनऊ : आज देश के दो महान वीर सपूतों लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक व चंद्रशेखर आजाद की जयंती है। इस मौके पर सूबे के राज्यपाल रामनाईक ने लालबाग चौराहे पर लगी ‘तिलक’ और ‘आजाद’ की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी।
शहीदों की चिताओं पर पड़ेंगे खाक के ढेले।
वतन पर मिटने वालों का यही बाकी निशां होगा।।
उधर, हजरतगंज के जीपीओ पार्क के सामने भी शहीद ‘आजाद’ की जयंती पर गोरखा समाज के लोगों ने बाइक रैली निकाल लोगों को जागरूक किया। इसका शुभारंभ मेयर संयुक्ता भाटिया ने हरी झंडी दिखाकर किया।
'टूटी हुई बोतल है, टूटा हुआ पैमाना।
सरकार तुझे दिखा देंगे, ठाठ फकीराना।।'
बता दें कि, चंद्रशेखर आजाद ने इस धरती पर मात्र 24 बरस बिताए पर कम वक्त में ही उन्होंने अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिए। उनके साथ के अन्य क्रांतिकारियों राम प्रसाद बिस्मिल और अश्फाकुल्ला खान के समूह से अंग्रेज हमेशा खौफ खाया करते थे।
अभी शमशीर कातिल ने, न ली थी अपने हाथों में।
हजारों सिर पुकार उठे, कहो दरकार कितने हैं।।'
'आजाद' बनने से पहले उनका नाम चंद्रशेखर था। उनकी पैदाइश आज के मध्य प्रदेश के भाबरा गांव में 23 जुलाई, 1906 को हुई थी। उनके पिता सीताराम तिवारी और माता जगरानी देवी थी।