पूर्व चीफ जस्टिस भोसले से डरते थे अपराधी और अधिकारी

Update:2018-11-09 17:52 IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस डी बी भोसले का कार्यकाल प्रदेश के प्रशासनिक अधिकारियों के साथ साथ प्रदेश के अपराधियों के लिए काफी सख्त रहा। किसी केस मे गलतियां मिलने पर चीफ जस्टिस भोसले ने न केवल दोषी अधिकारियों को भविष्य मे गल्तियां न करने की चेतावनी दी, अपितु बड़ी गलती पाने पर सरकार को उस अधिकारी को निलंबित करने का भी आदेश दिया ।

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रामपुर जिला में अवैध बालू खनन की शिकायत पर उन्होंने आई ए एस अधिकारी व तत्कालीन डी एम रामपुर को सेवा से निलम्बित करने का मुख्य सचिव को आदेश दिया । यही नहीं देवरिया सेल्टर होम से लड़कियों के लापता होने के खिलाफ याचिका पर सुनवाई करते हुए पूर्व चीफ जस्टिस भोसले ने टाप लेवल पर तैनात सम्बन्धित पुलिस व प्रशासन के अधिकारियों की कोर्ट में तलब कर क्लास ली ।

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चीफ जस्टिस भोसले के इस कड़े रुख के चलते गलत काम को लेकर अधिकारियों में खौफ था। इलाहाबाद के फूलपुर से सांसद रहे व बाहुबली अतीक अहमद को जेल भेज कर पूर्व चीफ जस्टिस भोसले ने यह संदेश दिय़ा कि प्रदेश में अपराधियों की खैर नही है । अतीक अहमद को जेल भेजने का कारण था कि उन्होने नैनी इलाहाबाद स्थित कृषि विश्वविद्यालय मे घुसकर मारपीट व दहशत पैदा की थी। घटना की एफ आई आर के बाद भी प्रदेश में सपा की सरकार में उनकी पकड़ के चलते पुलिस गिरफ्तार नहीं कर रही थी । अतीक अहमद आज भी इस घटना के चलते जेल में बंद हैं ।

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इसके अलावा चीफ जस्टिस भोसले ने चर्चित उन्नाव गैंग रेप केस मे मीडिया की रिपोर्ट को आधार बना कर स्वतः समूचे घटनाक्रम को देखते हुए आरोपी भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को गिरफ्तार कर जेल भेजने का निर्देश दिया । यद्यपि प्रदेश के महाधिवक्ता विधायक को कोर्ट से जेल भेजने के विरोध में थे । महाधिवक्ता को इस कारण कोर्ट की टिप्पणी झेलनी पड़ी । इलाहाबाद में एक रिटायर दारोगा की खुलेआम सड़क पर हत्या किए जाने को भी भोसले ने गंभीरता से लिया और अपराधियों कोर्ट के आदेश के बाद जेल भेजा गया ।

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चीफ जस्टिस भोसले का इन अपराधियों को जेल भेजने का आदेश पारित कर कहना था कि ये वो अपराधी है जो समाज आकर बार बार अपराध कर रहे हैं, क्योंकि इन्हें बिना विरोध के जमानत मिल ज़ाती है । उनका यह भी कहना था कि यदि बार बार अपराध कर रहे है अपराधियों की सरकार अथवा प्रशासन उनकीं पुरानी मिली जमानत उनके द्वारा बार बार अपराध करनें को आधार बना खारिज करने का कोर्ट में अर्जी देतीं और पूर्व मिली जमानत खारिज कराती तो अपराधी दुबारा अपराध करनें से डरता ।

 

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