Sonbhadra : गुजर गए 18 साल, न्यायालय में नहीं पेश किए जा सके साक्षी

Sonbhadra News: पन्नूगंज पुलिस की तरफ से 10 जनवरी 2006 को पशु तस्करी से जुड़ा केस पन्नूगंज थाने में तीन कथित तस्करों के खिलाफ दर्ज किया गया था। अभियोजन पक्ष की तरफ से न्यायालय में दाखिल की गई चार्जशीट में दावा किया गया था;

Update:2025-01-31 21:43 IST

Sonbhadra News ( Pic- Social- Media)

Sonbhadra News: गो तस्करी से जुड़े एक मामले में अभियोजन पक्ष यानी पुलिस की बड़ी उदासीनता सामने आई है। मामले को न्यायालय की तरफ से कई पत्र/नोटिस निर्गत किए जाने के बावजूद साक्षियों को साक्ष्य के लिए उपलब्ध न कराने के कारण, 18 साल पुराने मामले में अदालत को पशु तस्करी के आरोपियों को बाइज्जत बरी करने का निर्णय लेना पड़ा है। प्रकरण पन्नूगंज थाना क्षेत्र से जुड़ा हुआ है।

यह था मामला, जिसको लेकर 18 साल बाद आया निर्णय

पन्नूगंज पुलिस की तरफ से 10 जनवरी 2006 को पशु तस्करी से जुड़ा केस पन्नूगंज थाने में तीन कथित तस्करों के खिलाफ दर्ज किया गया था। अभियोजन पक्ष की तरफ से न्यायालय में दाखिल की गई चार्जशीट में दावा किया गया था कि उक्त तिथि को दोपहर 12 बजे दरमा गांव के नरसो बंधा के पास से मोहनपाल, अमरनाथ पाल और लालबहादुर यादव को 61 गोवंश के साथ पकड़ा गया था। आरोप था कि आरोपी गोवंश को लाठी-डंडों से मारते-पीटते, क्रूरता करते हुए वध के लिए ले जा रहे थे। प्रकरण में धारा-3/5ए/8 गोवध निवारण अधिनियम और धारा-11 पशु क्रूरता अधिनियम के तहत पर्याप्त साक्ष्य मिलने का दावा करते हुए चार्जशीट न्यायालय में प्रेषित की गई थी।

वर्ष 2007 से साक्षियों को हाजिर करने का दिया जा रहा था आदेश

न्यायिक मजिस्ट्रेट यादवेंद्र सिंह की अदालत ने पिछले दिनों मामले की फाइनल सुनवाई की। न्यायालय ने पाया कि यह मामला पिछले 18 वर्ष से लंबित है। प्रकरण में 30 नवंबर 2007 को आरोप विरचित किए गए थे। उसके बाद से मामले के फाइनल सुनवाई तक अभियोजन की ओर से किसी साक्षी को न्यायालय के समक्ष परीक्षित नहीं कराया जा सका। न्यायालय ने पाया कि साक्ष्य प्रस्तुत कराने के लिए जिलाधिकारी और संयुक्त निदेशक अभियोजन को पत्र प्रेषित किया गया था बावजूद अभियोजन साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर पाया। प्रकरण को लंबे समय से लंबित पड़े होने और अभियोजन द्वारा साक्ष्य प्रस्तुत न किए जाने के कारण न्यायालय द्वारा अभियोजन साक्ष्य का अवसर समाप्त कर दिया गया।

आरोपी पक्ष ने किया स्वयं को निर्दोष होने का दावा

अभियोजन साक्ष्य का अवसर समाप्त के बाद आरोपी पक्ष को सफाई पेश करने का मौका दिया गया जिसमें 13 जनवरी 2025 को दर्ज कराए गए बयान में आरोपियों ने स्वयं को निर्दाेष बताया। प्रकरण में बचाव पक्ष के अभिवक्ता और सहायक अभियोजन अधिकारी की ओर से से दलीलें पेश की गई और न्यायालय ने अभियोजन की ओर से न्यायालय आदेशों का अनुपालन नहीं किए जाने, किसी भी साक्षी को न्यायालय के समक्ष परीक्षित नहीं कराए जाने, अभियोग पिछले 18 वर्ष से लंबित होने की स्थिति को देखते हुए आरोपियों को बरी कर दिया।

अनंतकाल के लिए नहीं दिया जा सकता साक्ष्य का अवसर: न्यायालय

कोर्ट ने पारित निर्णय में कहा है कि अभियोजन की शिथिलता के कारण आरोपी 18 वर्ष से मामले की कार्रवाई के अंत का इंतजार कर रहे हैं। अभियोजन पक्ष यह समझ बैठा है कि न्यायालय उसे अनंतकाल तक साक्ष्य प्रस्तुत करने का अवसर प्रदान करता रहेगा। इस मामले में अभियोजन पक्ष ने बिलंबता की सीमा पार कर दी हैं। वाद की लंबित अवस्था को देखते हुए अभियोजन के साक्ष्य समाप्त करने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं बचा था। पत्रावली पर आरोपियों के विरूद्ध लगाये गये आरोप को साबित करने के लिए अभियोजन पक्ष की ओर से अभिलेखीय साक्ष्यों को साबित नहीं कराया जा सका है।

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