नोएडा: एनसीआर के सबसे लंबे ट्रैक पर अक्टूबर में मेट्रो का संचालन शुरू कर दिया जाएगा। 29.707 किलोमीटर लंबा मेट्रो ट्रैक पूरी तरह से एलिवेटड है। दूसरे स्थान पर ब्लू लाइन का द्वारका से बाराखंभा तक टैक है। एक साल तक संचालन की जिम्मेदारी डीएमआरसी की होगी। डीएमआरसी परिचालन व रखरखाव के लिए 100 अधिकारी व पर्यवेक्षक के नवनियुक्त कर्मचारियों के लिए एक वर्ष तक प्रशिक्षण देगा। इन दो कार्यों के लिए एनएमआरसी के निदेशक आलोक टंडन व डीएमआरसी के ओपीएस एके गर्ग के बीच शुक्रवार को एमओयू साइन किए गए।
87 प्रतिशत काम पूरा
प्रोजेक्ट रिव्यू के तहत 10 अगस्त तक मेट्रो रूट का 87 प्रतिशत काम पूरा किया जा चुका है। जबकि कुल लागत का 73 प्रतिशत पैसा खर्च किया जा चुका है। यह एनीसीआर का यह सबसे बड़ा मेट्रो नेटवर्क होगा। जिसके जरिए ग्रेटर नोएडा का मुसाफिर दिल्ली के किसी भी कोने तक आसानी से जा सकेगा।
21 मेट्रो स्टेशनों से होगा संचालन
मेट्रो रूट पर 21 मेट्रो स्टेशन बनाए गए हैं। जिसमें 15 नोएडा व 6 स्टेशन ग्रेटरनोएडा में है। दोनों की पहचान अलग-अलग रंगो से की जा सकेगी। एक्वा लाइन का वरिणज्यिक संचालन अक्टूबर से किया जाएगा। 22 सितंबर तक 11 कोच यहा आ जाएंगे। वर्तमान में पांच कोच आ चुके है। चार कोच के साथ मेट्रो का संचालन होगा। जिसकी क्षमता 1034 मुसाफिरों की होगी। पूरा ट्रेक स्टैंर्ड गैज पर आधारित है। ट्रेक पर अधिकतम गति 95 किलोमीटर व न्यूनतम गति 35 किलोप्रति घंटा होगी। इसके निर्माण में 5503 करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे है। स्टेशन से उतरते ही मुसाफिरों को पब्लिक ट्रांसपोर्ट की परेशानी न हो इसके लिए लास्ट माइल कनेक्टिविटी तकनीक के जरिए फीडर बस चलाई जाएंगी।
यूपीएसआरटीसी कर रहा सर्वे
यूपीएसआरटीसी द्वारा इसके लिए सर्वे किया जा रहा है। पार्यवरण को ध्यान में डिपो के साथ पूरा सिस्टम जीरो डिस्चार्ज होगा। यहा तक वेस्ट पानी के लिए एक तलाब बनाया गया है। जिसमे संग्रहण के बाद रिसाइकलिंग की जाएगी। 21 स्टेशनों में से 18 स्टेशनों पर पार्किंग की व्यवस्था की गई है। इनकी क्षमता 200 से 250 वाहनों की होगी। हालांकि बाद में सभी स्टेशनों पर पार्किंग की व्यवस्था की जाएगी। एनएमआरसी के इस ट्रैक पर एक स्थान पर मेट्रो अपने अधिकतम ऊंचाई से होकर निकलेगी। इसकी धरातल से ऊचाई करीब 25 मीटर होगी। यह अब तक बनाए गए मेट्रो नेटवर्क में दूसरा सबसे ऊंचा बिंदू होगा। पहला सबसे ऊंचा बिंदु धौलाकुआं ट्रैक पर 25 मीटर ऊंचा है।
एफओबी देगा बेहतर कनेक्टिविटी
इस रूट पर पड़ने वले सोसाइटी, आईटी कंपनिया या मॉल इत्यादि यदि सीधे तौर पर मेट्रो से कनेक्टिविट चाहते है। उसके लिए प्लान तैयार किया जा चुका है। आवेदन करने पर फुटओवर ब्रिज के जरिए इनको जोड़ दिया जाएगा। इसका खर्चा व रखरखाव संस्था को उठाना पड़ेगा। दरसअल, इस तरह की प्लानिंग यूरोप के देशों में संचालित होने वाली मेट्रो में देखी गई है। ऐसे में यह यहा के लिए एक अच्छ कदम होगा। जिससे मुसाफिरों को सड़क पर जाने की जरूरत नहीं होगी। वह सीधे कंपनी, मॉल से निकलकर एफओबी के जरिए स्टेशन पर जा सकेगा।
