ज्योतिष्पीठ बद्रीकाश्रम के शंकराचार्य विवाद पर हाईकोर्ट 22 को सुनाएगा फैसला

Update: 2017-09-20 06:52 GMT

इलाहाबाद: ज्योतिष्पीठ बद्रीकाश्रम को लेकर शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती व वासुदेवानंद सरस्वती के बीच चल रहे विवाद पर इलाहाबाद हाईकोर्ट अब शुक्रवार (22 सितंबर) को अपना फैसला सुनाएगा। हाईकोर्ट के इस बहुप्रतीक्षित फैसले पर पीठ के करोड़ों भक्तों व अनुयायियो की निगाहें टिकी हुई हैं।

महीनों की बहस के बाद हाईकोर्ट के दो जजों की खंडपीठ जस्टिस सुधीर अग्रवाल व जस्टिस केजे ठाकुर ने इसी वर्ष 3 जनवरी को शंकराचार्य पद के विवाद पर अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को इस विवाद के शीघ्र निस्तारण का आदेश दिया था।

ये है मामला?

सुप्रीम कोर्ट आदेश के अनुपालन में हाईकोर्ट ने प्रतिदिन कई दिनों तक इस केस की सुनवाई की। मालूम हो, कि जिला अदालत इलाहाबाद ने 5 मई 2014 को एक ऐतिहासिक निर्णय देकर ज्योतिष्पीठ बद्रीकाश्रम का अपने को वैध शंकराचार्य घोषित करने वाले स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती को अवैध घोषित कर दिया था। यही नही यहां की निचली अदालत ने शंकराचार्य स्वरूपानंद के दावों को स्वीकार कर यह भी आदेश दिया था कि वासुदेवानंद सरस्वती न तो अपने को शंकराचार्य घोषित करेंगे और न ही शंकराचार्य पद के लिए विहित क्षत्र, चंवर व सिंहासन का प्रयोग ही करेंगे।

अब अंतिम फैसला ही सुनाएगी

निचली अदालत के इस फैसले से दुखी स्वामी वासुदेवानंद ने हाईकोर्ट में अपील की तथा निचली अदालत के आदेश पर रोक लगाने की मांग की। लेकिन हाईकोर्ट तथा बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी उनकी अपील पर किसी भी प्रकार का अंतरिम आदेश देने से इंकार कर दिया। हाईकोर्ट ने कहा, कि 'वह इस मामले में अब अपना अंतिम फैसला ही सुनाएगी।'

 

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