इलाहाबाद हाईकोर्ट के 75 वकील सीनियर बनाए गए

जिन वकीलों को वरिष्ठ अधिवक्ता बनाया गया है उनमें अजीत कुमार सिंह, अखिलेश कुमार कैरा, अमित बोस, अमित सक्सेना, अमरेंद्र नाथ सिंह, अनिल किशोर शर्मा, अनिल श्रीवास्तव, अनिल तिवारी, अनूप त्रिवेदी,

Update:2019-05-18 21:12 IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट की फुलकोर्ट ने जिन वकीलों को वरिष्ठ अधिवक्ता का दर्जा दिया है, उनके गाउन और कोर्ट बदल जाएंगे। इन सभी के गाउन व कोर्ट अब न्यायाधीशों की तरह हो जाएंगे।

जिन वकीलों को वरिष्ठ अधिवक्ता बनाया गया है उनमें अजीत कुमार सिंह, अखिलेश कुमार कैरा, अमित बोस, अमित सक्सेना, अमरेंद्र नाथ सिंह, अनिल किशोर शर्मा, अनिल श्रीवास्तव, अनिल तिवारी, अनूप त्रिवेदी, एपी सिंह, अरुण कुमार गुप्ता, अशोक कुमार गौर, अतुल दयाल, ब्रजेश दत्त पांडेय, बृजेश सहाय, चंद्रभूषण पांडेय, चंद्रकांत पारिख, दयाशंकर मिश्र, देशदीपक चोपड़ा, धर्मेंद्र सिंघल, दिलीप कुमार, दिनेश कुमार गोस्वामी, दिनेश कुमार पाठक, डॉ. हर्षवीर प्रताप शर्मा, ज्ञान प्रकाश, आईके चतुर्वेदी, कृपाशंकर सिंह, कुंवर मुकुल राकेश, मंगला प्रसाद राय, मानिक सिन्हा, मनीष गोयल, मनीष कुमार, मनीष तिवारी, मुकेश प्रसाद, नंदित कुमार श्रीवास्तव, नजरुल इस्लाम जाफरी, नीरज त्रिपाठी, नियाज अहमद खान, प्रदीप चंद्रा, प्रदीप कुमार, प्रमोद जैन, प्रेम प्रकाश यादव, राहुल श्रीपत, राकेश पांडे, रमेश कुमार सिंह, रमेश उपाध्याय, डॉ. रामसूरत पांडे, रविशंकर प्रसाद, रमेश चंद्र सिंह, आरपी अग्रवाल, सगीर अहमद, समीर शर्मा, समित गोपाल, संदीप दीक्षित, संजय भसीन, संजीव सिंह, सैयद फरमान अहमद नकवी, शैलेंद्र, शक्ति स्वरूप निगम, शंभू चोपड़ा, शिवनाथ सिंह, सुदीप सेठ, सूर्यभान पांडेय, तरुण गुलाटी, उदय करन सक्सेना, उपेंद्र नाथ मिश्र, विजय गौतम, विजय कुमार सिंह, विनय कुमार खरे, विनय सरन, विनोद कांत, विनोद कुमार सिंह, वीडी ओझा, विष्णु गुप्ता, विवेकराज सिंह, विवेक शांडिल्य और जफरयाब जिलानी शामिल हैं।

वरिष्ठ अधिवक्ताओं का कुनबा भी देश में सबसे बड़ा

इलाहाबाद हाईकोर्ट को एशिया के सबसे बड़े हाईकोर्ट का दर्जा हासिल है तो इस हाईकोर्ट में सबसे ज्यादा न्यायाधीश, सबसे ज्यादा बेंच और सबसे ज्यादा वकील हैं। अब यहां के वरिष्ठ अधिवक्ताओं का कुनबा भी देश के हाईकोर्टों में सबसे बड़ा हो गया है। यहां की फुलकोर्ट ने 75 वकीलों को वरिष्ठ अधिवक्ताओं का दर्जा देकर इस कुनबे के सदस्यों की संख्या कुल 160 कर दी है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट की प्रधान पीठ में अब तक 65 व लखनऊ बेंच में 20 वरिष्ठ अधिवक्ता थे। पिछले वर्ष अप्रैल माह में वरिष्ठ अधिवक्ता नामित करने के लिए अधिसूचना जारी हुई। इसके लिए 31 जुलाई 2018 तक आवेदन लिए गए। उसके बाद चीफ जस्टिस, न्यायमूर्ति विक्रमनाथ, न्यायमूर्ति पंकज कुमार जायसवाल, वरिष्ठ अधिवक्ता रविकांत व महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह की कमेटी ने शार्ट लिस्टिंग के बाद 78 वकीलों को वरिष्ठ अधिवक्ता बनाने की संस्तुति की, जिन्हें फुलकोर्ट के समक्ष रखा गया।

फुलकोर्ट ने इनमें से 75 वकीलों को वरिष्ठ अधिवक्ता बनाने पर मुहर लगा दी। जिन वकीलों को वरिष्ठ अधिवक्ता बनाए जाने की चर्चा है, उनमें अपर महाधिवक्ता अजीत कुमार सिंह, मनीष गोयल, नीरज त्रिपाठी व विनोद कांत, सहायक सॉलीसिटर जनरल ज्ञान प्रकाश हाईकोर्ट बार के अध्यक्ष राकेश पांडे बबुआ, पूर्व अध्यक्ष आईके चतुर्वेदी, यूपी बार कौंसिल के पूर्व चेयरमैन अमरेंद्र नाथ सिंह, अयोध्या विवाद मामले में व,कील जफरयाब जिलानी, जस्टिस डीके त्रिवेदी के पुत्र अनूप त्रिवेदी और पुलिस विभाग में भर्ती के अभ्यर्थियों से लेकर अधिकारियों के वकील के तौर पर जाने जाने वाले विजय गौतम आदि के नाम शामिल हैं। 75 नामों की अधिकृत सूची शनिवार देर रात तक जारी नहीं हुई थी।

ऐसी है वरिष्ठ अधिवक्ता बनाए जाने की प्रक्रिया

वरिष्ठ अधिवक्ता का दर्जा देने के मापदंड तय हैं। एडवोकेट एक्ट के अनुसार कोई वकील उम्र के हिसास से वरिष्ठ नहीं हो जाता बलिक् इसकी एक विहित प्रक्रिया है, जिसके बाद ही वरिष्ठ अधिवक्ता का दर्जा मिलता है। इसके लिए अधिवक्ता की प्रैक्टिस, उसके द्वारा किए गए मुकदमे व उनकी गुणवत्ता, लॉ जर्नल में प्रकाशित उसके मुकदमों का रिकार्ड, आयकर रिर्टन, चरित्र व आचरण पर विचार किया जाता है। वरिष्ठ अधिवक्ता दर्जा पाने वाले वकील का सम्मान भी काफी बढ़ जाता है। उनकी ड्रेस भी न्यायाधीशों की तरह हो जाती है और न्यायालय में बहस के लिए उन्हें वकालतनामा दाखिल करने की आवश्यकता नहीं होती। न्यायालय भी बड़े मामलों में वरिष्ठ अधिवक्ता से सहयोग की अपेक्षा रखते हैं।

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