Sonbhadra News: ज्येष्ठ खान अधिकारी पर दलित उत्पीड़न का आरोप, न्यायालय ने माना प्रकरण गंभीर, पुलिस को दिया आदेश-क्षेत्राधिकारी से कराएं विवेचना

Sonbhadra News: दावा किया गया है कि पूर्व में खान अधिकारी उसकी दुकान पर अपनी बोलेरो का पंचर बनवा चुके थे। वह यह जानते थे कि वह अनुसूचित जाति का है फिर भी उसके साथ इस तरह का व्यवहार किया गया।;

Update:2025-03-04 20:35 IST

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Sonbhadra News: ज्येष्ठ खान अधिकारी शैलेंद्र सिंह पर दलित उत्पीड़़न का आरोप लगाया गया है। विशेष न्यायाधीश (एससी/एसटी) एक्ट आबिद शमीम की अदालत ने प्रकरण को गंभीर मानते हुए, प्रभारी निरीक्षक चोपन को प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया है। आदेशित किया है कि प्रकरण की विवेचना संबंधित क्षेत्राधिकारी से कराते हुए, उसके परिणाम से न्यायालय को अवगत कराएं।

 यह है आरोप

चोपन थाना क्षेत्र के मारकुंडी निवासी अशोक पासवान की तरफ से धारा-173(4) बीएनएसएस के तहत न्यायालय में दाखिल प्रार्थना पत्र में अवगत कराया गया है कि मारकुंडी में बीड़ी गोदाम के सामने उसकी टायर पंचर बनाने की दुकान है। वह दुसाध जाति का होने के नाते अनुसूचित जाति के अंतर्गत आता है। तीन फरवरी की घटना का जिक्र करते हुए आरोप लगाया गया है कि उस दिन शाम 6.30 बजे के करीब वह टायर का पंचर बना रहा था।

उसकी दुकान पर ट्रक का चालक जितेंद्र, खलासी चंद्र प्रकाश के साथ आया हुआ था। पंचर बनाकर उसके ट्रक में लगा रहा था। उसी समय ज्येष्ठ खान अधिकारी अपने गार्डों के साथ बोलेरो से आए और पूछा कि ट्रक का ड्राइवर कहां है। इस पर ड्राइवर जितेंद्र ने अपना परिचय बताया तो उन्होंने उससे गाड़ी के कागज की मांग की। जितेंद्र ने कहा कि गाड़ी देख लें खाली है, पंचर बनवा रहा हूं। ऐसे में कागज क्या दूं।

लात से प्रहार, जेल भेजने की धमकी का आरोपः

आरोप है कि इस पर आगबबूला हुए ज्येष्ठ खान अधिकारी ने पीड़ित को लात से मारा। गाली-गलौज करते हुए वहो से भाग जाने को कहा। पासर दिखाकर जेल भेजने की धमकी भी दी। दावा किया गया है कि पूर्व में खान अधिकारी उसकी दुकान पर अपनी बोलेरो का पंचर बनवा चुके थे। वह यह जानते थे कि वह अनुसूचित जाति का है फिर भी उसके साथ इस तरह का व्यवहार किया गया। न्यायालय में दिए गए प्रार्थना पत्र में कहा गया है कि घटना के बाद से उसकी रोजी रोटी बंद हो गई है। खान अधिकारी के अपमानजनक कृत्य से वह काफी दुखी है। मामले में जनसुनवाई पोर्टल आईजीआरएस पर शिकायत भी दर्ज कराई गई लेकिन कोई कार्रवाई सामने नहीं आई।

पुलिस ने कहा आरोप निराधार, कोर्ट ने कहाः प्रकरण गंभीर:

पीड़ित पक्ष के अधिवक्ता विकास शाक्य ने बताया कि प्रकरण में न्यायालय की तरफ से पुलिस से आख्या मांगी गई थी। थाने से भेजी गई विस्तृत आख्या में कहा गया कि प्रार्थना पत्र में दर्शाए गए आरोप असत्य एवं निराधार हैं। न्यायालय ने पाया कि थाने की आख्या के अवलोकन से स्पष्ट है कि प्रकरण में कोई कोई मुकदमा पंजीकृत नहीं है।प्रपत्रों के अवलोकन से स्पष्ट है कि विपक्षी द्वारा अनुसूचित जाति के व्यक्ति को जातिसूचक शब्दों की गालियां देते हुए मार पीट कर उपहति कारित किया गया है। प्रकरण गंभीर प्रकृति का है जिसकी विवेचना पुलिस द्वारा कराया जाना न्यायोचित प्रतीत होता है।

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