69000 शिक्षक भर्ती मामला: मायावती और अखिलेश यादव ने भाजपा सरकार को घेरा, कोर्ट के फैसले का किया स्वागत
UP News: शिक्षक भर्ती मामले में हाई कोर्ट के फैसले के बाद राजनीति तेज हो गई है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और बसपा सुप्रीमो मायावती ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर अपनी प्रतिक्रिया दी है।
UP News: उत्तर प्रदेश की 69,000 सहायक शिक्षक भर्ती मामले को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने शुक्रवार को बड़ा फैसला दिया। 2019 की चयन सूची को रद्द करते हुए हाईकोर्ट ने सरकार को शिक्षक भर्ती 2019 चयन सूची को दोबारा बनाने का आदेश दिया है। इस फैसले पर राजनीति तेज हो गई है। सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और बसपा सुप्रीमो मायावती ने इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। भाजपा सरकार को घेरते हुए उन्होंने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट किया। पोस्ट में कोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया है।
"नये सिरे से बने न्यायपूर्ण नई सूची"
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा कि, 69000 शिक्षक भर्ती भी आख़िरकार भाजपाई घपले, घोटाले और भ्रष्टाचार की शिकार साबित हुई। यही हमारी माँग है कि नये सिरे से न्यायपूर्ण नयी सूची बने। जिससे पारदर्शी और निष्पक्ष नियुक्तियाँ संभव हो सकें। प्रदेश में भाजपा काल मे बाधित हुई शिक्षा-व्यवस्था पुनः पटरी पर आ सके। अखिलेश ने लिखा कि, हम नई सूची पर लगातार निगाह रखेंगे और किसी भी अभ्यर्थी के साथ कोई हक़मारी या नाइंसाफ़ी न हो, ये सुनिश्चित करवाने में कंधे-से-कंधा मिलाकर अभ्यर्थियों का साथ निभाएँगे। ये अभ्यर्थियों की संयुक्त शक्ति की जीत है। सभी को इस संघर्ष में मिली जीत की बधाई और नव नियुक्तियों की शुभकामनाएँ!
आरक्षण वर्ग के पीड़ितों को न्याय देने की मांग
बसपा सुप्रीमो मायावती ने कोर्ट का फैसला आने के बाद उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पर निशाना साधा है। मायावती ने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा कि, यूपी में सन 2019 में चयनित 69,000 शिक्षक अभ्यार्थियों की चयन सूची को रद्द करके तीन महीने के अन्दर नई सूची बनाने के हाईकोर्ट के फैसले से साबित है कि सरकार ने अपना काम निष्पक्षता व ईमानदारी से नहीं किया है। इस मामले में खासकर आरक्षण वर्ग के पीड़ितों को न्याय मिलना सुनिश्चित हो। पोस्ट में उन्होंने आगे लिखा कि, वैसे भी सरकारी नौकरियों की भर्तियों में पेपर लीक आदि के मामले में यूपी सरकार का रिकार्ड भी पाक-साफ नहीं होने पर यह काफी चर्चाओं में रहा है। अब सहायक शिक्षकों की सही बहाली नहीं होने से शिक्षा व्यवस्था पर इसका बुरा असर पड़ना स्वाभाविक। सरकार इस ओर जरूर ध्यान दे।