Azamgarh Seat: मुलायम सिंह की लगाई फसल बचा न सके अखिलेश, आजमगढ़ सीट फिसली हाथ से

Azamgarh Seat: समाजवादी पार्टी के प्रभाव वाली यादव बेल्ट को जिस तरह से मुलायम सिंह यादव ने एक राजनीतिक फसल के रूप में तैयार किया था उसे उनके बेटे अखिलेश यादव बचा नहीं सके।

Update: 2022-06-26 12:58 GMT

 अखिलेश यादव-मुलायम सिंह यादव: Photo - Social Media

Lucknow: कभी समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) का गढ़ रही आजमगढ़ सीट (Azamgarh seat) अब उसके हाथ से निकल चुकी है। मोदी लहर में भी भाजपा (BJP), समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के इस गढ़ को हिला नहीं पाई। समाजवादी पार्टी के प्रभाव वाली यादव बेल्ट को जिस तरह से मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) ने एक राजनीतिक फसल के रूप में तैयार किया था उसे उनके बेटे अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) बचा नहीं सके और अपनी सीट से भाई धर्मेन्द्र यादव (Dharmendra Yadav) को चुनाव में उतारकर यह सीट गंवा दी। यहां तक कि वह इस सीट को बचाने के लिए चुनाव प्रचार के लिए भी नहीं गए। तभी से कहा जा रहा था कि अखिलेश यादव ने भाजपा को इस चुनाव में वाकओवर दे दिया है।

2024 के पहले भाजपा की बड़ी जीत

अपनी इस जीत को भाजपा 2024 के पहले एक बड़ी जीत के तौर पर देख रही है। वहीं डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने भी ट्वीट किया। उन्होंने लिखा कि- अहंकार और गुंडागर्दी को रामपुर और आजमगढ़ की जनता मतगणना के रुझानों में जबाब दे रही है। तुष्टिकरण, गुंडागर्दी, जातिवाद से चुनाव नहीं जीत सकते हो। सदन में अखिलेश यादव और सभा में आजम खान द्वारा किए गए मेरे अपमान का पिछड़ा वर्ग सहित सभी वर्ग जबाब दे रहे हैं।

राजनीतिक विश्लेषक मान रहे हैं कि अहंकार और गुंडागर्दी को रामपुर और आजमगढ की जनता ने जवाब दे दिया है कि तुष्टिकरण,गुंडागर्दी,जातिवाद से चुनाव नहीं जीता नही जा सकता है। इस उपचुनाव में बसपा के प्रत्याशी गुड्डू जमाली (BSP candidate Guddu Jamali) के उतर जाने का सीधा लाभ भाजपा को मिला है। क्योंकि हमेशा से जब कभी भी मुस्लिम बाहुल्य सीट पर चुनावी त्रिकोणीय मुकाबला होता है तो उसका सीधा लाभ भाजपा केा ही मिलता रहा है। इस बार भी ऐसा ही देखने को मिला है। मुस्लिम वोटों की सेंधमारी से समाजवादी पार्टी ने खुद को कमजोर पाया जिसका सीधा लाभ भाजपा के दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुवा को मिला है।

आजमगढ़ लोकसभा क्षेत्र में उपचुनाव

आजमगढ़ लोकसभा क्षेत्र में यह उपचुनाव था। जिसमें भाजपा को जीत हासिल हुई है। इसके पहले हुए दो उपचुनावों में एक बार कांग्रेस की मोहसिना किदवई और दूसरी बार बसपा के दिग्गज अकबर अहमद डंपी को जीत मिली थी। आजमगढ़ लोकसभा क्षेत्र का पहला उपचुनाव 1978 में हुआ था। इस सीट से पूर्व मुख्यमंत्री स्व. रामनरेश यादव जनता पार्टी से सांसद चुन गए थे। बाद में वह जब यूपी के मुख्यमंत्री बन गए तो फिर से उपचुनाव हुआ जिसमें कांग्रेस ने चंद्रजीत यादव के स्थान पर मोहसिना किदवई को अपना प्रत्याशी बनाया था। मोहसिना किदवई को कुल एक लाख 31 हजार 329 मत मिले थे। उनके प्रतिद्वंद्वी रामबचन यादव को कुल 95 हजार 944 मत प्राप्त हुए थे।

धर्मेंद्र यादव को भाजपा के दिनेश लाल यादव निरहुआ ने हराया

आजमगढ़ लोकसभा क्षेत्र में दूसरा उपचुनाव 2008 में हुआ। रिक्त सीट पर बसपा ने अपने कद्दावर नेता अकबर अहमद डंपी को मैदान में उतारा। सपा ने पार्टी के दिग्गज नेता बलराम यादव पर भरोसा जताया। वहीं रमाकांत यादव भाजपा के टिकट पर मैदान में कूद पड़े। प्रदेश में बसपा की सरकार भी थी। अकबर अहमद डंपी ने रमाकांत यादव को पटकनी देते हुए उपचुनाव में जीत दर्ज की। तीसरा उपचुनाव 2022 अखिलेश यादव के आजमगढ़ सीट से इस्तीफा देने के बाद हुआ। इस उपचुनाव में सपा से अखिलेश यादव के चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव को भाजपा के दिनेश लाल यादव निरहुआ (Dinesh Lal Yadav Nirhua) ने हराया है।

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