जीआईएस सिस्टम से लेस है कोच
स्टेशनों पर यूपी पूर्व सैनिकों को तैनात किया जाएगा। इसके अलावा पीएसी भी होगी। यहा पहले मुसाफिरों को मेटल डिटेक्टर गेट से जाना होगा। सामान के लिए बैगेज स्कैनर, व बम ब्लैंकेट स्केनर का प्रयोग किया जाएगा। इसे 15 दिनों में सभी मेट्रो स्टेशन पर लगा दिया जाएगा। यहा चलाए जाने वाली ट्रेन में लगे कोच स्टेनलेस स्टील के हल्के कोच है। प्रत्येक ट्रेन में जीआईएस सिस्टम लगा है। स्टेशनों की साफ-सफाई के लिए हाउसकीपिंग स्टॉफ होगा। इसके लिए निविदा आमंत्रित की गई है। सुंदरता व स्टेशनों पर आर्ट वर्क के लिए किरन नादर म्यूजियम आफ आर्ट और फ्लाइंग काईट्स सोल्यूशन प्रा. लि. कंपनी को सौंपा गया है।
30 किलोमीटर का ट्रायल रन शुरू
डिपो स्टेशन से सेक्टर-81 तक सभी 21 मेट्रो स्टेशनों पर ट्रायल रन चल रहा है। इसकी प्रत्येक सप्ताह मानिटरिंग की जा रही है। आरडीएसओ (रिसर्ज डिजाइन और स्टैंडर्ड आर्गनाइजेशन), रेल मंत्रालय द्वारा नामित नोडल एजेंसी द्वारा पहले 10 किलोेमीटर यानी सेक्टर-147 से डिपो तक चल रहा है। दोनों सब स्टेशनों को चालू कर दिया गया है। दोनों सोत्रों से ट्रेन संचालन और स्टेशन की आवश्यकता के लिए बिजली उपलब्ध करा दी गई है। सभी 21 मेट्रो स्टेशनों पर सहायक सब स्टेशन चालू कर दिए गए है। सिग्नलिंग ट्रायल सितंबर तक पूरा हो जाएगा। उसके बाद पूरी रिपोर्ट सीएमआरएस को प्रस्तुत किया जाएगा।
लिफ्ट व स्वाचालित सीढ़ियों का काम पूरा
यह पूरा रूट एलिवेटड है। लिहाजा स्टेशन व प्लेटफार्म तक पहुंचने के लिए मेन्यूवल सीढ़ियों का काम पूरा किया जा चुका है। इसके साथ ही मेट्रो स्टेशनों पर लगने वाली 102 लिफ्ट में एक 101 को लगाया जा चुका है। वहीं, 81 स्वाचालित सीढ़ियों को भी लगाया जा चुका है। इन सभी का ट्रायल भी किया जा रहा है।
स्टेशनों की को-ब्राडिंग के लिए कंपनियां आईं आगे
सभी 21 मेट्रो स्टेशनों की को-ब्राडिंग की जाएगी। इसके लिए कंपनियों से आवेदन मांगे गए थे। ताकि मेट्रो के संचालन में आने वाले खर्च व निर्माण लागत को निकाला जा सके। इसके लिए चाइनर ग्रुप, एक्पो मार्ट, एडवांट, पायनियर व इंडिया टीवी जैसी कंपनियों ने आवेदन किए है। वहीं, स्टेशन के अंदर व बाहर पिलर पर विज्ञापन पर विज्ञापन के लिए भी कार्य किया जा रहा है। ताकि राजस्व में बढ़ोतरी हो सके।
10 अगस्त तक एनएमआरसी की प्रगति रिपोर्ट
विभाग भौतिक प्रगति(प्रतिशत में) वित्तीय प्रगति(%)
सिविल 99 94
इलेक्ट्रिकल 92 74
सिग्नलिंग और टेलीकाम 80 55
ट्रैक 100 93
रोलिंग स्टॉक 40 24
कुल 87 73