दिवाली की रोशनी देश में नहीं विदेशों में भी है फैली, जानिए किन-किन देशों में इसे मनाते
जयपुर:दिवाली का त्योहार नजदीक आ चुका हैं। यह त्योहार पूरे भारतवर्ष में बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता हैं। लेकिन दिवाली का यह त्योहार भारत के साथ कई दुसरे देशों में भी बनाया जाता हैं। अन्य देशों में भी अपनी मान्यताओं के अनुसार दिवाली का त्योहार मनाया जाता हैं और उनका अलग नाम दिया गया हैं।
नेपाल और मॉरिशस में भारत की ही तरह दिवाली मनाई जाती है। खास बात यह है कि इस दिन यहां नई दुल्हन के हाथों से दीपक जलवाने की प्रथा है। इस दिन लोग घर में दीये जलाने के साथ माता लक्ष्मी को खुश करने के लिए घर के बाहर रंगोली भी बनाते हैं। भारत की ही तरह इस दिन लोग एक दूसरे को त्योहार की बधाई और उपहार भी देते हैं।
श्रीलंका में दिवालीभगवान राम के हाथों रावण के वध के बाद विभीषण को लंका का राजा बनाया गया। विभीषण ने रावण वध के बाद लंका वासियों को बुराई पर अच्छाई की जीत के उपलक्ष्य में दीपोत्सव मनाने का आदेश दिया। जिसके बाद से श्रीलंका में अमावस्या के दिन दीपक जलाए जाते हैं
जापान जापान में ओनियो फायर नाम से एक फेस्टिवल मनाया जाता है।माना जाता है कि एक सप्ताह तक चलने वाला यह त्योहार बुरी आत्माओं को भगाने के लिए मनाया जाता है। इस त्योहार में 6 बड़े फायर टॉर्च जलाए जाते हैं। बता दें, यह त्योहार फुकुओका समेत यहां के कई शहरों में जनवरी महीने की शुरुआत में मनाया जाता है।
दिवाली की ये मिठाई-पटाखें लखनऊ में भी है एवलेवल, इन पर लगी है सोने चांदी की परत
म्यांमार म्यांमार में दीपों का यह त्योहार तीन दिन तक मनाया जाता है।जिसे लाइटिंग फेस्टिवल ऑफ म्यांमार के नाम से पुकारा जाता है।हर साल अक्टूबर में यह त्योहार भगवान बुद्ध और उनके शिष्यों के स्वागत के लिए मनाया जाता है।लोग इस दिन अपने घरों को लाइट्स से सजाते हैं।
इंग्लैंड हर साल 5 नवंबर को इंग्लैंड के ऑटरी सेंट मैरी शहर में एक फेस्ट होता है। इस फेस्ट का मुख्य आकर्षण आतिशबाजी होती है।खास बात यह है कि इस फेस्ट की शुरुआत 1605 में हुई थी।
स्पेन स्पेन में मार्च महीने में फालेस फायर फेस्टिवल मनाया जाता है। जो कि पूरे 5 दिन तक चलता है। लोग इस फेस्टिवल में आतिशबाजी से जुड़े कई करतब दिखाते हैं।
ईरान करीब 5 दशक से इस फेस्टिवल को ईरान में मनाने की परंपरा है।इस त्योहार को अंधकार और सर्दी पर जीत तथा अग्नि के सम्मान में हर साल जनवरी के अंतिम सप्ताह में सादेह के नाम से मनाया जाता है।