आम्रपाली पर प्राधिकरण का 2200 करोड़ बकाया, इतने लाख वर्गमीटर जमीन पर किया है कब्जा

शीर्ष अदालत के फैसले ने बायर्स को राहत दी है यह तो साफ है, लेकिन यह जानना भी जरूरी है कि तीन साल (2007-10) तक प्राधिकरण ने आम्रपाली को 5 लाख 36 हजार वर्गमीटर जमीन आवंटित की। जिसके एवज में अब तक आम्रपाली महज 525 करोड़ रुपए प्राधिकरण में जमा कर पाया।

Update: 2019-07-24 14:13 GMT

नोएडा: शीर्ष अदालत के फैसले ने बायर्स को राहत दी है यह तो साफ है, लेकिन यह जानना भी जरूरी है कि तीन साल (2007-10) तक प्राधिकरण ने आम्रपाली को 5 लाख 36 हजार वर्गमीटर जमीन आवंटित की। जिसके एवज में अब तक आम्रपाली महज 525 करोड़ रुपए प्राधिकरण में जमा कर पाया। आम्रपाली पर प्राधिकरण का 2200 करोड़ रुपए बकाया है। बकाया रकम वापस कैसे मिलेगी इसका रास्ता बहराल साफ होता नहीं दिख रहा।

तीन सालों में आम्रपाली ने शहर में नौ ग्रुप हाउसिंग परियोजनाओं को शुरू किया। बुकिंग के नाम पर बायर्स से हजारों करोड़ रुपए लिए और नई कंपनियों का कारोबार बढ़ाने के लिए रकम को डायवर्ट कर दिया। 2007 में आम्रपाली ने सेक्टर-119 में पटेल प्लेटिनम प्रोजेक्ट लेकर आया। करीब 55 हजार वर्गमीटर जमीन पर प्रोजेक्ट बनाया गया। 12 साल बाद भी इस परियोजना पर प्राधिकरण का 200 करोड़ रुपए बकाया है।

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बता दें आम्रपाली की सभी परियोजनाओं का आवंटन बसपा शासन काल में किया गया। बसपा शासन काल में ही भू-आवंटन की नीतियों में बदलाव किया गया।

दरअसल, बसपा शासन काल से पहले भूखंड आवंटन के दौरान आवंटी को जमीन की कुल लागत का 30 प्रतिशत देना होता था। इस नियम को बदल दिया गया। बसपा शासन ने भू-आवंटन की रकम को 30 से घटाकर 10 प्रतिशत कर बिल्डरों को लाभ पहुंचाया। इसका फायदा आम्रपाली समूह ने उठाया। महज तीन साल के अंदर नौ परियोजनाओं को लांच कर बुकिंग के नाम पर कई हजार करोड़ रुपए डकार लिए। यही नहीं कुछ किस्तें जमा करने के बाद प्राधिकरण को भू-आवंटन की बकाया राशि जमा करना बंद कर दिया। वर्तमान में आम्रपाली का प्राधिकरण पर 2200 करोड़ रुपए बकाया है।

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शीर्ष अदालत के फैसले बाद मुख्यमंत्री ने बुलाई बैठक

शीर्ष अदालत के फैसले के बाद बुधवार को मुख्यमंत्री ने नोएडा, ग्रेटरनोएडा व यमुना विकास प्राधिकरण के मुख्यकार्यपालक अधिकारी व अध्यक्ष को लखनऊ बैठक के लिए बुलाया। बताया गया कि यह बैठक आम्रपाली की अधूरी परियोजनाओं के अलावा कई सौ करोड़ रुपए की हो रही राजस्व हानि को लेकर की गई। राजस्व वसूली कैसे की जाए इसको लेकर चर्चा हो सकती है। संकेत मिले हैं कि बैठक के बाद नोएडा व ग्रेटरनोएडा में बिल्डरों के खिलाफ कोई बड़ी व सख्त कार्रवाई की जा सकती है।

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