लखनऊ: भगवान शिव की पूजा तो हर दिन करने का विधान है, लेकिन शिवरात्रि के दिन की बात ही अलग है। इस दिन शिवजी की पूजा व्रत करने से मनोरथ पूर्ण होते हैं। शास्त्रों में कहा गया है कि लड़कियों को मन पसंद पति मिलता है। इस दिन भगवान के प्रसाद के रुप में भांग का भी लोग सेवन करते हैं। लोग यह जानने के लिए इच्छुक है कि भगवान शंकर भांग क्यों पीते हैं। भांग एक ऐसा पेय पदार्थ है जो विषैला होता है और यदि शरीर में पहले से कोई विष हो, तो उसे खत्म कर देता है। यह एक प्रकार के पौधे की पत्तियों को पीसकर बनाया जाता है। इसे भगवान के लिए रस भी माना जाता है।
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हिंदु पुराणों में भांग का वर्णन कई बार किया गया है। इसे इंसान की भलाई के लिए एक औषधि माना गया है और कई रोगों के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। शरीर की त्वचा और घाव आदि को भरने में भी भांग से बनी दवाईयां लाभकारी होती है। लेकिन भांग, भगवान शंकर क्यों पीते थे, तो इसे शास्त्रोंनुसार जानते हैं...
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वेदों के अनुसार, जब समुद्र मंथन से अमृत निकला तो उसकी एक बूंद पर्वत मद्रा पर गिर गई। उस जगह पर एक पेड़ उग आया। उसकी पत्तियों का रस निकालकर ईश्वरों ने आपस में पिया और वह रस भगवान शंकर का पसंदीदा रस बन गया। शिव के इस रस को सोमरस नाम मिला। भांग को सोमरस के नाम से भी जाना जाता है।
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ऐसा माना जाता है भगवान ध्यानमग्न रहते हैं। इसलिए वह भांग का सेवन करके मग्न होते हैं। इस प्रकार, हिंदु धर्म में भगवान शिव के प्रिय पेय पदार्थ भांग के बारे में कई दंत कथाएं हैं। माना जाता है कि भांग, देवी गंगा की बहन है क्योंकि दोनों ही भगवान शंकर के सिर पर निवास करती हैं। भांग के पौधे को माता पार्वती का स्वरूप भी माना जाता है।