Krishna Janmabhoomi Case: श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद मामले में मुस्लिम पक्ष को हाईकोर्ट से झटका, नए सिरे से सुनवाई के आदेश

Krishna Janmabhoomi Case: मथुरा में श्रीकृष्ण शाही ईदगाह विवाद पर सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा जिला अदालत को दोनों पक्षों को नए सिरे से सुनकर आदेश पारित करने का आदेश दिया है। अब सभी पक्षकारों को मथुरा के जिला जज के यहां नए सिरे से अपनी दलीलें पेश करनी पड़ेंगी।

Update: 2023-05-01 13:40 GMT
Krishna Janmabhoomi Case (Social Media)

Krishna Janmabhoomi Case: मथुरा में श्रीकृष्ण शाही ईदगाह विवाद पर सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा जिला अदालत को दोनों पक्षों को नए सिरे से सुनकर आदेश पारित करने का आदेश दिया है। अब सभी पक्षकारों को मथुरा के जिला जज के यहां नए सिरे से अपनी दलीलें पेश करनी पड़ेंगी। जस्टिस प्रकाश पाडिया ने शाही मस्जिद ईदगाह ट्रस्ट और अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए ये आदेश दिया।

सुन्नी वक्फ बोर्ड द्वारा दायर याचिका 5967 / 2022 में श्री कृष्ण जन्मभूमि मथुरा पर दायर याचिका में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के जस्टिस प्रकाश पंडेया द्वारा आदेश पारित किया गया जिसमें उन्होंने साफ तौर से इस पूरे मामले की सुनवाई मथुरा सत्र न्यायालय द्वारा किए जाने की बात कहीं गई। सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से शाही मस्जिद के इमाम की ओर से दलील दी गई थी कि इस पूरे मामले में उच्च न्यायालय की निगरानी में जांच कराई जाए तथा विवादित भूखंड में मस्जिद को यथावत रखा जाए। जिस पर आदेश पारित करते हुए माननीय उच्च न्यायालय ने कहा कि यह पूरा मामला मथुरा सत्र न्यायालय के अधीन देखा जाए एवं मथुरा सत्र न्यायालय के आदेश को ही न्याय उचित आदेश के रूप में माना जाए ।

इस विषय पर हिंदू पक्ष के वकील वीरेंद्र प्रसाद मौर्य और कमलेश नारायण पांडे ने जानकारी देते हुए कहा कि हाईकोर्ट द्वारा इस पूरे मामले में दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद यह निर्णय प्रेषित किया गया है एवं हाई कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश को मानते हुए अब मथुरा सत्र न्यायालय इस पूरे मामले पर सुनवाई की जाएगी, तथा सत्र न्यायालय द्वारा पारित आदेशों को माना जाएगा।

मथुरा की सिविल जज की अदालत में सिविल वाद दायर कर 20 जुलाई 1973 के फैसले को रद्द करने और 13337 एकड़ कटरा केशव देव की जमीन भगवान श्रीकृष्ण विराजमान के नाम घोषित करने की मांग की गई थी, वादी कहना था कि जमीन को लेकर दो पक्षों के बीच हुए समझौते के आधार पर 1973 में दिया गया फैसला वादी पर लागू ही नहीं होता है क्योंकि इसमें पक्षकार ही नहीं था।

वहीं, सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की आपत्ति पर सुनवाई करते हुए अदालत ने 30 सितंबर 2020 को सिविल वाद खारिज कर दिया था, जिसके खिलाफ भगवान श्रीकृष्ण विराजमान की तरफ से अपील दाखिल की गई। विपक्षी ने अपील की पोषणीयता पर आपत्ति की, जिला जज मथुरा की अदालत ने अर्जी मंजूर करते हुए अपील को पुनरीक्षण अर्जी में तब्दील कर दिया। पुनरीक्षण अर्जी पर पांच प्रश्न तय किए गए। 19 मई 2022 को जिला जज की अदालत ने सिविल जज के वाद खारिज करने के आदेश 30 सितंबर 2020 को रद्द कर दिया।

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